नवरात्री पर विशेष -त्रिपुरा सुन्दरी माता बाँसवाड़ा

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Published on : 20 Apr, 21 13:04

-नीति गोपेंद्र भट्ट-

नवरात्री पर विशेष -त्रिपुरा सुन्दरी माता बाँसवाड़ा

 राजस्थान में 16-17 वर्षों तक लगातार एक छत्र राज करने वाले दिवंगत मुख्यमंत्री मोहन लाल सुखाडिया कोई भी शुभ काम शुरू करने से पूर्व मेवाड़ की पूर्व राजधानी चित्तौड़गढ़ दुर्ग स्थित प्राचीन और ऐतिहासिक काली माता के मन्दिर की ड्योढ़ी पर सिर नवाते थे।
इसी प्रकार प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहें स्वर्गीय हरिदेव जोशी भी दक्षिणी राजस्थान के उदयपुर संभाग में आदिवासी बहुल बाँसवाड़ा जिले के सुप्रसिद्ध शक्ति पीठ त्रिपुरा सुन्दरी माता के मन्दिर में दर्शन किए बिना कोई काम शुरू नहीं करते थे। इस सिलसिले को कालान्तर में राज्य की दो बार मुख्यमंत्री रहीं वसुन्धरा राजे ने भी आगे बढ़ाया और हरिदेव जोशी की तरह ही मन्दिर के जीर्णोद्धार,विकास सौन्दर्यकरण,यात्रियों की सुविधाओं के विस्तार आदि के लिए वहाँ कई काम भी करवायें।वसुन्धरा राजे ने मध्य प्रदेश में दतिया स्थित अपने परिवार की इष्ट देवी पीताम्बरी माता जिसके ट्रस्ट की वे अध्यक्ष भी है,के साथ-साथ त्रिपुरा सुन्दरी माता के मन्दिर में भी गहरी आस्था दर्शा कर माता के भक्तों और अनुयायियों को गदगद कर दिया।उन्होंने मन्दिर में कई बार विशेष पूजा अर्चना एवं अनुष्ठान करवाएं। कतिपय अवसरों पर वे चुनाव से पूर्व और परिणाम आने से पहलें भी मन्दिर परिसर में ही रहीं। हरिदेव जोशी भी प्रायः मन्दिर में अपने पंडित  महादेव शुक्ल की सलाह पर विशेष अनुष्ठान, शत चण्डी यज्ञ और योग सिद्धि कर्म आदि करवाते थे । उनकी माँ त्रिपुरा सुन्दरी में इतनी गहरी आस्था थी कि तलवाडा हवाई पट्टी पर उतरने के बाद सबसे पहलें माता के दर्शन और पूजा पाठ करने के बाद ही वे आगे के कार्यक्रमों के लिए बढ़ते थे। एक वाक़या यह भी बताया जाता है कि जब वे दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने तों शुरू से ही पार्टी के असंतुष्ट नेताओं द्वारा उनके विरुद्ध चलायें अभियान के फलस्वरूप तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उन्हें जब दिल्ली तलब किया था तो वे उस समय अपने गृह नगर बाँसवाड़ा में थे । स्टेट प्लेन से दिल्ली के लिए रवाना होने से पहलें वे हमेशा की तरह त्रिपुरा सुन्दरी मंदिर पहुँचे और वहाँ पूजा अर्चना की और जब माँ के मुख्य मंदिर से बाहर आने लगें तो अनायास ही बिजली गुल हो गई । जोशी जी के मुँह से तत्काल यें शब्द निकलें कि शकुन ठीक नहीं हैं और दिल्ली में राजीव गांधी से मुलाक़ात के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से  इस्तीफ़ा दे दिया । बाद में उन्हें असम,मेघालय और पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बना कर प्रदेश से दूर भेज दिया गया लेकिन जोशी जी येन केन प्रकार से काम निकाल राष्ट्रपति की अनुमति लेकर अपने गृह नगर बाँसवाड़ा आ जाते थे और माँ त्रिपुरा सुन्दरी की आराधना में लीन हो जातें थे फिर क्या एक दो वर्ष बाद उन्हीं राजीव गांधी ने उन्हें फिर से बुला कर तीसरी बार प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया। 
एक वाक़या वसुन्धरा राजे से भी जुड़ा बताया जाता है। नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जब उनका स्टेट प्लेन मुँह के बल गिर गया था लेकिन बावजूद इसके वे बाल-बाल बचीं थी।इस विमान हादसे से मेडम गहरे सदमें में थीं। वे कई दिनों तक दिल्ली स्थित अपने निवास लेखा-विहार से बाहर नहीं निकली और जब कुछ दिनों बाद सामान्य होंने पर  बाहर आई तों सबसे पहलें दतियाँ और त्रिपुरा सुन्दरी माता का दर्शन करने गई।सुखाडिया,हरिदेव जोशी और वसुन्धरा राजे की तरह ही देश के अन्य कई नेता भी अपने-अपने क्षेत्र और देश के प्रसिद्ध शक्ति पीठों और देवी मन्दिरों में शीश झुकाते हैं। चित्तौड़गढ़ दुर्ग आज 
यूनिसेफ़ की वर्ल्ड हेरिटेज सूची में शामिल है और यहाँ आने वाले देशी विदेशी पर्यटक दुर्ग का भ्रमण करने के साथ ही वहाँ स्थित काली मन्दिर का दर्शन भी करते हैं। इसी तरह त्रिपुरा सुन्दरी में नवरात्री के अवसर पर  प्रदेश के अन्य मशहूर देवी मन्दिरों की तरह हर वर्ष भव्य मेलें भरते है और श्रद्धालु अपनी -अपनी मनोकामनाओं के पूरा होने की कामना लिए वहाँ जातें है। इस बार कोविड काल की भयावह हालातों के  कारण सभी भक्त घर बैठें कोरोना की वैश्विक महामारी की मुक्ति के लिए कामना कर रहें हैं।


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