उदयपुर सोसाइटी फॉर माइक्रोवायटा रिसर्च एंड इंटीग्रेटेड मेडिसिन द्वारा विगत पंद्रह वर्षों से चलाये जा रहे "सेमल सरंक्षण अभियान" पर टेकरी-मादरी रोड स्थित आनंद मार्ग जागृति, उदयपुर में गुरुवार २१ जनवरी को प्रहार हुआ. "सेमल सरंक्षण अभियान" के तहत "सेमल वृक्षारोपण भी इस मिशन का एक महत्त्वपूर्ण अंग है जिसके तहत सोसाइटी द्वारा लगभग ५०० वृक्ष उदयपुर शहर और आस-पास के विभिन्न स्थानों पर लगाए गए हैं.
सोसाइटी अध्यक्ष डॉ. एस. के. वर्मा ने बताया की जागृति परिसर में बनाये हुए बग़ीचे में वर्ष २००७ से सेमल के वृक्ष लगाए गए थे जो सोसाइटी के सरंक्षण में पल्लवित और पुष्पित हो रहे थे. पेड़ की ऊंचाई लगभग बीस फ़ीट हो गयी थी और फरवरी-मार्च के महीने में अत्यंत आकर्षक लाल पुष्पों से पेड़ सजा रहता था. आश्रम में कार्य कर रही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने डॉ. वर्मा को बताया की गुरुवार दोपहर में पडोसी द्वारा दो मजदूरों को भेजा गया जिन्होंने सेमल वृक्ष के साथ ही पास में लगाए गए आसापाल के वृक्ष को बिना अनुमति बेरहमी से काट दिया और लकड़ी साथ ले गए.
डॉ. वर्मा ने बताया की सेमल एक बहुद्देशीय औषधीय वृक्ष है जिसका महत्त्व मानव जीवन के हर क्षेत्र जैसे आध्यात्म, पर्यावरण, औषधि, संस्कृति इत्यादि में है परन्तु मेवाड़ क्षेत्र में हर वर्ष होलिका दहन पर हजारों की संख्या में इस वृक्ष की कटाई के चलते इसके अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है जिसके चलते ही सोसाइटी द्वारा उदयपुर में प्रथम बार पहल करते हुए "सेमल सरंक्षण अभियान" शुरू किया गया था. इस वृक्ष का हर भाग औषधीय महत्त्व रखता है और पंचवटी का यह एक मुख्य वृक्ष है जो धनात्मक मायक्रोवायटा को आकर्षित कर ऋणात्मक मायक्रोवायटा को दूर करने में भी अपनी भूमिका निभाता है. इतने महत्त्वपूर्ण वृक्ष को अनधिकृत रूप से काट देना एक अक्षम्य अपराध है मानव द्वारा लगातार किये जा रहे प्रकति विरुद्ध कार्यों के परिणाम कोरोना वायरस के कहर को पूरा विश्व आज भुगत रहा है और सेमल जैसे वृक्ष की कटाई मानवता के विरुद्ध किया गया कृत्य है जिसके लिए प्रकृति कभी भी माफ़ नहीं करेगी.