होली कविता-क्यों ना आई आप?

( 3844 बार पढ़ी गयी)
Published on : 25 Mar, 21 10:03

-लक्ष्मीनारायण खत्री

होली कविता-क्यों ना आई आप?

होली 

आई है 

रंग गया आकाश

खड़ा में द्वार पर 

सोचता रहा 

क्यों ना आई आप?

सपना देखा 

था मैंने 

रंगों के ताज में 

अबीर की खुशबू में 

फागुन की राग में 

तुम होगी 

मेरे संग 

होली आई हैं 

क्यों ना आई आप?

पिचकारी हुई मौन

फूलों का थाल लिए 

मैं रहा निहार 

कर रहा विचार 

क्यों नहीं आप?

ख्वाब यह 

दिल का क्यों ना

हुआ साकार?


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.