दिवसीय अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन मे मृदा एवं जल संसाधन प्रबंधन पर मंथन

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Published on : 01 Mar, 21 04:03

दिवसीय अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन मे मृदा एवं जल संसाधन प्रबंधन पर मंथन

उदयपुर । महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संगठक  प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय में मृदा एवं जल संसाधन प्रबंधन विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। इस अधिवेशन में 11 देशों के मृदा एवं जल विशेषज्ञों ने भाग लिया। उद्घाटन एवम् समापन सत्रों के अलावा छह तकनीकी सत्रों में 50 से अधिक अनुसंधान पत्रों का वाचन किया गया साथ ही हरेक सत्र में एक एक की:नोट लेक्चर हुआ । उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि डॉ. नरेंद्र सिंह राठौड़, कुलपति, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने कहा कि जल एवम् मृदा संसाधनों के प्रबंधन का सीधा संबंध फैसलों की उत्पादकता के साथ किसानों और आमजन के जीवन स्तर से जुड़ा हुआ है।

 प्रथम तकनीकी सत्र में डॉ. उदय भान सिंह ने कीनोट लेक्चर दिया जो कि अमेरिका के  मिसिसिपी वॉटर शेड के जल संसाधन निदेशक हैं। उसके बाद जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के प्रोफेसर मिलाप पूनिया ने रिमोट सेंसिंग और जी आई एस तकनीक की मृदा एवं जल संसाधन प्रबंधन में उपयोगिता पर एक विशिष्ट भाषण दिया। पंतनगर कृषि  विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एच. जे. शिव प्रसाद ने पहाड़ी क्षेत्रों में जल धाराओं के पुनरुद्धार और उनके प्रबन्धन पर अपनी प्रस्तुति दी जो कि राजस्थान के पहाड़ी इलाकों में भी समान रूप से फायदेमंद हो सकता है। आज के सत्रों में अमेरिका के मिनिसोटा विश्वविद्यालय के डॉ. डीन करंट ने मृदा एवं जल संसाधन के प्रबंधन में आमजन  की सहभागिता के अनूठे प्रयोग के बारे में जानकारी दी और अमरीका से ही उनके साथ डॉ. जोए मैग्नर ने मृदा प्रबन्धन से रनॉफ प्रबन्धन की जानकारी दी।  वेस्टर्नसिडनी, आस्ट्रेलिया के प्रोफेसर बसन्त माहेश्वरी ने ऑस्ट्रेलियाऔर भारत सरकार के  जलप्रबंधन हेतु चल रहे साझा परियोजनाओं के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि वर्ष 2012 से ही महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के साथ मारवी परियोजना उदयपुर के हींता गांव में चल रही है। भारतीय जल प्रबन्धन संस्थान, भुनेश्वर के डॉ. प्रभाकर नन्दा ने समापन सत्र के सम्मानित अतिथि के रूप में बोलते हुए बताया कि फसलों की उत्पादकता के साथ साथ जल की उत्पादकता बढ़ाने की भी उतनी ही जरूरी है। विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए नाइजीरिया से डॉ. महावीर सिंह राजावत ने कहा कि मृदा एवम् जल संसाधनों की गुणवत्ता बनाए रखना एक बहुत बड़ी चुनौती है। समय रहते हुए इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो निकट भविष्य में गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।   समापन सत्र में डॉ. महेश कोठरी ने कॉन्फ्रेंस के विभिन्न सत्रों की अनुशंसाओं के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इस अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन में दुनियाभर से 11 देशों के 500 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस अधिवेशन के समापन सत्र में डॉ. अजय कुमार शर्मा, अधिष्ठाता, अभियांत्रिकी एवम् प्रौद्योगिकी महाविद्यालय ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि मृदा एवं जल अभियांत्रिकी विभाग के वैज्ञानिकों ने अपनी कड़ी मेहनत से इस अधिवेशन को सफल बनाया है और महाविद्यालय और विश्वविद्यालय का नाम रोशन किया है। साथ ही इस विशिष्ठ विषय की महत्ता से अन्य लोगों को भी अवगत कराया है।  डॉ. पी के सिंह एवं डॉ. एस. आर. भाकर ने धन्यवाद दिया। इस अधिवेशन के आयोजन सचिव इंजी. मनजीत सिंह, डॉ. के. के. यादव और डॉ. उर्मिला हैं।


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