मानव पाप से नही ‘‘ साप ‘‘ से डरता है : रविरत्नसूरी

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Published on : 12 Mar, 21 04:03

मानव पाप से नही ‘‘ साप ‘‘ से डरता है : रविरत्नसूरी

सिरोही।  आर्चाय रविरत्नसूरीजी मा. सा. ने कहा कि इस कलयुग मे मानव पाप से नही साप से डरता है और पाप को छुपाता हैं जिससे दुःख बढता हैं। आज शिवरात्री के अवसर पर पावापुरी स्टॉफ के लिए आयोजित धर्म सभा मे आचार्यश्री ने कहा कि आत्मा की शुद्धि के लिए परमात्मा की भक्ति व तप जरूरी हैं। उन्होने कहा कि जीवन को निर्मल बनाने के लिए अपने आराध्य देव की सदा भक्ति करना व अपने मातृपिता व गुरूवर को प्रणाम करने की भूल नही करनी चाहिए। उन्होने कहा कि पावापुरी तीर्थ मे रहने वाले व काम करने वालो को आराधना, जीवदया एवं साधना करने का सुनहरा अवसर मिला हैं इसलिए परमात्मा की भक्ति के साथ सभी को पूर्ण निष्ठा से सौपे गये कार्यो को कर आनन्दपूर्वक जीवन जीना चाहिए। उन्होने व्यसन को बुरी आदत बताते हुऐ कहा कि इसके सेवन से बिमारिया फैलती हैं ओर शरीर खराब होता है।

    अनेक उदाहरणों के साथ उन्होने हिंसा के दुषपरिणामो की जानकारी देते हुऐ कहा कि सभी धर्मो में ‘‘ दया धर्म का मूलमंत्र है ‘‘ ओर इसी मंत्र से भवपार हो सकता है। उन्होने नवकार महामंत्र को महान मगंलकारी बताते हुऐ कहा कि साधु-सन्तो के प्रवचन से अनेक अच्छाईया जानने का अवसर मिलता है। उन्होने कहा कि धर्म व साधना का फल तत्तकाल नही मिलता है ओर पाप का फल इसी भव मे मिलता है। ओर जीवन मे जैसा कर्म करोगे वैसा फल मिलता है। यह सनातन सत्य है।

    प्रारम्भ मे संगीतकार गोविन्द कुमार ने गुरू भक्ति का गीत प्रस्तुत किया। सर्व मंगल के साथ प्रवचन पुरा हुआ । १६४ लोगो ने आर्चायश्री का प्रवचन श्रवण का लाभ लिया ।

 


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