मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय,हरिद्वार के मध्य समझौता ज्ञापन संपन्न

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Published on : 05 Apr, 21 15:04

शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान से विश्वविद्यालय बनेंगे सशक्त : कुलपति प्रो. अमेरिका सिंह

मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय,हरिद्वार के मध्य समझौता ज्ञापन संपन्न
 
 
योग,अध्यात्म, सामाजिक एवं वैदिक संस्कृति विषयों पर दोनों विश्वविद्यालय करेंगे सांस्कृतिक आदान-प्रदान एवं 4 नये पाठ्यक्रम होंगे शुरू, प्रदेश में आदिवासी स्वावलंबन केंद्र की होगी स्थापना
 
राजस्थान प्रदेश की जनजाति क्षेत्र के विद्यार्थियों के शैक्षणिक उन्नयन का नवाचार
 
 
 
उदयपुर। विद्यार्थियों में भारतीय संस्कृति के प्रति जुड़ाव और जागरूकता पैदा करने एवं शैक्षणिक गतिविधियों के उन्नयन, योग विज्ञान, योग चिकित्सा, भारतीय संस्कृति, भारत की विरासत, पर्यटन, प्रबंधन, कृषि विकास, पर्यावरण, समग्र स्वास्थ्य, आदिवासी व जनजातीय रोजगार - स्वाबलंबन तथा आयुर्वेद के ज्ञान विज्ञान के विकास इत्यादि विषयों पर सहयोग के उद्देश्य से हाल ही में देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार एवं मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के मध्य एक समझौता ज्ञापन संपन्न हुआ है। संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति चिन्मय पंड्या और मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अमेरिका सिंह के मध्य समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए एवं इस अवसर पर दोनों विश्वविद्यालयों ने अपने समझौता ज्ञापन एक दूसरे को हस्तांतरित किए। विश्वविद्यालय ने इस नवाचार के सभी सम्बद्ध महाविद्यालयों में लागू करने का निश्चय भी किया गया है, इन नवाचारो के क्रियान्वयन के लिए ही कुलपति नें देव संस्कृति विश्वविद्यालय में इस कार्यक्रम का विस्तृत अध्ययन किया और सम्बद्ध महाविद्यालय में क्रियान्वन हेतु रुपरेखा भी निर्धारित की है। अवसर पर देव संस्कृति विश्वविद्यालय के साथ शैक्षणिक आदान-प्रदान को लेकर विस्तार से चर्चा भी गई साथ ही दोनों दुवारा प्राथमिकता को तय करते हुए एक कार्य योजना भी बनाई है।
 
कुलपति प्रो सिंह ने बताया कि हमारी भारतीय सभ्यता संस्कृति और शिक्षा व्यवस्था काफी पुरातन है और एक वृहत सांस्कृतिक स्वरूप को लिए हुए हैं एवं हमारी प्राचीनतम शिक्षा व्यवस्था हमारे संतो ऋषियों और मुनियों द्वारा ज्ञान पर आधारित है । आधुनिकतम शिक्षा व्यवस्था के साथ विद्यार्थी अपनी मूल संस्कृति सभ्यता और आध्यात्मिकता से विमुख होता जा रहा है इस कारण उन्हें मुख्यधारा में शामिल करना अति आवश्यक हो गया है। विश्वविद्यालय का मानना है कि शिक्षा के साथ हमारे पैतृक ज्ञान को लागू करने के लिए हमें एक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। हमारे भारतवर्ष के नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला जैसे विख्यात विश्वविद्यालय और उनकी एतिहासिक शिक्षा संस्कृति है जिसने देश विदेश में भारतवर्ष के शिक्षा व्यवस्था को एक वैश्विक मान्यता और पहचान दी है। यह एमओयू विद्यार्थी के सर्वांगींण विकास और वैदिक् उन्नयन पर आधारित है। दोनो विश्वविद्यालय अपने-अपने क्षेत्र के आदिवासी बच्चों के विकास के लिए एवं उनके रोजगारमुखी कार्यक्रमों के सृजन की दिशा में मिल कर काम करेंगे। उन्होंने बताया कि बच्चों को कुशल और स्वावलंबी बनाने के लिए दोनों विश्वविद्यालय आपस में चर्चा करके बच्चों के आपसी यात्रा कार्यक्रमो के जरिए कुछ नए काम शुरु करेंगे, जिसमें आदिवासी बच्चों के विकास के लिए चिंतन किया जाएगा जो दोनों विश्वविद्यालयों के बीच एक ज्ञान सेतु का काम करेगा।
 
यह एमओयू राजस्थान एवं उत्तराखंड के विद्यार्थियों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। दोनों विश्वविद्यालय शिक्षकों, शोधार्थियों तथा विद्यार्थियों का भी आदान-प्रदान करेंगे। योग, टूरिज्म एवं अन्य प्रकार के ज्ञान की परंपरा को उन्नत करेंगे। उदयपुर में योग शिक्षा, संस्कृति एवं इतिहास, शिक्षा, कृषि एवं टूरिज्म में यह एमओयू नये आयाम स्थापित करेगा तथा आदिवासी क्षेत्रों में रोजगार एवं स्वावलंबन के लिए स्वावलंबन केंद्र की स्थापना करेगा जहां उन्हें निशुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। कुलपति ने एमओयू को लेकर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि समझौता ज्ञापन विश्वविद्यालय के प्रयासों को उत्कृष्टता के केंद्र में बनाने, छात्रों में समृद्ध भारतीय लोकाचार के मूल्यों को विकसित करने और दुनिया भर में सन्देश फ़ैलाने के लिए सद्भावना के राजदूत बनाती है। इससे विद्यार्थियों व शोधार्थियों को शोध व नवाचार के क्षेत्र में बेहतर करने का अवसर प्राप्त होगा जिससे विद्यार्थी एवं शोधार्थी लाभ उठा सकेंगे।
 
प्रो.सिंह ने कहा की देव संस्कृति विश्वविद्यालय के साथ किए समझौता ज्ञापन के माध्यम से हमने एक प्रयास किया है कि हमारे विश्वविद्यालय के विद्यार्थी और शिक्षकगण हमारी सभ्यता और संस्कृति को एक बार पुनः पहचानने का प्रयास करेंगे और अपने अनुसंधान के माध्यम से अपने योग और आध्यात्मिक ज्ञान को विकसित करेंगे। हम शैक्षणिक अनुसन्धान, अकादमिक कार्यक्रम, पाठ्यक्रम, प्रशिक्षण, अकादमिक परियोजनाए, विषय विशेषज्ञ व्याख्यान, सामजिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान के दुवारा समझौता ज्ञापन के तहत विश्वविद्यालय मिलकर कार्य करेंगे, जिससे शिक्षक और विद्यार्थी में अपनी संस्कृति के प्रति उत्तरदायित्व की भावना विकसित होगी। इस ज्ञापन से दोनों विश्वविद्यालय के विधार्थी और शिक्षक लाभान्वित होंगे और हम विद्यार्थियों एक अच्छा नागरिक बनाकर देश के विकास में सर्वस्व समर्पित करने के लिए तैयार कर सकें। गौरतलब है कि मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय अपने नवाचारों और अभिनव कार्य योजनाओ को लेकर निरंतर उच्च शिक्षा के उन्नयन और विकास के लिए हेतु प्रयत्नशील है।
 
देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के प्रति कुलपति डॉ चिन्मय पंड्या ने मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के साथ एमओयू के बाद कहा कि उच्च स्तरीय अनुसंधान एवं रोजगार - स्वावलम्बन पर कार्य करने पर दोनों विश्वविद्यालय एक साथ कार्य करेंगे। आज के समय की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य की समस्या के निदान के लिए मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में 4 नये पाठ्यक्रम आरंभ करने का निर्णय लिया है, जिसमें 2 कोर्स एमए - एमएससी क्लिनिकल साइकोलॉजी तथा मानव चेतना एवं योग विज्ञान के रूप में रहेंगे तथा दो पाठ्यक्रम सर्टिफिकेट कोर्स के रहेंगे जिसमें योग और अल्टरनेटिव थेरेपी तथा हॉलिस्टिक हेल्थ मैनेजमेंट के रूप में छह छह महीने के होंगे।-प्रो. अमेरिका सिंह,कुलपति मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय

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