डॉ हर्ष वर्धन ने परिवार नियोजन-2020, प्रगति और बेहतर भविष्य नामक आयोजन को संबोधित किया

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Published on : 27 Jan, 21 06:01

विगत कुछ वर्षों में हमने उत्पादकता और मातृ मृत्यु में कमी देखी है

डॉ हर्ष वर्धन ने परिवार नियोजन-2020, प्रगति और बेहतर भविष्य नामक आयोजन को संबोधित किया

नई दिल्ली (नीति गोपेंद्र भट्ट)  | डॉ हर्ष वर्धन ने परिवार नियोजन-2020, प्रगति और बेहतर भविष्य नामक उच्च स्तरीय आयोजन को डिजिटल माध्यम से संबोधित किया। इस का उद्देश्य परिवार नियोजन- एफपी 2020 भागीदारी का आयोजन, 2019-2020 की वार्षिक रिपोर्ट को जारी करना और भागीदारी के अगले चरण के लिए वचनबद्धता की प्रक्रिया की शुरुआत करना था।

डॉ हर्ष वर्धन ने शुरू में महत्वपूर्ण एफपी 2020 भागीदारी के आयोजन में शामिल होने के लिए आभार व्यक्त किया और श्रोताओं को याद दिलाया कि भारत ने इस भागीदारी को सदैव बहुमूल्य माना है।उन्होंने विश्व भर में परिवार नियोजन सेवाओं को सशक्त बनाने के लिए भागीदारी के महत्वपूर्ण प्रयासों की सराहना की।

इस अवसर पर भारत की वचनबद्धता पर उन्होंने कहा कि आज हमारी प्रिय मातृभूमि भारत का 72वां गणतंत्र दिवस है। मुझे इस पर गर्व है कि भारत उन पहले देशों में से एक था जिन्होंने 1952 में राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम बनाया था। इस कार्यक्रम में बाद में मातृ और शिशु स्वास्थ्य तथा किशोर स्वास्थ्य और पोषण शामिल किया गया। इसके बाद से भारत ने  सुनिश्चित किया कि अपने नागरिकों के जीवन को स्वस्थ बनाया जायेगा।

उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन के तहत विभिन्न प्रयासों में समन्वय बनाने के लिए मदद में भारत ने अनुकूल कदम उठाए। उन्होंने यह भी कहा कि नवीन गर्भ निरोधकों और आम जनसंख्या द्वारा परिवार नियोजन के लिए तेजी से श्रेष्ठ प्रक्रियाओं को अपनाने के ज्ञान को सदस्य देशों में साझा करने में भागीदारी ने अहम भूमिका निभाई है।

उन्होंने भारत की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि गर्भ निरोधकों की गुणवत्ता में सुधार, व्यापक प्रचार से इनकी मांग में वृद्धि, मिशन परिवार विकास के जरिए अधिक उत्पाकदता वाले जिलों में केन्द्रित हस्तक्षेप देश की कुछ अहम उपलब्धियां हैं। इसके फलस्वरूप हमने विगत कुछ वर्षों में उत्पादकता और मातृ मृत्यु में काफी कमी देखी है।

परिवार नियोजन के अगले चरण में भारत के प्रस्तावित योगदान पर डॉ हर्ष वर्धन ने कहा कि हम महसूस करते हैं कि सहयोग बढ़ाना, और अधिक केन्द्रित दृष्टिकोण अपनाना और युवाओं की आवश्यकताओं को पूरा करना अत्यंत महत्वपूर्ण होगा। भारत वैश्विक कार्यसूची के प्रति वचनबद्ध बना हुआ है। कुल मिलाकर यह उद्देश्य होना चाहिए की इस सोच


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