उदयपुर छापामार युद्ध प्रणाली व मुग़ल सेना की रसद रोकने की सफल प्रतिरोध निति से महाराणा प्रताप मेवाड़ की स्वतंत्रता को बनाये रखने के साथ अजय रहे |
प्रताप सर्व धर्म संरक्षक रह प्रत्येक समुदाय एवं जाती को लेकर मेवाड़ की रक्षा की |
उक्त विचार इतिहासकार डॉ. गिरीश नाथ माथुर ने मेवाड़ इतिहास परिषद के तत्वावधान में स्वाधीनता व स्वतंत्रता के प्रतीक महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि पर आयोजित " मेवाड़ के संरक्षण मैं प्रताप का संघर्ष " विषयक संगोष्ठी की अध्यक्षता कर प्रताप को श्रदांजलि अर्पित करते हुए व्यक्त किये |
परिषद के महासचिव डॉ.मनोज भटनागर ने "महाराणा प्रताप कालीन मेवाड़ " विषयक शोध पत्र का वाचन करते हुए प्रताप के आश्रय स्थल ऐतिहासिक धरोहर कमलनाथ ( आवरगढ़ ),दिवेर ,चावंड ,कुम्भलगढ़ की धरोहरों के संरक्षण पर जोर दिया |
संगोष्ठी संयोजक शिरीष नाथ माथुर ने प्रताप को स्वतंत्रता संग्राम का प्रथम अमर पुरोधा बताया |
ड़ॉ. संगीता भटनागर ने " प्रताप कालीन दुर्गो का सामरिक महत्व" विषयक शोध पत्र का वाचन किया |
अनुराधा माथुर ने प्रताप की वीर गाथाओ पर प्रकाश डालते हुए कहा की प्रताप ने मेवाड़ के मान सम्मान को विश्व स्तर पर स्थापित किया है |
राजस्थान आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी संघ उदयपुर के अध्यक्ष डॉ. गुणवंत सिंह देवड़ा ने प्रताप के जीवन आदर्शो पर प्रकाश डाला |
इतिहासकार डॉ .जे.के.ओझा ,डॉ .राजेन्द्रनाथ पुरोहित ने भी अपने विचार रखे |
अक्षय लोकजन के जय किशन चौब्बे ने भी प्रताप को पुष्पांजलि अर्पित की |
संगोष्ठी का आयोजन वेबिनार के माद्यम से हुआ |