सुबाना को मिले हौसलों के पंख, कडी मेहनत की पुंजी बनाया आशियाना

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Published on : 24 Sep, 20 11:09

अब कुशल सिलाई प्रशिक्षक बन कर करना चाहती है महिला सशक्तिकरण

सुबाना को मिले हौसलों के पंख, कडी मेहनत की पुंजी बनाया आशियाना

कोराना महामारी से उपजे आर्थिक संकट के हालात में काम पाने की तलाश में अपनी आजीविका को प्राप्त करने के लिए बढ़ती चिंता के बीच, कई अनगिनत उदाहरण देखने को मिलें है जिन्होंने चुनौती को अवसर में  तब्दील किया है। खास तौर पर महिलाओं ने ऐसे कठिन समय में दैनिक जीवन की जरूरतों में किफायत बरतते हुए अपने परिवार की जिम्मेदारियों को बखुबी निभाया है साथ ही अपना आत्मविश्वास मजबूत रखते हुए अपने परिवार को निरंतर आर्थिक संबंल देकर सुदृढ़ आधार दिया है।
ऐसा ही हौंसला है पुठोली गांव की सुबाना का जिन्होंने हर व्यक्ति की तरह ही खुद का घर बनाने का सपना देखा कोरोना काल जैसी विकट घड़ी में सुबाना ने अपना आशियाना बनाने के सपने का पूरा करने के लिए अपनी कडी मेहनत से कमाई हुई पुंजी से आर्थिक सहायता देकर अहम भूमिका अदा की। सुबाना ने अपने घर के लिए आवश्यक रूपयों में से 40 प्रतिशत राशि अपनी कमाई से दी। आज सुबाना खुशी खुशी अपने लिए अपना घर होने, बच्चें के अंग्रजी माध्यम से पढ़ाई करने और परिवार की खुशी में अपना सहयोग दे कर आत्मविश्वास के परिपूर्ण नज़र आती है।
सुबाना नीलगिर ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि अपने और अपने परिवार के लिए पैरो पर खडी हो कर हाथ बटा सकूं , ये उनकी शुरू से हार्दिक इच्छा थी। उनकी इस आशा को पूरा किया हिन्दुस्तान जिंक द्वारा मंजरी फाउण्डेशन के सहयोग से संचालित सखी परियोजना ने।  परियोजना में जुड़ने से वे गांव में स्वयं सहायता समूह प्रतिज्ञा से लाभन्वित हुई। उन्होंने गांव मंे ही संचालित सखी सिलाई सेंटर पर 6 माह तक प्रशिक्षण लिया और अपने हौंसले से आज वे नियमित रूप से सिलाई का कार्य कर रही है जिससे प्रतिमाह उनकी स्वयं की आय कोरोना के समय में भी 4 हज़ार से अधिक ही प्राप्त हो रही है। सुबाना समूह की कैशियर के रूप में बचत और हिसाब किताब की भूमिका को भी सीख कर अच्छी तरह से निभा रही है। आत्मविश्वास बढ़ता गया और अब सिलाई सेंटर से कमाई बढ़ने लगी। सुबाना ने इस आमदनी से पानी की मोटर, आटा चक्की जैसी वस्तुएं खरीदी, परंतु सुबाना को स्वयं पर गर्व तब हुआ जब घर बनाने के लिए जरूरत पड़ने पर अपनी पुंजी लगाकर सहयोग किया। पति की कमाई के साथ जब सुबाना की कमाई भी जुडने लगी तो खुशियों में इजाफे से बच्चें भी अंग्रेजी स्कूल में पढ़ रहे है। कोरोना से पहले सिलाई सेंटर पर खुशी आंगनवाडी के बच्चों की डेªस सिलाई का काम मिला ,आय और बढ़ी तो कोरोना और वर्तमान में मास्क बनाने के कार्य से लोगो की सेवा और आय दोनो लाभ मिलें और लगभग 20 हजार की आय हुई। सुबाना अब सिलाई की अच्छी टेªनर बन कर स्वयं की तरह ही दूसरी महिलाओं को प्रशिक्षण देना चाहती है ताकि उनके सपनों को भी साकार करने के लिए हौंसलो के पंख मिल सकंे।


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