डॉ. हर्ष वर्धन ने तीन दिन के दूसरे ग्लोबल बायो इंडिया और आत्मनिर्भर भारत सम्मेलन का उद्घाटन किया

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Published on : 02 Mar, 21 04:03

हमारी बायो अर्थव्यवस्था 2025 तक 150 अरब अमेरिकी डॉलर की हो जाने की उम्मीद

डॉ. हर्ष वर्धन ने तीन दिन के दूसरे ग्लोबल बायो इंडिया और आत्मनिर्भर भारत सम्मेलन का उद्घाटन किया

नई दिल्ली (नीति गोपेन्द्र भट्ट)  |  केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान तथा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज तीन दिन के दूसरे ग्लोबल बायो इंडिया और आत्मनिर्भर भारत सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस वर्ष का विषय है – ‘जीवन में परिवर्तन’ और टैग लाइन है ‘जैव विज्ञान से जैव अर्थव्यवस्था’। उन्होंने कहा कि ग्लोबल बायो इंडिया 2021 एक ऐसा अवसर है, जिससे हम भारतीय जैव प्रौद्योगिकी नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को विश्व के समक्ष प्रदर्शित कर सकेंगे। इस सम्मेलन का उद्देश्य देश में सर्वश्रेष्ठ जैव प्रौद्योगिकी को एक साथ लाकर विचारों का आदान-प्रदान करना और एक-दूसरे से सीखना है। डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि 2019 में पहले ग्लोबल बायो इंडिया में 30 से अधिक देशों, 3,500 से अधिक प्रतिनिधियों और 250 से अधिक स्टार्टअप ने भाग लिया था, जबकि इस वर्ष 50 से अधिक देश, 5,000 से अधिक प्रतिनिधि और 1000 से अधिक स्टार्टअप भाग ले रहे हैं। यह इस बात का संकेत है कि समूचे जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र की आकांक्षा इस महत्वपूर्ण क्षेत्र की संपूर्ण क्षमता हासिल करना है।

डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि कोविड-19 की चुनौती से निपटने के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग तथा इसके वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सबसे बड़ा योगदान वायरस के खिलाफ वैक्सीन का विकास है। इसके लिए सरकार ने 900 करोड़ रुपये का कोविड सुरक्षा प्रावधान किया। भारत विश्व के अनेक देशों को अपने यहां बने वैक्सीन में से 60 प्रतिशत उपलब्ध करा रहा है। उन्होंने कहा, “वर्ष 2020 को न केवल कोविड का वर्ष कहा जाएगा, अपितु विज्ञान और वैज्ञानिकों का वर्ष कहा जाएगा। दिसंबर, 2019 में कोरोना वायरस की सूचना ने समूचे विश्व को आश्चर्यचकित कर दिया था, जबकि 2021 में भारत में बने दो वैक्सीन के कारण विश्व में आशा की किरण दिखाई दी। अब तक हमने भारत में एक करोड़ 35 लाख लोगों को वैक्सीन लगा दी है। जैव प्रौद्योगिकी से अनंत आशाएं हैं। इसके उपयोग से बायो मास से ऊर्जा बन रही है, सीवर जल को शुद्ध जल में बदला जा रहा है और यह किसानों के लिए भी मददगार है। भारत में स्टार्टअप सभी क्षेत्रों के लिए सहायक सिद्ध हो रहे हैं। यह सब आत्मनिर्भर भारत बनाने की गति में तेजी ला रहा है।” जैव प्रौद्योगिकी विभाग और जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) स्टार्टअप को विनियामक सहयोग देने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।

डॉ. हर्ष वर्धन ने नवाचार पर जोर देते हुए कहा, “वैश्विक नवाचार सूचकांक में भारत पहले 50 रैंकिंग में शामिल है। भारत को नवाचार के बड़े केन्द्र के रूप में देखा जा रहा है और यहां प्रतिदिन नये समाधान और उत्पाद विकसित किए जा रहे हैं। यह भी प्रयास किए जा रहे हैं कि युवा नवाचारकर्ताओं और अनुसंधानकर्ताओं तक पहुंचकर उन्हें  जैव प्रौद्योगिकी उद्यमशीलता का करियर के रूप में विकल्प दिया जाए। इन सभी मेक इन इंडिया नवाचारों की कल के आत्मनिर्भर भारत बनाने की बड़ी जिम्मेदारी है। ये नवाचार न केवल राष्ट्रीय स्तर पर उपयोगी होंगे, अपितु वैश्विक स्तर पर भी काम आएंगे।” उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र (इको सिस्टम) का विस्तार हुआ है और इसने कोविड-19 महामारी द्वारा विश्व के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों का  सामना किया है। जैव प्रौद्योगिकी विभाग और बीआईआरएसी ने मिलकर दीर्घकालिक और तत्काल वैक्सीन के लिए अनुसंधान तथा विकास के प्रयास किए और नैदानिक तथा औषध विकास के लिए काम किया।

डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा, “2025 तक हमारा बायो अर्थव्यवस्था उद्योग 150 अरब अमेरिकी डॉलर बन जाने की उम्मीद है और यह ज्ञान और नवाचार प्रेरित अर्थव्यवस्था में योगदान देगा।” डॉ. हर्ष वर्धन ने घोषणा की कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी विकास रणनीति 2021-2025 तैयार की है, जिसे मैं आज जारी कर रहा हूं। यह ज्ञान और नवाचार प्रेरित बायो अर्थव्यवस्था में सुविधाजनक बनेगी और आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य हासिल करने में मददगार साबित होगी।

इस अवसर पर केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारामन ने जैव प्रौद्योगिकी के पोषण के अथक प्रयासों के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग की प्रशंसा की। उन्होंने कोविड-19 की महामारी के दुष्प्रभाव में कमी लाने के लिए जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र की भूमिका की सराहना की। इसके लिए कम समय में नैदानिक, वैक्सीन और अन्य समाधान प्रदान किए गए।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डॉ. रेनू स्वरूप ने स्वागत भाषण दिया, जबकि भारत और भूटान में स्विट्जरलैंड के राजदूत डॉ. राल्फ हेकनर, भारत, नेपाल और भूटान में नीदरलैंड के राजदूत श्री मार्टिन वान डेन बर्ग, नीति आयोग के सदस्य डॉ. विनोद पॉल और डॉ. वी.के. सारस्वत, विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर श्री जुनैद अहमद, इंवेस्ट इंडिया के सीईओ श्री चंद्रजीत बैनर्जी और डॉ. किरण मजूमदार शॉ वर्चुअल माध्यम से उपस्थित रहे। 


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