वर्तमान चुनौतियों का सामना करने के लिए छात्रों की स्वयं नौकरी प्रदात्ता बनना आवश्यक है: डाॅ. नरेन्द्र सिंह राठौड़

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Published on : 08 Jan, 21 05:01

वर्तमान चुनौतियों का सामना करने के लिए छात्रों की स्वयं नौकरी प्रदात्ता बनना आवश्यक है: डाॅ. नरेन्द्र सिंह राठौड़

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संघटक सामुदायिक एवं व्यवहारिक विज्ञान महाविद्यालय द्वारा ‘‘सामुदायिक विज्ञान में स्टूडेंट रेडी कार्यक्रम की क्रियान्वयन रणनीतियां’’ विषयक वैबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार के मुख्य वक्ता डाॅ. नरेन्द्र सिंह राठौड़, माननीय कुलपति महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर ने अपने उदबोधन मंे ‘‘स्टूडेंट रेडी कार्यक्रम’’ के नवाचार प्रयोग के वैचारिक उदभव से लेकर व्यवहारिक पहलूओं के बारे में विवेचनात्मक जानकारी दी। डाॅ. राठौड बताया कि रेडी का शब्दार्थ रूरल एन्टरप्रेन्योरशीप अवेरनेस डेवलपमेंट योजना है।  जिसमें पांच घटक शामिल हैं यथा एक्सपीरियनशिअल लर्निंग, रूरल अवेयरनेस वक्र्स एक्सपीरियंस, इन-प्लांट प्रशिक्षण औद्योगिक आंकलन, हाथोंहाथ (हैंड्स ओन ट्रेनिंग) / कौशल है एवं स्टुडंेट प्रोजेक्ट।

पांचों घटकों की विस्तृत जानकारी  देते हुए डाॅ. राठौड बताया कि जब तक छात्र कौशल, ज्ञान एवं अभिरूचि का प्रयोग रिफोर्म, परफोर्म व ट्रांसफोर्म की दिशा में नहीं करेंगें तब तक वर्तमान में तेजी से हो रहे मनोसामाजिक व आर्थिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम नहीं होंगें। फलतः सभी कृषि विश्वविद्यालयों की यह महत्ती जिम्मेदारी है कि वे छात्र-छात्राओं के सुरक्षित भविष्य हेतु प्रयत्न करें।

आपने बताया कि रावे (आर.ए.डब्लयु.ई.) (ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद  की एक नई पहल है, इस  प्रायोगिक शिक्षण (एक्सपेरियनशिअल लर्निंग) छात्र में क्षमता निर्माण एवं कौशल प्राप्त करने, विशेषज्ञता , आत्मविश्वास  विकसित करने में मदद करता है ताकि वे अपना खुद का उद्यम शुरू करें और “नौकरी चाहने वालों के बजाय नौकरी प्रदाता“ बन सकें.यह “सीखने के दौरान कमाओ “ अवधारणा की ओर एक कदम है। इस अवसर पर उन्होंने डाॅ. सरला लखावत द्वारा बेकरी उत्पादों की विगत 6 माह से चलायी जा रही अनुभवात्मक ईकाई की सतत् सफलता पर हर्ष व्यक्त करते हुए सभी से इस तरह के कार्यक्रमों को चलाने की मंशा जाहिर की ग्रामीण जागरूकता वक्र्स एक्सपीरियंस (त्।ॅम्) मुख्य रूप से छात्रों को ग्रामीण परिस्थितियों, किसानों द्वारा अपनाई गई तकनीकों की स्थिति, किसानों की समस्याएं समझने में मदद करता है साथ ही उनके साथ काम करने का कौशल और दृष्टिकोण भी विकसित करता है।

प्रौद्योगिकी और वैश्वीकरण के चलते  परिवर्तन और नवाचार की महती आवश्यकता है।छात्रों के व्यावहारिक ज्ञान को समृद्ध करने के लिए, इन-प्लांट प्रशिक्षण अनिवार्य है । हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग का लक्ष्य परिस्थितियों को यथासंभव यथार्थवादी बनाना है।

आपने विश्वविद्यालय के सभी संकायों के लिए भिन्न रूप से बनाये गये रावे कार्यक्रम को उदाहरण देकर समझाया विशेष रूप से गृह विज्ञान महाविद्यालय के नवनामित नाम सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय को पुर्न परिभाषित करते हुए महाविद्यालय के पांचों विभागों मानव विकास एवं पारिवारिक अध्ययन, खाद्य एवं विज्ञान एवं पोषण, वस्त्र एवं अभिकल्पन, मानव संसाधान, प्रसार शिक्षा एवं सप्रेशण में रावे द्वारा किये जा सकने वाले संभावित विषयों एवं मुद्दों की चर्चा की जिससे आमजन विशेषकर ग्रामीण परिवारों के जीवनशैली में गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सकें।

डाॅ. मीनू श्रीवास्तव, अधिष्ठाता द्वारा स्वागत उदबोधन एवं परिचयात्मक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया।  उन्होंने बताया कि स्टूडेंट रेडी प्रोग्राम का उद्देश्य स्नातकों के लिए रोजगार सुनिश्चित करना तथा उद्यमिता का विकास करना है. सभी कृषि विश्वविद्यालयों में यह कार्यक्रम आवश्यक से संचालित किया जा रहा है। जिसमें अनुभव आधारित शिक्षा प्राप्त के पश्चात ही डिग्री सुनिश्चित की जाती है। स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर व्यावहारिक प्रशिक्षण के अवसर प्रदान किये जाते हैं।

इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के संघटक महाविद्यालय के डीन डायरेक्टरर्स एवं अधिकारीगण, वैज्ञानिक, शिक्षक एवं विद्यार्थियो ने अपनी उपस्थिति दर्ज की। इनमें प्रमुख रूप से विश्व विद्यालय के रजिस्ट्रार श्रीमती कविता पाठक, वित्त नियत्रंक मंजूबाला जैन, निदेशक अनुसंधान डाॅ. शांति कुमार शर्मा, निदेशक प्रसार शिक्षा, डाॅ. एस.एल. मुन्दडा, अधिष्ठाता, सी.टी.ए.ई. डाॅ. अजय कुमार शर्मा, अधिष्ठाता डाॅ. वी.डी. मुदगल, अधिष्ठाता सी.ओ.एफ. डाॅ. बी.के शर्मा, अधिष्ठाता, आर.सी.ए. डाॅ. दिलीप सिंह एवं अधिकारीगण उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में 150 से अधिक शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने भाग लिया।

आयोजन सचिव डाॅ. रेणू मोगरा द्वारा कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. प्राची भट्नागर, तकनीकी संयोजन डाॅ. विशाखा शर्मा ने किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव डाॅ. धृति सोंलकी ने किया।


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