नवाचार आधारित कृषि उद्यमशीलता की संस्कृति को बढ़ावा देना आवश्यक - राज्यपाल

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Published on : 24 Dec, 20 13:12

एमपीयूटी के 14 वें दीक्षान्त समारोह में राज्यपाल ने प्रदान किये 712 उपाधियाँ एवं 32 स्वर्ण पदक

नवाचार आधारित कृषि उद्यमशीलता की संस्कृति को बढ़ावा देना आवश्यक - राज्यपाल



 

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर का चौहदवॉं दीक्षान्त समारोह ऑनलाईन मोड पर गुरूवार 24 दिसम्बर, 2020 को अपरान्ह 12. 30 बजे आयोजित किया गया।कुलपति एमपीयूएटी डॉं. नरेन्द्र सिंह राठौड़ ने कार्यक्रम के प्रारम्भ में राज्यपाल, राजस्थान एवं कुलाधिपति श्री कलराज मिश्र, माननीय कृषि मंत्री श्री लाल चन्द कटारिया, डॉ. अशोक दलवई, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राष्ट्रीय वर्षा सिंचित क्षेत्र प्राधिकरण, नई दिल्ली तथा सभी आमंत्रित अतिथियों का दीक्षान्त समारोह में स्वागत किया तथा विश्वविद्यालय का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए विगत एक वर्ष में विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का लेखाजोखा प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय राज्यपाल, राजस्थान एवं कुलाधिपति श्री कलराज मिश्र ने युग पुरूष महाराणा प्रताप और उनकी कर्मभूमि मेवाड़ को मेरा शत-शत नमन करते हुए कहा कि कुलपति डॉ. राठौड़ के प्रयासों से महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा जारी की गई रेंकिंग सूची में विगत वर्ष के 51वें स्थान से 26वें स्थान पर आ गया है। इसके साथ ही राज्य के छः कृषि एवं पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों में प्रथम स्थान पर यह विश्वविद्यालय स्थापित हुआ है। यह हम सबके लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि मेरा यह मानना है कि देश के सभी नागरिकों के लिये सतत् आजीविका सुनिश्चित करने हेतु बड़े पैमाने पर उद्यमिता को तीव्र गति से सशक्त करना तथा नवाचार आधारित उद्यमशीलता की संस्कृति को बढ़ावा देना आवश्यक है। इसी से देश में अधिकाधिक रोजगार सृजित हो सकते हैं। उन्होंने ने याद दिलाया कि बदलते परिवेश व शिक्षा नीति में कृषि शिक्षा, शोध व प्रसार नवाचार, प्रेरणा तथा प्रदीपन के सिद्धांत पर आधारित हो जिससे हम सम्पूर्ण समाज का पथ प्रदर्शन कर सकें। इस हेतु हमें कठोर श्रम और साधना करनी होगी। उन्होंने इस अवसर पर राजस्थान कृषि महाविद्यालय की छात्रा कु. दीपिका कल्याण को कुलाधिपति पदक से नवाजा एवं साथ ही 712 उपाधियां एवं 32 स्वर्ण पदक प्रदान किये। उन्होंने सभी उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों से प्रदेश एवं राष्ट्र के विकास में अपना योगदान प्रदान करने की बात कही। कार्यक्रम के प्रारम्भ में उन्होंने संविधान की उद्देशिका एवं नागरिक कर्तव्यो का वाचन भी किया। इस अवसर पर उन्होंने माननीय कुलपति डा. नरेन्द्र सिंह राठौड़ तथा सह-लेखकों द्वारा लिखित तीन पुस्तकों का भी विमोचन किया।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि माननीय कृषि मंत्री श्री लाल चन्द कटारिया ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों के लिए बधाई देते हुए कहा कि आज पूरा विश्व खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों को लेकर गहरी चिंता में है। अनुमान है कि सन् 2050 तक विश्व की खाद्य मांग दुगुनी हो जायेगी। जलवायु परिवर्तन के कारण सूखे और बाढ़ ने देश के खाद्य सुरक्षा के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका को भी खतरे में डाल दिया है। इन समस्याओं को देखते हुए हमारे देश व राज्य में हर व्यक्ति को खाद्य सुरक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है। हम निरन्तर प्रयासरत हैं कि खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाकर इस चुनौती से निपटा जाए। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2030 में देश को 345 मिलियन टन खाद्यान्न की आवश्यकता होगी। अतः हर किसान की पहुँच नई तकनीकों, नई मशीनों एवं उचित बाजार तक बढ़ाना आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। यह हम सभी के लिए एक विशेष चुनौती है।

डॉ. अशोक दलवई, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राष्ट्रीय वर्षा सिंचित क्षेत्र प्राधिकरण, नई दिल्ली ने उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि हमारा भविष्य जैव-अर्थव्यवस्था पर आधारित है। उन्होंने विद्यार्थियों का आव्हान करते हुए कहा कि आने वाली सदी में नवीकरणीय वस्तुओं के आधार पर हमारी अर्थव्यवस्था का विकास होगा। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए आपको एक अच्छे उद्यमी, शिक्षाविद् एवं वैज्ञानिक के तौर पर कार्य करना होगा।

डा. दलवई ने किसानों की आय दोगुनी करने हेतु अंतरमंत्रालयी समिति के अध्यक्ष के रूप में सुझाये गये बिन्दुओं को साझा करते हुए फसल व पशु उत्पादकता, संसाधन उपयोग दक्षता द्वारा बचत, फसल सघनता में वृद्धि, उच्च मूल्य वाली फसलों की ओर विविधीकरण तथा कृषकों द्वारा प्राप्त वास्तविक मूल्य में वृद्धि तथा अतिरिक्त मानव श्रम का गैर कृषि कार्यों में उपयोग जैसे बिंदुओं पर बल दिया।

इस दीक्षांत समारोह मे पहली बार मिक्स्ड रियलिटी टेक्नोलॉजी वीडियो प्रजेंटेशन तैयार किया गया जिसमें गोल्ड मेडल पाने वाले छात्र-छात्राऐं साक्षात् मंच पर प्रकट हुऐ और उनके गले में कुलपति द्वारा मेडल डालने के पश्चात वे अंतर्ध्यान हो गये।

कार्यक्रम का संचालन कुल सचिव श्रीमती कविता पाठक ने किया। विश्वविद्यालय परीक्षा नियन्त्रक डॉ. सुनील इन्टोडिया ने बताया कि विश्वविद्यालय के 14 वें दीक्षान्त समारोह मे विश्वविद्यालय के वर्ष 2019-20 मे कृषि, अभियान्त्रिकी, गृह विज्ञान, डेयरी व खाद्य प्रोद्यौगिकी एवं मात्स्यकी संकायो मे उत्तीर्ण 589 स्नातक उपाधियॉ, 80 स्नातकोत्तर एवं 43 पीएचडी की उपाधियॉ प्रदान की गई। इस वर्ष दीक्षान्त समारोह मे श्रेष्ठ विद्यार्थियों को स्नातक स्तर पर 13, स्नातकोत्तर स्तर पर भी 13 एवं पीएचडी स्तर पर 3 स्वर्ण पदक प्रदान किये गये। इसके अतिरिक्त कृषि संकाय मे 1 कुलाधिपति स्वर्ण पदक, इंजिनियरिंग संकाय मे स्नातक स्तर एवं स्नातकोत्तर स्तर पर 1 - 1 श्रेष्ठ विद्यार्थी को जैन इरीगेशन स्वर्ण पदक प्रदान किया जाएगा। इस प्रकार इस दीक्षान्त समारोह में कुल 712 उपाधियां एवं 32 स्वर्ण पदक प्रदान किये गये। इस वर्ष स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले 32 विद्यार्थियों में से 15 छात्राएं एवं 589 स्नातक उपधियॉं प्राप्त करने वालों में से 136 छात्राएं थीं।


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