बीजिंग । दुनिया में दूसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा मंदारिन (चीनी) के देश चीन में इन दिनों संस्कृत भाषा के प्रति विद्वानों में रुचि बढ़ रही है। आम भारतीयों इस बात पर रोमांचित हो सकते हैं, लेकिन चीनी विद्वानों में संस्कृत के प्रति अनुराग लगभग दो हजार साल पुराना है। चौथी सदी में बौद्ध धर्म के सूत्र समझाने आए कुमारजीव ने यहां के विद्वानों में संस्कृत का ऐसा चाव पैदा किया कि आज भी वहां बड़ी तादाद में लोग संस्कृत पढ़ना और समझना चाहते हैं।