डॉ. हर्ष वर्धन ने एफएसएसएआई द्वारा आयोजित विश्व खाद्य दिवस समारोह की अध्यक्षता की

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Published on : 17 Oct, 20 04:10

प्रधानमंत्री के न्यू इंडिया विजन के अनुरूप भारत 2022 तक ट्रांस-फैट फ्री बनने के मार्ग पर डॉ. हर्ष वर्धन ने ‘ईट राइट इंडिया’ और ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ की गेम चेंजिंग क्षमता को दोहराया 

डॉ. हर्ष वर्धन ने एफएसएसएआई द्वारा आयोजित विश्व खाद्य दिवस समारोह की अध्यक्षता की

नई दिल्ली (नीति गोपेन्द्र भट्ट) |   केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज विश्व खाद्य दिवस समारोह की अध्यक्षता की। इसका आयोजन भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने किया। इस वर्ष के समारोह का विषय है- ग्रो, नॉरिश एंड सस्टेन टूगेदर। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने इस समारोह में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से भाग लिया।

डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि विश्व में कोविड महामारी से उत्पन्न अभूतपूर्व चुनौती के कारण अब खाद्य, पोषण, स्वास्थ्य, प्रतिरोधक क्षमता और निरंतरता पर फोकस किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि एफएसएसएआई का ईट राइट इंडिया मूवमेंट का लक्ष्य प्रत्येक व्यक्ति के लिए पर्यावरणीय सतत् तरीके से सुरक्षित और स्वस्थ भोजन है। यह सभी नागरिकों को सुरक्षित पूर्ण भोजन प्रदान करने के संकल्प का एक अंग है। इससे खाद्य संरक्षा पारिस्थितिक तंत्र में सुधार होगा और नागरिकों की स्वच्छता और स्वास्थ्य का स्तर सुधरेगा।

इस वर्ष खाद्य आपूर्ति चेन में ट्रांस-फैट उन्मूलन पर प्रमुख रूप से फोकस किया जा रहा है। आंशिक रूप से हाइड्रोजेनेटिड वनस्पति तेल, सिके (बेकड) और तले हुए खाद्य पदार्थ में मौजूद खाद्य से जुड़े विष में ट्रांस-फैट भारत में गैर-संचारी रोगों की वृद्धि में प्रमुख योगदान करता है। डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि ट्रांस-फैट हृदय रोगों के लिए परिवर्तनीय जोखिम का कारक भी है। कार्डियोवसकुलर रोग के जोखिम को दूर करना विशेष रूप से कोविड-19 के काल में प्रासंगिक है, क्योंकि इस रोग से प्रभावित लोगों में पहले से ही ऐसी गंभीर स्थिति होती है, जिससे मृत्यु की आशंका बनती है। उन्होंने स्मरण कराया कि सरकार का प्रयास 2022 तक भारत को ट्रांस-फैट से मुक्त बनाना है, जो कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के न्यू इंडिया के विजन के अनुरूप है।

‘ईट राइट इंडिया’ और ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ की गेम चेंजिंग क्षमता को दोहराते हुए डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि इन दो मूवमेंट के साथ-साथ स्वच्छ भारत अभियान, जल जीवन मिशन और पर्यावरण मंत्रालय के अन्य प्रयासों से भारतवासियों के स्वास्थ्य में सुधार होगा और पर्यावरण सुधरेगा।

डॉ. हर्ष वर्धन ने इंटरनेट के जादुई प्रभाव का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे उत्सुक नागरिक उपलब्ध सूचना को देख सकते हैं। उन्होंने एफएसएसएआई के अधिकारियों से उपभोक्ता शिक्षा और जागरूकता की प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने को कहा, ताकि सजग नागरिक समुचित विकल्प का चुनाव कर सकें।

डॉ. हर्ष वर्धन ने स्कूलों के लिए ईट राइट क्रिएटिविटी चैलेंज की शुरुआत की, जो कि पोस्टर और फोटोग्राफी प्रतियोगिता है और इसका उद्देश्य खानपान की स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देना है। उन्होंने एफएसएसएआई और स्मार्ट सिटी मिशन तथा फूड फाउंडेशन यू.के की भागीदारी में ईट स्मार्ट सिटी चैलेंज का भी उद्घाटन किया, जिससे भारत के स्मार्ट सिटीज में सही खाद्य प्रक्रियाओं और आदतों का माहौल विकसित होगा तथा यह अन्य नगरों के लिए उदाहरण बनेगा।

डॉ. हर्ष वर्धन ने कई पुस्तक/दिशा-निर्देश भी जारी किए।

·        स्कूल, कैंटीन/मेस को सुरक्षित रूप से फिर खोलने के लिए खाद्य संरक्षा और स्वच्छता के दिशा-निर्देश जिनसे कोविड-19 के दौरान पालन किए जाने वाली श्रेष्ठ प्रक्रियाओं का पता चलता है। इसमें निजी और पर्यावरणीय स्वच्छता के लिए गुर शामिल हैं तथा सामान्य गलतफहमियों का स्पष्टीकरण भी है।

·        पुस्तक-डू यू ईट राइट से साधारण तरीके से सामान्यजन को खाद्य और पोषण तथा ईट राइट पहल की तकनीकी अवधारणा से अवगत कराया जाएगा।

·        द ओरेंज बुक फॉर ईट राइट कैम्पस के कैंटीन में अनिवार्य खाद्य संरक्षा के कार्यान्वयन की गाइड के रूप में काम करेगी।

·        दैनिक सिफारिशें और फूड फोर्टिफिकेशन – यह राज्यों के लिए एक पुस्तिका है, जिसे एफएसएसएआई ने जारी किया है। इसमें राज्य सरकार के अधिकारियों के लिए खाद्य पदार्थों को और स्वास्थ्यवर्धक बनाने  के लिए प्रश्नों के उत्तर होंगे। यह विटामिन-ए, विटामिन-डी, आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन-बी12 के नियमित भोजन में औसत खपत के अंतर को फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों के मुकाबले और स्पष्ट करेगा।  

इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव श्री राजेश भूषण, एफएसएसएआई के सीईओ श्री अरुण सिंघल और मंत्रालय तथा एफएसएसएआई के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। इस समारोह में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए राज्यों के खाद्य संरक्षा आयुक्त, एफएसएसएआई के क्षेत्रीय निदेशक और अधिकारी, ऑयल और फैट्स के वैज्ञानिक पैनल के पेशेवर, अंतर्राष्ट्रीय जन-स्वास्थ्य संगठनों के अधिकारी आदि शामिल हुए।


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