शोकाकुल परिवारों के सहयोग से दो नैत्रदान सम्पन्न

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Published on : 05 Apr, 21 05:04

शोक को कम करता है,नैत्रदान का कार्य

शोकाकुल परिवारों के सहयोग से दो नैत्रदान सम्पन्न

शाइन इंडिया फाउंडेशन के नैत्रदान-अंगदान-देहदान जागरूकता अभियान से संभाग में जागरूकता बढ़ती जा रही है । सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से बीते चार दिनों में लगातार चार नैत्रदान संभाग से प्राप्त हुए है ।

शुक्रवार शाम को तलवंडी निवासी प्रेमलता पालरेचा (74 वर्षीया) का हृदयाघात होने से निधन हो गया,अचानक हुई इस घटना से सभी को गहरा दुखः हुआ । शाम को अंतिम संस्कार के लिये ले जाते समय घर की सबसे छोटी बहू नीतू को ध्यान आया कि,सासू माँ के नेत्रदान करवाना चाहिये । मन की बात जैसे ही उन्होंने अपने ससुर विमलचंद जी,अपने जेठ कमल,सुधीर और पति मनोज को कहा तो सभी ने इस नेक कार्य के लिये नीतू जी की सराहना करते हुए कहा कि,इस नेक काम को अंतिम संस्कार होने से पहले तुरंत करवाया जाये । फिजियोथेरेपिस्ट नृपराज गोचर जो कि शाइन इंडिया फाउंडेशन के ज्योति-मित्र भी है,उन्होंने तुरंत संस्था सदस्यों को संपर्क किया तो आधे घंटे में ही नैत्रदान कि सम्पूर्ण प्रक्रिया सम्पन्न हो गयी। 

इसी क्रम में आज सुबह भी महालक्ष्मी एनक्लेव निवासी श्री विनोद फतेहपुरिया (60 वर्ष) का आसमयिक निधन हो गया । उनके नैत्रदान का पुनीत कार्य हो सके इस सोच से उनके भतीजे संजय फतेहपुरिया और दामाद पंकज बाचुका  ने अपने क़रीबी रिश्तेदारों और विनोद जी पत्नि रेणु फतेहपुरिया जी को समझाया । अंतिम यात्रा निकलने से थोड़ी देर पहले ही यह सहमति बनी की,आधे घंटे बाद हमारे पास सिर्फ विनोद जी की अस्थियों के अलावा कुछ नहीं बचेगा,पर यदि नैत्रदान करवाया जाए,तो वह सदा के लिये हमारे साथ बने रहेंगे । 

विनोद जी डाबी में पत्थर की माइंस में कार्यरत थे,साथ ही लायंस क्लब के साथ जुड़कर सामाजिक कार्यों में सहयोग देते रहते थे,उनके भतीजे संजय भी रोटरी क्लब,कोटा बैडमिंटन एसोसिएशन से जुड़कर सामाजिक कार्यों में सहयोग करते रहते है ।

सभी ने सहमति दी तो उनके निवास पर शाइन इंडिया फाउंडेशन और आई बैंक सोसायटी ,कोटा चैप्टर के तकनीशियन के सहयोग से नेत्रदान का कार्य सम्पन्न हुआ। 
आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान के बीबीजे चेप्टर के अध्यक्ष डॉ कुलवंत गौड़ का कहना है कि,मृत्यु के बाद नैत्रदान का कार्य शोक को कम करता है,शोकाकुल परिजनों को यह अहसास रहता है,की हमारे देवलोक-गामी परिजन भले हमारे सामने नहीं है,पर वह पूरी तरह से इस दुनिया से गये नहीं है,वह कहीं न कहीं किसी की आँख में रौशनी बनकर सदा के लिये जीवित है ।


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