रूढ़िवादिता के कारण शारीरिक व मानसिक समस्याओं से झूझ रही महिला रोगी का हुआ सफल इलाज

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Published on : 05 Jan, 21 14:01

बच्चे को जन्म देने के बाद रूढ़िवादिता के कारण शारीरिक व मानसिक समस्याओं से झूझ रही महिला रोगी का हुआ गीतांजली हॉस्पिटल में सफल इलाज

रूढ़िवादिता के कारण शारीरिक व मानसिक समस्याओं से झूझ रही महिला रोगी का हुआ सफल इलाज

स्त्री नवजीवन की जननी है, बच्चे को जन्म देने के बाद हर एक स्त्री को भरपूर भोजन, पानी, पोषक तत्त्व आहार में लेना अनिवार्य है| ऐसे में रूढ़िवादी नज़रिए के कारण लड़कियों को अक्सर माँ बनने के बाद के समय से सही व भरपूर आहार ना मिलने के कारण उन्हें बहुत बार कई शारीरिक व मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है| ऐसा हाल ही में गीतांजली हॉस्पिटल में नीमच से आयी 29 वर्षीय महिला रोगी के सन्दर्भ में देखने को मिला| किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. जी.के. मुखिया एवं न्यूरो रोग विशेषज्ञ डॉ. विनोद मेहता के संयुक्त प्रयासों से रोगी को स्वस्थ किया गया|

क्या था मसला:

रोगी के भाई ने बताया कि डिलीवरी होने के कुछ दिन बाद ही उनकी बहन को बुखार होने के साथ कमज़ोरी होना, याददाश्त कम होना, पेशाब ना आना और पैरों में सूजन होने लगी ऐसे में तुरंत स्थानीय डॉक्टर से परामर्श किया, जाँच में डिलीवरी होने के बाद डायबीटीज होने का पता चला| डॉक्टर द्वारा सभी सुविधाओं से लेस गीतांजली हॉस्पिटल जाने की सलाह दी गयी| यहाँ आने पर न्यूरो विभाग में डॉ. विनोद मेहता द्वारा परामर्श किया गया|

डॉ. मुखिया ने जानकारी देते हुए कहा कि 29 वर्षीय युवती की डिलीवरी के बाद जब घर गयी तब उसे उसके परिवार द्वारा बच्चा होने के बाद खाने की मात्रा पर रोक एवं कम मात्रा में पानी का सेवन पुराने रीति- रिवाज़ों के चलते निर्धारित कर दिया गया| लगभग एक हफ्ता ये सब चलता रहा| रोगी को पानी व भोजन की प्रचुर मात्रा ना मिलना और साथ में शुगर हो जाने से शरीर में सोडियम का स्तर (हाइपरनाट्रेमिया) बहुत बढ़ गया था|

रोगी का सोडियम बढ़ जाने से मांसपेशियों में बुरा प्रभाव पड़ा जिसके कि मांसपेशियों को क्षति हुई जिससे रोगी को पैरों में दर्द रहने लगा, शरीर में कमज़ोरी आ गयी और साथ में याददाश्त कमज़ोर हो गयी, व्यवहार में परिवर्तन, चिढ़चिढ़ाहट होने लगी| मांसपेशियों को क्षति बहुत ज्यादा होने से उनसे निकलने वाला प्रोटीन मायोग्लोबिन शरीर में ज़रूरत से ज्यादा बढ़ जाने पर वह किडनी के अन्दर जम गया, और किडनीयां फ़ेल हो गयी थी, इस कारण से रोगी के 4 डायलिसिस सेशंस किये गए| रोगी का दवाओं से एवं डायलिसिस द्वारा इलाज किया गया जिससे कि रोगी की किडनियों को फ़ेल होने से बचा लिया गया अब रोगी स्वस्थ है उसका डायलिसिस भी बंद कर दिया गया है| गत सप्ताह रोगी को नियमित जाँच हेतु गीतांजली हॉस्पिटल लाया गया, रोगी की किडनियां सुचारू रूप से कार्य कर रही हैं, शुगर लेवल भी सामान्य हो चुका है|

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गीतांजली हॉस्पिटल में एक ही छत के नीचे सब सुविधाएं उपलब्ध हैं| गीतांजली मेडिसिटी पिछले 14 वर्षों से सतत् रूप से मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के रूप में परिपक्व होकर चुर्मुखी चिकित्सा सेंटर बन चुका है| यहाँ एक ही छत के नीचे जटिल से जटिल ऑपरेशन एवं प्रक्रियाएं निरंतर रूप से कुशल डॉक्टर्स द्वारा की जा रही हैं| न्यूरो विभाग व नेफ्रोलॉजी विभाग की कुशल डॉक्टर्स के निर्णयानुसार रोगीयों का सर्वोत्तम इलाज निरंतर रूप से किया जा रहा है जोकि उत्कृष्टा का परिचायक है|


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