“लिंग समानता लाने के लिए कृषि में महिलाओं का तकनीकी सशक्तिकरण आवश्यक“ - प्रो. नरेंद्र सिंह राठौड़

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Published on : 23 Feb, 21 05:02

“लिंग समानता लाने के लिए कृषि में महिलाओं का तकनीकी सशक्तिकरण आवश्यक“ - प्रो. नरेंद्र सिंह राठौड़

ये विचार महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डॉ. नरेंद्र सिंह राठौड़ ने विश्वविद्यालय  की संघटक ईकाई सामुदायिक एवं  व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय, उदयपुर  तथा राष्ट्रीय कृषि व विस्तार प्रबंधन संस्थान मैनेज, हैदराबाद के साझेदारी से कृषि एवं सम्बंधित क्षेत्रों में जेंडर मैन स्ट्रीमिंग विषय पर आयोजित पांच दिवसीय प्रशिक्षण में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किये । आपने बताया की उत्पादन उत्पादकता और लाभप्रदता बढ़ाने के लिए कृषि में लिंग मुख्यधारा केलिए उपयुक्त नीतिया और रणनीतिक योजना बनाने की आवश्यकता हैं, साथ ही यह भी बताया की महिलाओं में तकनीकी सशक्तिकरण जैसे 4 ब  सिद्धांत उपयुक्त प्रौद्योगिकी का अभिसरण और श्रमता विकास करना आवश्यक हैं ।

उद्घाटन समारोह के प्रारम्भ में महाविद्यालय की अधिष्ठाता डाॅ. मीनू श्रीवास्तव ने कृषि महिलाओं को लाभान्वित करने और इससे संबंधित मुद्दे को सुलझाने के लिए कृषि में लिंग मुख्यधारा के कार्यान्वयन के बारे में सरकारी / गैर-सरकारी संगठनों के हितधारक को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

मैनेज संस्थान की डिप्टी डायरेक्टर डॉ. विनीता सिंह ने संस्थान के विषय एवं विभिन्न गतिविधियो पर गहराई से बताया ।

सत्र के  मुख्य वक्ता तथा विशिष्ट अतिथि मैनेज के निदेशक जनरल पी. चंद्रशेखर ने अपने उद्बोधन में बताया कि प्रदर्शन, प्रशिक्षण और स्वयं सहायता समूहों की गतिविधियों के माध्यम से 10000 किसान उत्पादकों के प्रोत्साहन के लिए ।ज्ड। और ज्ञटज्ञ के काम पर प्रकाश डाला। उन्होंने बाजारों की योजना बनाने, विपणन के पहलुओं, प्रसंस्करण, डिजिटल साक्षरता पर जोर देने और प्रौद्योगिकी, बाजार और हाल के सरकारी कार्यक्रमों जैसे संबंधित विभागों के साथ नियमित कनेक्टिविटी का उपयोग करने पर ध्यान केंद्रित किया।

सत्र के  मुख्य वक्ता कृषि अनुसन्धान परिषद नई दिल्ली के अतिरिक्त जनरल निर्देशक डॉ. पी. एस. पांडे ने अपने उद्बोधन में  लिंग की भूमिका पर प्रकाश डाला, लोगों और पुरुषों में महिलाओं के प्रति जागरूकता की आवश्यकता है, तथा लिंग की पहचान बहुत महत्वपूर्ण है और विकास के लिए स्टीरियोटाइप एक बड़ी समस्या है।

सत्र के मुख्य वक्ता भूतपूर्व सदस्य प्लानिंग कमीशन तथा एक्सटेंशन विशेषज्ञ डॉ. विश्वनाथ सदमाते ने बताया कि कृषि सहायता सेवा तक महिलाओं की पहुँच अप्रयाप्त और सिमित हैं इसलिए कृषि के स्त्रीकरण की मजबूत आवश्यकता हैं, साथ ही यह भी बताया कि खेती क्षेत्रों में शामिल महिलाओ की  सभी  श्रेणियों को कवर करना जरुरी हैं, विशेष रूप से समाज के लघु, सीमांत, और कमजोर वर्गों की महिलाओ और महिला खेत मजदूरों को। विस्तार को सभी स्तरो पर लिंग सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ।

सत्र के अंत में आयोजन सचिव डॉ. सुधा बाबेल प्रोफ़ेसर, वस्त्र एवं परिधान विज्ञान विभाग, सामुदायिक एवं  व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया  । संचालन डॉ विशाखा बंसल प्रोफ़ेसर, प्रसार शिक्षा संचार प्रबंधन सामुदायिक एवं  व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय, उदयपुर द्वारा दिया गया

प्रशिक्षण कार्यक्रम में 128 गणमान्य लोगों और प्रतिभागियों ने भाग लिया जिसमें कृषि वैज्ञानिक, संकाय, युवा पेशेवर और विभिन्न संस्थानों के छात्र शामिल थे। प्रशिक्षण कार्यक्रम में पाठ्यक्रम सह-समन्वयक डॉ। कुसुम शर्मा, श्रीमती वंदना जोशी, सुश्री लतिका सांचीहर और श्री पीयूष चैधरी ने सहायता की |


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