लक्षद्वीप समुद्र तटीय यात्रा -वह सब कुछ जो लक्षद्वीप के बारे में आप जानना चाहते हैं

( 41558 बार पढ़ी गयी)
Published on : 29 Nov, 20 14:11

डॉ. प्रभात कुमार सिंघल लेखक एवं पत्रकार

लक्षद्वीप समुद्र तटीय यात्रा -वह सब कुछ जो लक्षद्वीप के बारे में आप जानना चाहते हैं

 



मूंगे के द्वीपों का समूह, समुद्री तट, नारियल की छँटा बिखेरते वृक्ष कुंज, सजे एक्वेरियम, लैगूनों की अनोखी दुनियां और सैलानियों का स्वर्ग कही जाने वाली भूमि पर आपको ले चलते हैं, लक्षद्वीप की समुद्र तटीय यात्रा पर। वायुयान एवं जलमार्ग से इस द्वीप पर पहुँचने की यात्रा अपने आप में जितनी रोमांचक है, उतना ही रोमांचक है समुद्री तटों पर समुद्र की लहरों से जलक्रीड़ा करना। हनीमून मनाने वाले जोड़ों, सहासिक पर्यटन के शौकिन लोगों तथा पारिवारिक अवकाश का आनन्द लेने के लिए लक्षद्वीप बेहतरीन सैरगाह है।

लक्षद्वीप भारत की भूमि से करीब 400 कि.मी. दूर पश्चिमी दिशा में अरब सागर में स्थित है। यहां करीब 36 द्वीपों की माला पाई जाती है, जिसमें से 7 द्वीपों पर ही जनजीवन पाया जाता है। इनमें से अगत्ति एवं बंगाराम द्वीपों पर विदेशी सैलानी जा सकते हैं, जबकि इनके साथ-साथ कदमत, मिनीकाॅय, कल्पेनी एवं कवरत्ती द्वीपों पर भारतीय पर्यटकों को जाने की अनुमति हैं। अन्दरोत द्वीप पर किसी को भी जाने की इजाजत नहीं है।

लक्षद्वीप के द्वीपों को 1 नवम्बर 1956 को केन्द्र संघ शासित प्रदेश के नियंत्रण में लिया गया परन्तु कुछ द्वीपों को मिलाकर वर्ष 1973 में लक्‍का दीव, मि‍नीकाय और अमीनदीवी द्वीपसमूहों का नाम लक्षद्वीप कर दिया गया। लक्षद्वीप प्रवाल द्वीपों का एक समूह है जिसमें 12 प्रवाल द्वीप, तीन प्रवाल भित्ति और जलमग्‍न बालू के तट शामिल हैं। यहां के 27 द्वीप केरल तट से लगभग 280 से 480 कि.मी. दूर अरब सागर में फैले हुए हैं। कवरत्ती लक्षद्वीप की राजधानी है। यहां का क्षेत्रफल मात्र 32 वर्ग कि.मी. होने से यह संघीय राज्य सबसे छोटा राज्य है। इस द्वीप की रचना ”मूंगा ऐटोल“ की तरह है। मूंगा ऐटोल रचना समुद्र की सतह पर पानी एवं हवा के मिलने से बनती है। यहां इस्लाम धर्म के अनुयायी अधिक मात्रा में होने से अनेकों मस्जिदें बनी हैं। यहां की राजभाषा अंग्रेजी है तथा अतिरिक्त भाषा के रूप में हिन्दी बोली जाती है।

यहां की सबसे प्रमुख पैदावार नारियल की है। नारियल के वृक्षकुंज बड़े पैमाने पर पाये जाते हैं। यहां प्रति हैक्टर 22310 नारियल पैदा होते हैं। विश्व के अन्य नारियलों के मुकाबलें में यहां के नारियल में सर्वाधिक 72 प्रतिशत तेल पाया जाता है। अन्य कृषि पैदावार के साथ केला और पपीता भी यहां उगाया जाता है। बड़े पैमाने पर मछलियां पाये जाने से मछली पालन प्रमुख व्यवसाय है। पीने के पानी की निर्भरता केवल बरसात का पानी है। बरसात के पानी को इकट्ठा करके वर्षभर उपयोग में लाया जाता है। इसके लिए कई कुएं भी बनाये गये हैं। इसके अतिरिक्त यहां पेयजल का कोई अन्य स्त्रोत नहीं है। आवश्यक वस्तुएं पैट्रोलियम उत्पाद, स्टील, निर्माण सामग्री एवं दैनिक उपयोग की सामान्य वस्तुएं मालवाहक जहाजों से यहां मंगवाई जाती हैं। यहां पर नारियल के रेशे से रस्सियां, कोरीडोर मेट, चट्टाईयां एवं दरियां आदि का उत्पादन किया जाता है।


यहाँ त्यौहार और धार्मिक रिवाज यहाँ परम्परा के साथ मनाये जाते हैं। मोर्रहम, बकरी ईद और मिलादुन्नबी तथा ईदुल-फितर पर्व विशेष रूप से मनाये जाते हैं। केरल के समीप होने से यहां के रिवाज व परम्पराएं केरल से प्रभावित है। बताया जाता है कि अरब के एक संत अबेदुल्लाह मक्का जाते हुए इन द्वीपों पर आये थे और उन्होंने सभी लोगों को इस्लाम धर्म की दीक्षा दी थी। इसलिए इन द्वीप समूहों में बड़ी संख्या में मस्जिदें देखने को मिलती हैं। यह मस्जिदें आम मस्जिदों से अलग खपरैल-घरों को ही पवित्र पूजा स्थल बना कर बना दी गई हैं। नारियल के पानी का बहुतायत से उपयोग किया जाता है। खाने में लोग नारियल और इसके तेल का विशेष उपयोग करते हैं। लक्षद्वीप का मौसम सालभर खुशनुमा बना रहता है, लेकिन यहां अक्टूबर से अप्रैल के बीच यात्रा करना सबसे अच्छा है। यहां का तापमान आम तौर पर 30 डिग्री से ऊपर नहीं जाता।

समुंद्रीय सौन्दर्य

प्रकृति की अद्भुत देन तथा पर्यटकों का स्वर्ग कहे जाने वाले इस द्वीप का निर्माण मूंगों द्वारा किया गया है। प्राकृतिक सौन्दर्य से लबरेज यहाँ का वातावारण देश-विदेश के सैलानियों को अपने जादूई सम्मोहन में बांध लेता है। कल्पेनी एक आकर्षक जगह है जहां खूबसूरत नजारों के साथ कोरल तट भी है। द्वीप पारिस्थितिकी और संस्कृति की एक अनमोल विरासत लिए हैं। द्वीपों की अनूठी विशेषता इसकी प्रवाल भित्ति है। समुंद्रीय सम्पत्ति में 4200 वर्ग किलोमीटर समृद्ध लैगून हैं। लक्षद्वीप में पानी के नीचे का दृश्य कालीडोस्कोपिक और लुभावना है। लैगून स्विमिंग, वायु-सर्फिंग, डाइविंग, स्नोर्केलिंग और कायकिंग जैसे पानी के खेल के लिए उत्कृष्ट स्थल हैं। लक्षद्वीप तेजी से भारत की अपनी एक तरह की आधिकारिक खेल-प्रकृति से पर्यटन क्षेत्र के स्थान बनता जा रहा है। सभी द्वीप सफेद मूंगा, रेत द्वारा आच्छादित है। इसका क्रिस्टल पानी और प्रचुर मात्रा में समुद्री जीवन इन द्वीपों की सुंदरता को बढ़ाता है। लक्षद्वीप को 1997 में राष्ट्रीय पारस्थितिकी पुरस्कार प्रदान किया गया। इस द्वीप के प्रमुख बीच-द्वीप इस प्रकार हैं।

मिनीकॉय बीच-द्वीप

मिनिकॉय के समुद्र तट बहुत खूबसूरत हैं। पर्यटक यहाँ तैरने, बीच की सैर, पेडल नाव, कयाक का आनन्द लेते हैं। तटों पर स्नान करने वालों के लिए झोपड़ियों में कपड़े बदलने की व्यवस्था की गई हैं। पर्यटकों के ठहरने के लिए तीन पर्यटक कॉटेज और एक 20 बिस्तर वाले पर्यटक घर का निर्माण किया गया है। यह द्वीप कोरल रीफ और स्वेइंग पाम पैकेज का हिस्सा है।

मिनिकॉय द्वीप, लक्षद्वीप का सबसे बड़ा द्वीप है, जो कि कोच्चि के दक्षिण-पश्चिम में 398 किमी की दूरी पर स्थित है। यह सबसे व्यस्त शिपिंग मार्गों में से एक है और मालदीव तक जहाज जाते हैं। यह पश्चिमी तट पर एक बहुत बड़ा लैगून है। लैगून क्षेत्र 30.60 वर्ग किमी है।

इसके 6 किमी में दो प्रवेश द्वार एक पश्चिम पर और दूसरा दूसरा सबसे उत्तरी बिंदु पर है। द्वीप पश्चिमी तट 11 किमी लंबा है। इसे मलिकु द्वीप एवं मलिकु एटोल के नाम से भी जाना जाता है। यह एक अपेक्षाकृत छोटा द्वीप है, जो कभी मालद्वीप का हिस्सा था पर आज लक्षद्वीप में भारत का हिस्सा है।

द्वीप का लाइट हाउस सबसे पुराना है और इसे 1885 ई.में बनाया गया था। यहां ग्रामीण जीवन, ट्यूना केनिंग फैक्ट्री और घने नारियल के पेड़ों की छँटा देखने को मिलती है। इनके मध्य लंबी सड़कों पर ड्राइव करने के लिए जा सकते हैं। द्वीप के 10 गांवों में मछली पकड़ने वाली नावें, देश के शिल्प और नारियल के वृक्ष हैं। नावें रंग-बिरंगी आकर्षक होती हैं। घरों में लकड़ी के बने स्विंग खाट होते हैं जो अलग-अलग रंगों में खूबसूरती से सुसज्जित और पेंट किए जाते हैं। गांव को यहां "अवह" कहा जाता है। विशिष्ठ व्यक्तियों के स्वागत और मनोरंजन के लिये रंगीन और आकर्षक रेस बोट जिसे ‘जाहधोनी’ कहा जाता है आयोजित की जाती है। लोकप्रिय नृत्य लावा के साथ-साथ थारा , दांडी, फुली और बांंडिया यहाँ के लोक नृत्य हैं।

कवरत्ती बीच -द्वीप

कवरत्ती बीच जलक्रीड़ाओं के ल‍िए एक एकदम उपयुक्त स्थान है। यहां पर स्‍वीम‍िंग से लेकर गर्म रेत पर दौड़ के साथ-साथ पयर्टकों को बहुत कुछ करने का मौका म‍िलता है। यहां पर बने एक्‍वैर‍ियम में मैरीन लाइफ की खूबसूरती भी देखते बनती है। यहां पर्यटक नौकायान से समुद्री यात्रा का आनंद ले सकते हैं। यहां काँच के तले वाली नाव में बैठकर पानी के नीचे विचरण करने वाले जलीय जन्तुओं को नजदीक से देखना अत्यन्त ही रोमांचक होता है।

कवरत्ती लक्षद्वीप समूहों की राजधानी मुख्यालय एवं द्वीपों में सबसे अधिक विकसित एवं सुंदर द्वीप और एक खूबसूरत लगून है। कवरत्ती मौज-मस्ती करने का केंद्र बन गया है। भारत के कोच्चि के तट से लगभग 360 किमी दूरी पर स्थित है। यह मुख्य भूमि से नाव सेवाओं द्वारा जुड़ा है। पर्यटकों के मनोरंजन के लिए यहां कई तरह के जलीय खेल उपलब्ध है। इस जगह पर ख़ूबसूरत उजरा मस्जिद सहित 52 मस्जिदें बनी, जो समृद्ध प्राचीन भारतीय वास्तुकला के अद्भुत नमूने हैं। द्वीप पर कई और प्राचीन स्मारक भी दर्शनीय हैं।

यहाँ सभी डाइविंग के उपकरण प्रदान किए जाते हैं। तैराकी कौशल और डाइविंग के लिए उम्मीदवार फिट घोषित करने वाले डॉक्टर का प्रमाण अनिवार्य है। डाइविंग पाठ्यक्रम के लिए न्यूनतम आयु 14 वर्ष है। लक्षद्वीप को दुनिया का प्रमुख गोताखोर स्पॉट माना जाता हैं। डॉल्फिन डाइव केंद्र, कवरत्ती, पाडी स्कूबा डाइविंग एक्सपिरियंस प्रोग्राम और पाडी स्कूबा डाइविंग कोर्स प्रदान करता है। ज्यादा जानकारी के लिए डॉल्फ़िन गोता केंद्र, कवरत्ती से संपर्क कर सकते हैं।

अगत्ति द्वीप

अगत्ति हवाई अडडे से कुछ ही दूरी पर सैलानियों के ठहरने के लिये दूर-दूर तक फ़ैली, चांदी-सी चमचमाती मखमली रेत के मध्य हट्स बने हुए हैं। जगह-जगह ऊगे नारियल के असंख्य पेड़ और पास ही लहलहाता-समुद्र किसी दिव्य लोक से कम नहीं लगता। दूर-दूर तक फ़ैली नीले पानी की चादर, क्षितिज पर रंग बिखेरता सूरज, सफ़ेद झक रेत और रंग-बिरंगी मछलियाँ अगत्ती की असली पहचान है। पूर्णिमा की रात्रि में तो इस द्वीप की सुन्दरता मंत्रमुग्ध कर देती है। नीले समुद्र के विशाल विस्तार में यह द्वीप पन्नों की तरह दिखाई देता है।

इस द्वीप को लक्षद्वीप के प्रवेश द्वार के नाम से भी जाना जाता है साथ ही ये यहाँ आने वालों के लिए एक बहुत ही लोकप्रिय स्थल है, ये द्वीप इतना खूबसूरत है कि अगर आप लक्षद्वीप जाएं और यहाँ न घूमें तो आपकी यात्रा अधूरी होगी। यहाँ आने के लिए आपको लक्षद्वीप के किसी भी हिस्से से बोट हमेशा तैयार मिलेंगी। मुख्यतः नौकाएँ ही यहाँ यातायात का मुख्य माध्यम है। इसके अलावा, अगत्ति में ही पूरे लक्षद्वीप द्वीप समूह में घरेलू हवाई अड्डा है, जहाँ से आसानी से कोच्चि और बंगलौर के लिए प्रस्थान किया जा सकता हैं। ये एयरपोर्ट इस द्वीप के दक्षिण में बना हुआ है और लक्षद्वीप की ये अकेली हवाई पट्टी है। करीब 4000 फीट लंबाई वाली ये छोटी सी हवाई पट्टी देखने में जितनी सुंदर लगती है , लेकिन यहां जहाज उतारना काफी ख़तरनाक है।

तलापैनी द्वीप

तलापैनी द्वीप से लगे तीन द्वीप हैं, जिनमें आबादी नहीं है। इनके चारों ओर लैगून की सुंदरता देखने लायक है। कूमेल एक खाड़ी है जहाँ पर्यटन की पूरी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। यहाँ से पित्ती और थिलक्कम नाम के दो द्वीपों को देखा जा सकता है। द्वीप का पानी इतना साफ है कि, आप इस पानी में अंदर तैरने वाले जीवों को आसानी से देख सकते हैं। साथ ही यहाँ आप तैर सकते हैं, रीफ पर चल सकते हैं, नौका में बैठकर घूम सकते हैं और कई वाटर स्पोर्ट्स का आनंद ले सकते हैं।

कदमत बीच

कोच्चि से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कदमत समुद्र तट पर घूमना भी काफी रोमांचक है। यहां पर बने व‍िशाल लैगूनों को देखन बहुत अच्‍छा लगता है। पयर्टकों को सफेद संगमरमर से चमकते रेतीले मैदान पर पैदल चलने में बड़ा आनंद आता है। यहां पर स्‍नोर्कल‍िंग, डाइव‍िंग जैसे अनेक वॉटर स्‍पोर्ट का मजा ल‍िया जा सकता है। पर‍िवार के साथ छुट्ट‍ियां मनाने का एक बेस्‍ट प्‍लेस है।

बंगारम बीच-द्वीप

बंगारम समुद्र तट बेहद आकर्षक है। सफेद रेत से घि‍रे इस तट पर सूर्योदय के समय का मौसम बड़ा ही सुहाना लगता है। यह दुनिया के उन गेटवे में से एक है जहां आप रेत, सूरज और वॉटर सर्फिंग का मजा एक साथ ले सकते हैं। स्कूबा डाइविंग, विंडसर्फिंग, वॉटर स्कीइंग, पैरासेलिंग, स्नॉर्केलिंग जैसी कई दूसरी वॉटर स्पोर्ट गतिविधियां सैलानियों के आकर्षण का प्रबल माध्य्म हैं। विशेष रूप से पर्यटकों के लिए विख्यात बंगारम ने अंतरराष्ट्रीय पर्यटक मानचित्र में अपनी दमदार उपस्थिति बना ली है।

बंगारम द्वीप सबसे खूबसूरत द्वीप है। बेहद शांत द्वीप की शांति पर्यटकों को खासी पसंद आती है। यहाँ नारियल के सघन वृक्ष मन मोह लेते हैं। डालफ़िन, कछुए, मेंढक और रंग-बिरंगी मछलियाँ यहाँ देखी जा सकती हैं। मन मोह लेने वाले इस द्वीप पर जितना चाहे समय आनन्द के साथ बिताया जा सकता है। यह द्वीप करीव 120 एकड़ क्षेत्र में फेला है, जो कोरल रीफ से एक उथले लैगून से घिरा हुआ है। मछुआरों की दुनिया, सर्पो, तोते, पफर्फफिश, हेर्मिट क्रेब और सीबर्ड देखने को मिलतें हैं। गहरे समुद्र में फिशिंग का अपना मजा है। यहां रिज़ॉर्ट में नॉन एसी के 60 बिस्तर वाले समुद्र तट कॉटेज हैं। यहां के रेस्टोरेंट्स में लजीज व्यंजन मिलते हैं। यहां एयर पोर्ट भी है।

कल्पनी द्वीप

कल्पनी द्वीप में भी पयर्टक खूब मस्‍ती कर सकते हैं। यह जगह भी सनबाथिंग, स्‍वीम‍िंग और दूसरी वॉटर एक्‍टव‍िटीज के ल‍िए एकदम सही है। इसके अलावा लक्षद्वीप में किल्टन, अमिनी, एंड्रट, चेतलाट, बित्र, आदि जगहों पर दोस्‍तों के साथ मस्‍ती की जा सकती है। कोच्चि के तट से लगभग एक सौ पचास मील की दूरी पर उत्तर-दक्षिण गठबंधन कल्पनी द्वीप मुख्य रूप से अपने सुंदर 2.8 किलोमीटर चौड़े लैगून के लिए जाना जाता है। कल्पनी सबसे ज्यादा प्रसिद्ध अपने टिप बीचों के लिए है, जिस पर आप सफ़ेद रेतीला समुन्द्र तट साफ़ पानी और रंगीन लैगून देखेंगे। ये जगह पानी में गोता लगाने वालों के लिए सर्वोत्तम स्थान है। यहाँ प्रायः दोपहर में लोगों को श्वास नली लगाये हुए डाइविंग करते हुए देखा जा सकता है।

थिन्नाकरा

अपने खुद के निजी द्वीप पर रहने की तरह है, थिन्नकारा द्वीप । यह बंगारम द्वीप के ठीक विपरीत दिशा में स्थित है। विशाल लैगून और कोरलिन बैक वाटर यहाँ के आकर्षण हैं। द्वीप का वास्तविक लैगून क्षेत्र 125.21 वर्ग किलोमीटर है। यहाँ लैगून परली एक उत्तर-दक्षिण किनारे पर है। यहाँ परली दो, परली तीन और कलपट्टी स्थित हैं। थिंककरा एक छोटा टिड्ड्रॉप आकार का द्वीप है जो अगत्ति से 8 किमी उत्तर पूर्व में स्थित है। यह द्वीप शानदार लैगून, सिल्वान समुद्र तट, सूरज, गीली रेत और शानदार समुद्री वनस्पतियों और जीवों के आकर्षण से भरपूर हैं। पानी के किनारे पर कयाक और ग्लास के तले वाली नावें यहां उपलब्ध हैं। आप समुद्र तट वॉलीबॉल खेल सकते हैं और सनबाथ के लिए विशाल समुद्र तट हैं।

आवास-भोजन

लक्षद्वीप में मिलने वाला भोजन दक्षिण भारतीय खानपान से प्रभावित है। सुबह नाश्ते में अप्पम, डोसा, इडली को प्राथमिकता दी जाती है। दोपहर के भोजन के लिए पत्तागोभी, ओलान, परिप्पू करी, प्लेनटेन इडिमाज पसंद किए जाते हैं। इस द्वीप पर मुस्लिम शासकों का शासन रहा है, इसलिए मांसाहारी व्यंजन कोझी मसाला, इराची वरुत्थातु और चिकन करी आदि भी यहां मिलते हैं। खरीदारी के लिए कोई विशेष बाजार नहीं है। यादगार के तौर पर कुछ खरीदना चाहते हैं, तो आप कोरल शैल्स और ऑइस्टर्स से बने समुद्री हस्तशिल्प देख सकते हैं। यहाँ ठहरने के लिये कीमती होटल्स से लेकर हर प्रकार के बजट होटल्स उपलब्ध हैं। यहां प्राकृतिक वस्तुओं से बने और इको-फ्रेंडली खूबसूरत कॉटेज भी मिलते हैं। यहाँ के होटलों एवं रिसॉर्ट्स में पर्यटकों के आराम की सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।

यात्रा के लिए जरूरी

लक्षद्वीप द्वीप समूह की यात्रा के लिए पूर्व प्लानिंग जरूरी है। बिना यात्रा परमिट के आप लक्षद्वीप नहीं जा सकते और यह परमिट बनने में कम से कम दो दिन तक लग जाते हैं। लक्षद्वीप जाने से पूर्व जाने से पूर्व पर्यटक को उसके स्थानीय पुलिस स्टेशन से इस आशय का प्रमाण-पत्र लेना होता है कि वह क्रिमिनल किस्म का नहीं है। इस प्रमाण-पत्र के आधार पर ही आपको वहाँ जाने की अनुमति प्राप्त होती है और वहाँ पहुंचने के बाद द्वीप स्थित पुलिस स्टेशन पर आपको अपनी उपस्थिति दर्ज करवानी होती है। पर्यटक को द्वीप में चार दिन से ऊपर रुकने नहीं दिया जाता है।

यदि आप पीक सीजन में यात्रा की योजना बना रहे हैं तो लक्षद्वीप में रुकने की व्यवस्था कठिन हो सकती है, अतः यात्रा शुरू करने से पहले ही अपने आवास की अग्रिम बुकिंग व्यवस्था सुनिश्चित करा लेनी चाहिये। इस द्वीपसमूह पर रात को यात्रा न करें क्योंकि यह निर्जन द्वीप हैं। आप गुम हो सकते हैं या चोरों या लुटेरों के हत्थे चढ़ सकते हैं।

यात्रा के लिये

कोच्चि से लक्षद्वीप के अगत्ति हवाई अड्डे तक हवाई सफर तय क‍िया जा सकता है, साथ ही कोच्चि और अगत्ति के बीच समुद्री जहाज का मज़ा भी ले सकते हैं। इसके अलवा केरल से रेल द्वारा भी लक्षद्वीप की सैर की जा सकती है। केरल राज्य, चेन्नई, मुंबई, दिल्ली, गोवा, कोलकाता जैसे अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। कोच्चि एयरपोर्ट से अगत्ति के लिए फ़्लाईट सुबह साढ़े नौ बजे जाती है और अगत्ती पहुँचने में महज एक घंटा तीस मिनट का समय लगता है।कोच्चि में एक अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट है, जो भारत के करीब-करीब सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।

समुद्री यात्रा

लक्षद्वीप की समुद्री क्रूज यात्रा बहुत लोकप्रिय हो गई है। इस क्रूज पर आधुनिक मनोरंजन की सभी सुविधाएं मौजूद हैं, जो इस यात्रा को खूबसूरत और खुशनुमा बना देती हैं। वर्ष 1962 से पहले तक, इस द्वीप से मुख्य धरती को जोड़ने के लिए कोई पानी का जहाज नहीं था। पहला जहाज 1962 में एमवी सी फॉक्स नाम से चला। इसके बाद तीन और जहाज शुरू हुएः एमवी अमीनदीवी वर्ष 1974 में, एमवी भारत सीमा और एमवी टीपू सुल्तान वर्ष1988 में तथा इसके कुछ ही समय बाद एमवी मिनिकॉय भी पानी के जहाजों के बेड़े में शामिल हुआ। पर्यटन इन खूबसूरत द्वीपों पर आय का एक मुख्य स्रोत है और क्रूज यहां के लोगों को समुंद्री यात्रा के साथ-साथ अन्य मनोरंजक अवसर प्रदान करते हैं।

कोच्चि से अगत्ति तक की करीब 16 से 18 घंटे की क्रूज यात्रा का अपना अलग ही मज़ा है। इस यात्रा में सैलानी समुन्द्र के ख़ूबसूरत नज़ारों को देखने का आनन्द ले सकते हैं। जिन्हें समुंद्री यात्रा करने की ख्वाइश है उनके लिये यह यात्रा एक अच्छा अवसर प्रदान करती है।।

जहाजों में यात्रियों के लिये अलग-अलग श्रेणियों में सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं । ए सी फर्स्ट क्लास के साथ दो बर्थ केबिन, एसी सेकिंड क्लास के साथ चार बर्थ केबिन और ए सी पुश बैक सीटिंग सुविधाएं उपलब्ध होती हैं। एक डॉक्टर भी बोर्ड पर उपलब्ध रहता है । एमवी अमिन्दिवि और एमवी मिनिकॉय भी यात्रा के लिए आरामदायक ए सी बैठने की सुविधा प्रदान करते हैं।

लक्षद्वीप समुद्रम कवरत्ती, कल्पनी और मिनिकॉय के द्वीपों लिए पांच दिनों का एम.व्ही क्रूज उपलब्ध है। करवत्ती द्वीप का दौरा दोपहर का भोजन और जलपान समुद्र के किनारों के साथ दिन के दौरान आयोजित किया जाता है। दिन के दौरे के दौरान तैरना, स्नॉर्केलिंग और अन्य पानी के खेल की व्यवस्था की जाती है। रात्रि का भोजन जहाज पर ही किया जाता है। एम. वी. करवत्ती में 150 डायमंड क्लास आवास हैं। एक वर्ष और उससे अधिक 10 वर्ष तक के बच्चे को बच्चे के रूप में माना जाता है। इन द्वीपों पर पहुंचने के लिए पवन हंस हेलिकॉप्टर सर्विस भी उपलब्ध है। अगत्ति से करवत्ति और बंगारम पहुंचने के लिए हेलिकॉप्टर सेवा भी ले सकते हैं।

स्वयिंग पाम पैकेज मिनिकॉय

स्वयिंग पाम पैकेज मिनिकॉय के लिए छह -- सात दिन की यात्रा है। यात्रियों के लिए ए सी पुशबैक बैठने की सुविधा उपलब्ध है। समुद्री जीवन की जागरूकता कार्यक्रम में समुद्री जीवन की समृद्धि और सुंदरता का अनुभव करने के लिए कदमत को निर्धारित शुल्क पर 4 से 7 दिन के पैकेज में शामिल किया गया है। क्रूज पर 2 रात्रि एवं 3 से 5 रात्रि मिनिकॉय द्वीप पर सैलानी भरपूर मनोरंजन कर सकते हैं। तैरना, स्नॉर्केलिंग और कयाकिंग को पानी के खेल में शामिल किया गया है। कदमत में एक पूर्ण जल क्रीड़ा संस्थान क्रियाशील है।अधिक साहसिक पर्यटक स्कूबा डाइविंग, हवा सर्फिंग और पैरा सेलिंग का आनन्द ले सकते हैं।


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.