उदयपुर । मेवाड के ५०वें श्री एकलिंग दीवान महाराणा संग्राम सिंह जी प्रथम (राज्यकाल १५०९-१५२७ ई.स.) का जन्म वैशाख कृष्ण नवमी विक्रम संवत् १५३९ के दिन शुभ नक्षत्र में हुआ था। महाराणा संग्रामसिंह जी की आज ५३८वीं जयन्ती के उपलक्ष्य में महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर की और से पूजा-अर्चना रखी जाएगी।
महाराणा संग्रामसिंह प्रथम को भारतीय इतिहास में महाराणा सांगा के नाम से भी जाना जाता है। राणा सांगा के शरीर पर कई घाव होते हुए भी रण में उन्होने कभी पीठ नहीं दिखाई ना ही अपने हौसलों को कभी कम होने दिया। वे मेवाड के ५०वें उत्तराधिकारी थे। महाराणा सांगा ने बाहरी आक्रमणकारी बाबर के साथ युद्ध कर उसे कई समय तक भारत में पैर नहीं जमाने दिये। वे एक यौद्धा होने के साथ-साथ कुशल नेतृत्वकर्ता भी थे।
महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर के प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने उक्त ऐतिहासिक जानकारियों के साथ बताया कि वर्तमान में कोरोना महामारी के चलते महाराणा की जयंती पर किसी प्रकार के आयोजन नहीं रखे जाऐंगे।