कोरोना काल में स्वास्थ्य कर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य पर तनाव, चिंता और डिप्रेशन का असर

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Published on : 19 Apr, 21 10:04

योग और संगीत द्वारा तनाव और चिंता को कैसे कम किया जाय

कोरोना काल में स्वास्थ्य कर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य पर तनाव, चिंता और डिप्रेशन का असर

उदयपुर, शहर के प्रख्यात चिकित्सक,शोध कर्मी,शिक्षा विधि एवम् संगीतज्ञ का हाल ही में शोध लंदन के प्रतिष्ठित किंग्स कॉलेज के अंतरराष्ट्रिय सोशल मनोचिकित्सा जर्नल में प्रकाशित करने के लिए चुना गया है। उनके लेख का विषय कोरोना काल में स्वास्थ्य कर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य पर तनाव, चिंता और डिप्रेशन का असर और साथ ही योगा और संगीत द्वारा इस तनाव और चिंता को कैसे कम किया जाये।
पिछले एक वर्ष से कोरोना महामारी का असर समाज के हर तबके पर पड़ा है। जिसमे स्वास्थ्य कर्मियों को विशेष रूप से प्रतिदिन कई मोर्चों पर इसका सामना करना पड़ा है। सर्व प्रथम देश के प्रत्येक नागरिक की कोरोना से सुरक्षा, स्वयं की कोरोना से सुरक्षा, लोगो को कोरोना से बचाव के उपाय अपनाने के लिए प्रेरित करना। और सबसे जरूरी इन सब चुनौतियों के बीच अपने घर परिवार इस भय से जाना की कभी भी वो कोरोना ग्रसित होकर अपने परिजनों , छोटो और बुजुर्गों को अनजाने ही कोरोना के खतरे में न डाल दें। जैसा की देश के प्रधान मंत्री भी कई बार टीवी पर आकर कोरोना के खतरों से आगाह करते रहे हैं।  स्वास्थ कर्मियों के लिए सारे दिन कोरोना मरीजों के बीच अथक परिश्रम करना और फिर इस परिजनों के डर, तनाव और चिंता ने मानसिक स्वास्थय को बहुत प्रभावित किया है। कई स्वास्थ्य कर्मियों की कोरोना से हुई दुर्भाग्यपूर्ण एवं असामयिक मृत्यु ने इस तनाव और चिंता को बढ़ा दिया था। स्वास्थ्य कर्मियों के व्यवहार में (अग्रेशन ) गुस्सा और निराशा (डिप्रेशन) के लक्षण भी देखे गए।  
कॉविड के दौरान अपने स्वास्थय को ठीक रखने में और खुद को सेवा के लिए उत्साहित रखना बहुत जरूरी है। जिसमे सबसे बड़ा योगदान योगा और संगीत का रहा है।  योगा जो की व्यायाम, ध्यान और विश्राम का एक संतुलित मेल है। यह स्वास्थय कर्मियों के तनाव और चिंता को कम करने में कारगर हुआ है। योगा द्वारा शरीर को तनाव के दौरान मानसिक प्रतिक्रियाओं को नियंत्रण करने में सहायता मिलती है।  तनाव और चिंता, ह्रदय गति, रक्तचाप आदि अनियमित कर देते है जो की बैचेनी के कारण है उसको भी प्रतिदिन योगा द्वारा नियमित किया जा सकता है।  योगा द्वारा च्ज्ैक् स्ट्रेस को कम किया जा सकता है। योगा करने से आवश्यक और गुणवत्ता पूर्ण नींद भी मिलती है जो स्वास्थय कर्मियों के दूसरे दिन के उत्साह और परिश्रम के लिए अत्यंत आवश्यक है। तनाव का सबसे बड़ा दुष्परिणाम फोकस और मेमोरी पर पड़ता है योगा मन को स्थिर कर फोकस रखने में और मेमोरी में भी प्रभावी है।
इस अध्ययन में तकरीबन 250 स्वास्थ्य कर्मियों पर नियमित योगा एवं संगीत का प्रयोग किया गया है। इस अध्ययन में पाया गया कि इससे उनके क्।ैै-42 मानक में महत्वपूर्ण कमी दर्ज की गई। क्।ैै-42 मानक अवसाद व तनाव एवं चिंता का एक वैज्ञानिक मानक है। इस शोध को पेसिफिक मेडिकल यूनिवर्सिटी के डॉक्टर, डॉ अतुलाभ वाजपेयी, डॉ मनीषा वाजपेयी, शिवम तिवारी, लोकेंद्र बहादुर यादव, डॉ अखिलेश कुमार श्रोति, डॉ कविता जैन,डॉ हिमानी भारद्वाज,डॉ.गुनीत मोंगा,डॉ शिवोहम सिंह एवम् मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ प्रेम भंडारी, डॉ पामिल मोदी ने शोध की क्रियान्वित संपन्न किया।

 


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