डॉ. हर्ष वर्धन ने आत्म निर्भर भारत, स्वतंत्र भारत विषय पर वेबिनार को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया

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Published on : 15 Jan, 21 05:01

आत्म निर्भर भारत का अर्थ विदेशी सामान का बहिष्कार करना नहीं, बल्कि वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा में विश्वास करना है

डॉ. हर्ष वर्धन ने आत्म निर्भर भारत, स्वतंत्र भारत विषय पर वेबिनार को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया

नई दिल्ली  (नीति गोपेन्द्र भट्ट)|  केन्द्रीय स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज स्वराज्य पत्रिका द्वारा आत्म निर्भर भारत, स्वतंत्र भारत तथा कोविड के पश्चात विश्व में भारत के स्वास्थ्य ईको सिस्टम पर आयोजित वेबिनार को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया।

डॉ. हर्षवर्धन ने प्रारंभ में सभी को मकर संक्रांति की शुभकामना दी और स्वराज्य पत्रिका को आत्म निर्भर भारत विषय पर वेबिनार की श्रृंखला शुरू करने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में हमारी सरकार पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के अत्योदय यानी समाज के अंतिम व्यक्ति की सेवा करने के विचार से बहुत प्रेरित है। आत्म निर्भर भारत हमारी सरकार का महत्वपूर्ण केन्द्र बिंदु बन गया है, जिसके ईर्दगिर्द सभी आर्थिक नीतियां बनाई जा रही हैं। हमारी सरकार अमीर और गरीब के बीच अंतर दूर करने और सभी नागरिकों को समान अवसर उपलब्ध कराने पर फोकस कर रही है।

आत्म निर्भरता के साथ भारत किस तरह प्रगति कर सकता है, इसको स्पष्ट करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि भारत तभी प्रगति कर सकता है, जब प्रत्येक नागरिक प्रगति करे और ऐसा करने के लिए हमें आत्म निर्भर बनने की आवश्यकता है। आत्म निर्भर भारत का यह अर्थ नहीं है कि विदेशी सामान का बहिष्कार किया जाए, बल्कि वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा में विश्वास करना है। इसका अर्थ है कि अन्य देशों पर भारत की निर्भरता समाप्त की जाए और प्रगति तथा विकास की ओर बढ़ा जाए। केवल आत्म निर्भर देश सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बना सकता है।

उन्होंने कहा कि आत्म निर्भर भारत की दिशा में एक कदम के रूप में हमने मेक-इन-इंडिया पहल की शुरुआत की, ताकि भारत को विनिर्माण, अति उन्नत अनुसंधान और नवाचार का बड़ा केन्द्र बनाया जा सके। उद्योगों से हम युवाओं के लिए अधिक रोजगार प्रदान कर सकेंगे, जिससे उनके जीवन में समृद्धि आएगी। सरकार ने व्यापार करने के नियमों को सरल बनाया है और कर ढांचे को स्पर्धी, सरल प्रक्रिया युक्त बनाने का काम कर रही है तथा अनावश्यक विनियमों को हटा रही है और प्रौद्योगिकी पर अधिक फोकस केन्द्रित किए हुए है। मुझे विश्वास है कि इन प्रयासों से भारत के गरीबों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा और उनके लिए नये अवसर सामने आएंगे।

कोविड-19 के संकट को अवसर में बदलने के विषय पर डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि कोविड की विकट स्थिति के समय प्रधानमंत्री ने कहा था कि भारत को कोविड-19 महामारी के संकट को अवसर के रूप में देखना है। उन्होंने पांच मूल स्तम्भों – अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी, अवसंरचना, जनसंख्या लाभ और मांग पर फोकस करने को कहा था, ताकि आत्म निर्भर बनाया जा सके। अधिक जनसंख्या घनत्व के साथ खराब ढांचे के कारण एक बड़ी चुनौती सामने आई। रोग के अत्यधिक संक्रामक स्वरूप और देश भर में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने की आवश्यकता के लिए भारत में मौजूद स्वास्थ्य ढांचे में महत्वपूर्ण सुधार किया गया, ताकि निचले स्तर पर प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था प्रभावित न हो। पूर्ण सरकार के अग्रसक्रिय, नियोजित और श्रेणीकृत प्रयासों और पूर्ण समाज के दृष्टिकोण से कोविड-19 के प्रबंधन के लिए प्रभावी कार्रवाई की गई।

महामारी के दौरान आत्म निर्भर पहल पर डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि भारत ने लॉकडाउन अवधि का इस्तेमाल स्वास्थ्य ढांचे को उन्नत बनाने, स्वास्थ्य कर्मियों के क्षमता निर्माण और देश में आवश्यक लॉजिस्टिक्स की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए किया। हम आज पीपीई किट, मास्क आदि के स्वदेशी विनिर्माण में आत्म निर्भर हैं और इनके निर्यात की क्षमता भी हमारे पास है। पुणे में एक प्रयोगशाला हुआ करती थी, लेकिन आज आईसीएमआर द्वारा प्रमाणित 2323 से अधिक प्रयोगशालाएं हैं।

महामारी के खिलाफ जंग में प्रौद्योगिकी के लाभ को लेकर डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि आरोग्य सेतु ऐप का विकास कोविड प्रबंधन में सहायता के लिए किया गया। इस ऐप को 168 मिलियन उपयोगकर्ताओं ने डाउनलोड किया है। सर्विलांस और कंटेनमेंट गतिविधियों में सहायता के लिए एक आईटी टूल इतिहास विकसित किया गया। वेब आधारित ई-संजीवनी  एक व्यापक टेली-मेडिसिन सॉल्यूशन है, जिसका इस्तेमाल देश भर में किया जा रहा है।  इससे ग्रामीण क्षेत्रों और अलग-थलग समुदायों की जनता को विशेष स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की पहुंच बढ़ रही है। ई-आईसीयू रोगियों के प्रबंधन के लिए 24 घंटे मार्गदर्शन प्रदान कर रहा है।

महामारी के दौरान देश में ढांचागत के तेजीगत विस्तार के लिए किए गए प्रयासों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अनलॉक-6 की समाप्ति पर देश में कुल 1.5 मिलियन आइसोलेशन बिस्तर थे, जबकि लॉकडाउन से पहले इनकी संख्या 10,180 थी। इसी तरह आईसीयू बिस्तरों की संख्या बढ़कर 80,669 हो गई है, जबकि लॉकडाउन से पहले यह संख्या केवल 2,168 थी। माननीय प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन फॉर कोविड-19 पर एक राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह गठित किया गया, जो कि टीकाकरण के लिए लोगों की प्राथमिकता तय कर रहा है। इसके अलावा वैक्सीन प्रक्रिया की ट्रैकिंग तथा वैक्सीन डिलिवरी प्लेटफॉर्म समेत वैक्सीन की डिलिवरी व्यवस्था का भी काम कर रहा है। स्वदेशी विकसित कोविन, कोविड-19 वैक्सीनेशन डिलिवरी का डिजिटल प्लेटफॉर्म है। कोविड-19 टीकाकरण अभियान भी मेक-इन-इंडिया से ऊर्जावान है और दोनों स्वदेश में बने वैक्सीन को भारत में आपात उपयोग की स्वीकृति मिली है।

अंत में केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि आत्म निर्भर भारत का आह्वान एक प्रेरक कथन है, ताकि किसी बाधा के बावजूद हम अपने मिशन को जारी रखें और राष्ट्र निर्माण की दिशा में परिश्रम और निष्ठा के साथ काम करना भी जारी रखें।


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