देश भर के विभिन्न जिलों में 7,500 जन औषधि केन्द्र हैं

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Published on : 08 Mar, 21 06:03

-नीति गोपेंद्र भट्ट

देश भर के विभिन्न जिलों में 7,500 जन औषधि केन्द्र हैं

नई दिल्ली, ​केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज जन औषधि दिवस के अवसर पर अशोक विहार, दीप मार्केट में एक जन औषधि केन्द्र का उद्घाटन किया।

​केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि 7 मार्च, 2019 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने घोषणा की थी कि अब से प्रति वर्ष 7 मार्च को जन औषधि दिवस मनाया जाएगा, ताकि जेनेरिक दवाओं की पहुंच बढ़ाने और उन्हें बढ़ावा दिया जा सके। इस वर्ष तीसरे जन औषधि दिवस का विषय है- ‘सेवा भी रोजगार भी’ जो फार्मासिस्ट को सार्थक रोजगार प्रदान करने को उजागर करता है और साथ ही समाज के सभी वर्गों के लिए गुणवत्तापूर्ण दवाओं की पहुंच का भरोसा दिलाता है।

​डॉ. हर्ष वर्धन ने बताया कि आज जन औषधि सप्ताह का समापन दिवस है। इस दौरान एक से छह मार्च, 2021 के बीच चिकित्सा शिविर, सेनेटरी नेपकिन वितरण, पद यात्रा, बाइक रैली जैसे विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। इनका उद्देश्य जन औषधि के बारे में जागरूकता विकसित करना था। केन्द्रीय मंत्री ने स्मरण कराया कि नगालैंड की हाल ही की यात्रा में उन्हें मोन में जन औषधि केन्द्र में उचित दाम पर दवाओं की बिक्री को देखकर संतोष हुआ। यह जिला पूर्वोत्तर भाग का दूर-दराज स्थित जिला है।

​प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना की अब तक की यात्रा का विवरण देते हुए डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा, “योजना के पहले छह वर्ष में 2008 से 2014 के बीच केवल 86 स्टोर खोले गए थे, अगले छह वर्ष में 2020 तक इनकी संख्या बढ़कर 7,300 हो गई। अब देश के सभी जिलों को इसके लिए कवर किया गया है। आज के दिन देश में कुल 7,500 केन्द्र काम कर रहे हैं। हम 2024 तक यह संख्या बढ़ाकर 10 हजार करने को कटिबद्ध हैं।”

​लोगों पर जन औषधि केन्द्र के प्रभाव और कई लोगों के लिए आय के स्रोत की भूमिका की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, “लगभग एक से सवा करोड़ लोग जन औषधि केन्द्र से प्रतिमाह दवाएं खरीदते हैं। इन केन्द्रों की लोकप्रियता का इस तथ्य से पता चलता है कि लोग इसे ‘प्रधानमंत्री जी की दुकान’ और ‘मोदीसिन’ के रूप में पुकारते हैं। गुणवत्तापूर्ण सुलभ पहुंच की जेनेरिक दवाएं प्रदान करने के अलावा इस योजना ने देश के शिक्षित बेरोजगार युवकों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान किए हैं। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केन्द्रों में विभिन्न स्तरों पर 15 हजार से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला हुआ है। इसके लॉजिस्टिक भागीदार हैं- वितरक, गुणवत्ता जांच प्रयोगशालाएं आदि। यह प्रशंसनीय है कि एक हजार से अधिक केन्द्रों को महिला उद्यमी या फार्मेसिस्ट चलाती हैं।”

​इस वर्ष के दौरान प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि योजना को मजबूत करने की भारत सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि इस वर्ष दो पहल की गई हैं। पहली नई प्रोत्साहन योजना लागू करना ताकि इसे आकर्षक बनाया जा सके। इसके अंतर्गत केन्द्र के मालिकों के लिए प्रोत्साहन ढ़ाई लाख से बढ़ाकर पांच लाख कर दिया गया है, जो कि प्रतिमाह अधिकतम 15 हजार होगा। इसके अलावा पूर्वोत्तर राज्यों के आकांक्षी जिलों में महिलाओं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन जाति तथा अन्य उद्यमियों द्वारा खोले गए स्टोर में कम्प्यूटर और फर्नीचर के लिए एक बार दो लाख रुपये का प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है। दूसरा प्रोत्साहन है केन्द्र की उपयोगिता बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि योजना के उत्पाद बास्केट में 75 आयुष दवाओं का समावेश।

​डॉ. हर्ष वर्धन ने कोविड-19 महामारी के दौरान इस योजना की भूमिका की प्रशंसा करते हुए कहा, “कोविड-19 महामारी में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केन्द्रों ने देश को आवश्यक सेवाएं प्रदान कीं, सभी केन्द्रों ने अपना कामकाज नियमित रूप से जारी रखा और नागरिकों को दवाएं उपलब्ध कराईं। राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान केन्द्रों में दवाओं की बिक्री में वृद्धि हुई। ”

​डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि यह पहल संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए सरकार की वचनबद्धता में महज एक अनुकूल कदम है। आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और आरोग्य केन्द्र लोगों की मधुमेह, उच्च रक्तचाप और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के लिए 50 हजार से अधिक केन्द्रों में जांच करते हैं, जबकि 24 हजार से अधिक निजी अस्पताल पीएम-जेएवाई कार्ड के जरिए लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करते हैं। जल जीवन मिशन लोगों को पेयजल उपलब्ध कराएगा और जल जीवन मिशन जल जनित बीमारियों को दूर करेगा। इसी तरह उज्ज्वला स्कीम के अंतर्गत महिलाओं को गैस सिलेंडर दिए गए हैं और उनकी फेफड़ों की बीमारी की रोकथाम की जा रही है। बजट में नये प्रावधानों के अनुरूप पुणे स्थित राष्ट्रीय रोगाणु संस्थान जैसी संस्थाएं देश के विभिन्न क्षेत्रों में खोली जानी हैं, ताकि नई बीमारियों पर काबू पाया जा सके।


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