एमपीयूएटी और आईसीआईसीआई के बीच हुआ एमओयू

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Published on : 05 Jan, 21 14:01

जनजाति क्षेत्र के युवाओं को मिलेगा आजीविका का बेहतर अवसर

 एमपीयूएटी और आईसीआईसीआई के बीच हुआ एमओयू

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी) और आई.सी.आई.सी.आई.-सतत् आजीविका सोसाइटी के बीच मंगलवार को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। एमओयू पर डॉ. नरेंद्र सिंह राठौड़, कुलपति, एमपीयूएटी, उदयपुर और अनुज अग्रवाल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी और अध्यक्ष, आई.सी.आई.सी.आई. फाउण्डेशन, मुंबई ने हस्ताक्षर किए। यह समझौता आगामी तीन साल के लिए वैध रहेगा। इस समझौते के तहत उदयपुर जिले में वर्ष 2011 से युवाओं में निःशुल्क प्रशिक्षण के लिए कार्यरत आईसीआईसीआई आरसेटी द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।  
समझौते के दौरान एमपीयूएटी के कुलपति डॉ. नरेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि एमपीयूएटी न केवल संरचित शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि किसानों और ग्रामीण युवाओं की आर्थिक उन्नति के लिए अनुसंधान, प्रसार और अनौपचारिक और व्यावसायिक प्रशिक्षण के क्षेत्र में भी काम कर रहा है। एमपीयूएटी एक्शन एरिया आदिवासी बहुल है और यहाँ कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में विशेष ध्यान देने के साथ आदिवासी युवाओं की क्षमता निर्माण की आवश्यकता है। एमपीयूएटी द्वारा शुरू किए गए 79 व्यावसायिक पाठ्यक्रम क्ष्ेात्र के किसानों और बेराजगार युवाऔं की आवश्यकता को ध्यान मे रख कर बनाऐ गऐ हैं और यह ग्रामीण युवाओं के कौशल विकास में मदद करंेगे जिससे उन्हें रोजगार के अधिक अवसर भी मिलेंगे।
एमपीयूएटी और आई.सी.आई.सी.आई. दोनों के सामूहिक कार्यक्रम दक्षिणी राजस्थान में विकास को ध्यान मे रख कर ग्रामीण केंद्रों में युवाओं को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता पर आधारित हैं और ग्रामीण युवाओं के कौशल में तेजी लाने, कृषि प्रसंस्करण, जैविक खेती में नए ट्रेडों की पहचान करने, अल्प विकसित फल और मूल्य श्रृंखला का विपणन करने की आवश्यकता पर आधारित रहेंगे।
आईसीआईसीआई के पास वित्तीय साक्षरता और कौशल आधारित ग्रामीण विकास गतिविधियों में काम करने का लंबा अनुभव है जो एमपीयूएटी के साथ काम के दायरे को व्यापक करेगा। डॉ. राठौड़ ने कृषि, सब्जी और फल प्रसंस्करण, पशुपालन और स्मार्ट कृषि मॉडल में युवाओं को प्रेरणा, आकर्षण और प्रतिधारण (मोटीवेशन, अटेªक्शन और रिटेन्शन) के क्षेत्रों में एक साथ काम करने का उल्लेख किया।
इस दौरान अनुज अग्रवाल, सीईओ, आईसीआईसीआई फाउंडेशन ने कहा कि एमपीयूएटी और आईसीआईसीआई दोनों के सामान उद्देश्य हैं और हम ग्रामीण युवाओं और किसानों के लाभ के लिए बेहतर लक्ष्यों और उपलब्धियों के लिए तालमेल कर रहे हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के सीमांत क्षेत्रों के लिए रोजगार के स्थायी अवसर पैदा होंगे। किसानों के दरवाजे तक और जमीनी स्तर पर तकनीकी विकास के लाभों को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त रूप से काम करना महत्वपूर्ण है। श्री अग्रवाल ने कहा कि एमपीयूएटी द्वारा सुझाई गई नई प्रौद्योगिकियां और हस्तक्षेप से किसानों की आजीविका में एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं। उन्होने क्षेत्र मे बहुतायत से पैदा होने वाले सीताफल का उदाहरण दे कर बताया कि इसकी कटाई तकनीक और प्रसंस्करण एक मॉडल है जो सफलता की एक कहानी है।
एमपीयूएटी, उदयपुर के निदेशक अनुसंधान डॉ. एस.के. शर्मा ने कहा कि इस एमओयू से एमपीयूएटी द्वारा विकसित नई तकनीकों को दक्षिणी राजस्थान के सात जिलों (उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, भीलवाड़ा, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़ और राजसमंद) में तेजी से पनपने के अवसर मिलेंगे।
डॉ. आर. ए. कौशिक, प्रोफेसर (बागवानी), राजस्थान कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, उदयपुर ने सीताफल के उत्पादन और प्रसंस्करण के साथ-साथ बेर, आंवला इत्यादि कम महत्व के फलों के क्षेत्र में नए अवसरों के साथ आदिवासी किसानों और युवाओं की आय बढ़ाने के कार्य और कार्यक्षेत्र के बारे में जानकारी दी।
डॉ. एस.के. चौधरी, आईसीआईसीआई फाउंडेशन, जयपुर ने बताया कि अपने ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरएसईटीआई-1) के माध्यम से आईसीआईसीआई सतत् आजिविका सोसाइटी ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय आर्थिक विकास में योगदान के लिए कृषि उद्यमों के नए क्षेत्रों में ग्रामीण युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने में मदद करेगी। उन्होंने एमपीयूएटी के मजबूत तकनीकी आधार और विशेषज्ञता के समर्थन के साथ अपने उपग्रह केंद्रों के माध्यम से किसानों के द्वार पर प्रशिक्षण की अवधारणा को गति देने का उल्लेख किया।
मीडिया प्रभारी डॉ. सुबोध शर्मा ने बताया कि इस अवसर पर सभी डीन, निदेशक, रजिस्ट्रार, वित्तनियंत्रक, डॉ आई.जे. माथुर, समन्वयक (एटीआईसी), डॉ. लोकेश गुप्ता, नोडल अधिकारी, आईसीएआर और आईसीआईसीआई -आरएसईटीआई, उदयपुर के अधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन सुश्री प्रियंका भंडारी ने किया जबकि आभार ज्ञापन आईसीआईसीआई के देवेंद्र सिंह, आईसीआईसीआइ ने किया।
 

यह रहेगा एमओयू का कार्यक्षेत्र:
एमओयू के कार्यक्षेत्र को व्यापक रखा गया है जिससे कि किसानों को ज्यादा से ज्यादा फायदा मिले और उनकी आमदनी में बढ़त हो। इस सहभागिता में, आईसीआईसीआई सतत आजीविका सोसायटी (आईसीआईसीआई आरसेटी ) किसानांे को प्रशिक्षण प्रदान करेगी व एमपीयूएटी तकनीकी जानकारी और विषेषज्ञों की सेवा प्रदान करेगी।  इस एमओयू से दक्षिणी राजस्थान में एग्रो प्रोसेसिंग, जैविक खेती, स्थानीय कृषि उत्पादों के विपणन को विस्तार मिलेगा। किसानों को स्मार्ट तकनीक के प्रयोग को अपनाने के लिये प्रषिक्षण दिया जायेगा ताकि वो जलवायु परिवर्तन के लिये तैयार रहे। इन वैष्विक विषम परिस्थ्तिियों को देखते हुये यह सहभागिता और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।


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