नई दिल्ली | देश में श्रमिक कानूनों में सुधार से ही श्रमिकों व नियोक्ताओं का हित होगा । चित्तौड़गढ़ सांसद सी.पी.जोशी ने लोकसभा में श्रम मंत्रालय के बिल पर चर्चा के दौरान यह कहीं।
सांसद जोशी ने देश के असंख्य कामगारों, मजदुरों, व असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों के हितों के लिये लाये जा रहे इस महत्वपुर्ण बिल पर बोलने हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार एक सामान्य परिवार से आते हैं, वे मजदूरों और कामगारों की समस्या को बहुत अच्छे ढंग से समझते हैं और उनके हितों के लिये सदैव कटिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि 2014 में जब से भारतीय जनता पार्टी को देश की जनता ने अपार जनसर्मथन दिया उसी दिन से देश में दशकों पुराने जटिल श्रम व कामगारों से संबधीत विभिन्न कानूनों में संशोधन की जो वर्षो से लंबित मागं चल रही थी, उसमें आवश्यकतानुसार संशोधन किया तथा उनको कामगारों व मजदूरों के हित में बनाया गया।
सांसद जोशी ने कहा कि श्रम क्षेत्र में यह संहिता एक नई क्रान्ति लाएगी, जिसका लाभ श्रमिकों और नियोक्ताओं, दोनों को मिलेगा । यह महत्वपूर्ण विधेयक रोजगार के संगठित और असंगठित, दोनों क्षेत्रों को शामिल करेगा और सभी क्षेत्रों के रोजगारों-कामगारों के हितों को सुरक्षित करने का काम करेगा।
उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने 2014 से ही इन पर कार्य करना प्रारंभ कर दिया था तथा 29 श्रमिक नियमों को 4 संहिताओं से प्रतिस्थापित करने की पेशकश की। ये चार संहिताएँ 1. मजदूरी संहिता / वेतन संहिता 2. औद्योगिक संबंध संहिता, 3. सामाजिक सुरक्षा संहिता 4. उप जीविका जन्य सुरक्षा , स्वास्थ्य एवं कार्यदशा संहिता। इससे पहले मजदूरी संहिता या वेतन संहिता को सदन में मंजूरी प्रदान कर दी गयी थी।
सांसद जोशी ने कहा कि भारत में अभी तक जो श्रम संबंधी कानून थे, उनमें केवल संगठित क्षेत्र के लिए प्रावधान थे । असंगठित क्षेत्र में जो श्रमिक काम कर रहे थे, उनके लिए या तो व्यवस्थाएं नहीं थीं या बहुत कम व्यवस्थाएं थीं । यह संहिता लगभग देश के करोड़ों श्रमिकों के जीवन में सामाजिक-आर्थिक क्रान्ति का साधन सिद्ध होगी। असंगठित क्षेत्र बहुत सारी विसंगतियों से भरा हुआ है, उनका शुरू से बहुत ज्यादा शोषण होता है। इन्हीं सब कमियों को दूर करने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ की परिकल्पना को मूर्त रूप प्रदान करने के लिए यह प्रयास किया जा रहा है। यह देश हमेंशा से मेहतन मजदूरी करने वाला देश रहा हैं, हमारे देश में जितना आत्मसम्मान श्रमिक भाईयों में होता हैं वह शायद ही किसी देश में हो, एवं गर्व तब होता हैं जब इतने विशाल देश का प्रधानमंत्री एक सफाई कर्मचारी के पैर धोकर उसे सम्मान प्रदान करते हैं,
उन्होंने कहा कि इस बिल को बनाने से पहले सरकार के द्वारा ट्रेड यूनियन, एम्पलोर्यस एसोशियेशन, राज्य सरकारों, एक्सपर्ट तथा अर्न्तराष्ट्रीय संघठनों व आमजन के सुझावों को कन्सलटेंशन प्रोसेस में रखा। साथ ही देश के अलग अलग स्थलों पर जा कर इसका अध्ययन किया गया व अन्य मंत्रालयों से भी इसमें सलाह व सुझाव लिये गये, इसके साथ ही तीनों लेबर कोर्डस को श्रम संबधी स्थायी समिती के समक्ष भी प्रस्तुत किया गया जिसमें में माननीय मंत्री महोदय जी ने अवगत कराया हैं की कमेटी के 233 सुझावां में से 174 सुझावों को इसमें स्वीकार किया गया है।
इस लाये गये बिल पर बात करें तो इन श्रम सुधारों में प्रमुखता से जिन चीजों पर फोकस किया गया हैं वह हैं रोजगार में वृद्धि करना, श्रमिकों को सुरक्षित व तनावमुक्त कार्य के लिये मानसिक तौर पर तैयार करना, श्रमिकां के अधिकारों की रक्षा करना, छोटी कम्पनीयों तथा छंटनी के लिये एक मानक तय करना, इसके लिये पुर्व अनुमति के प्रावधानों में श्रमिकों के हितों की रक्षा करना, इस कानुनों में नियोक्ताओं तथा श्रमिकों दोनों में सन्तुलन बनाते हुये बहुत से नये प्रावधानों को जगह दि गयी है।
सांसद जोशी ने औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता-2020, उपजिविकाजन्य सुरक्षा , स्वास्थ्य एवं कार्यदशा संहिता में दिये दिये गये श्रमिकों लिये लाभ व योजनाओं के साथ ही अपने क्षेत्र से जुडे प्रमुख विषयों के बारे में भी इस बिल में अवगत कराया संसदीय क्षेत्र ही नही अपितु पुरे देश में जो जनजातिय क्षेत्र हैं वहॉ के लोग मुख्यतया वन से मिलने वाली उपजों पर आश्रित हैं उनको भी इसमें शामिल किया जाना चाहिये जैसे की जंगल से तेंदु पत्ता इकट्ठा करने वाले, जंगल से शहद, गौंद, लाख, हींग आदी को इकट्ठा करने वाले वाले लोग ये अत्यन्त गरीब व पिछडे क्षेत्रों में निवास करते हैं, इनको भी अगर सामाजिक सुरक्षा के अर्न्तगत ई.एस.आई.सी. का लाभ मिलेगा तो इनके लिये बेहतर रहेगा। खानों व पत्थरों में काम करने वालों को भी खतरनाक उद्योगों में कार्यरत लोगों की तरह शामिल करना चाहिये क्योंकी इन श्रमिकों को पत्थरों की सिलिका से सिलिकोसिस रोग होने की अत्याधिक संभावना होती है। इनका शरीर भी धीरे धीरे खत्म होने के कगार पर पहुंच जाता है। यदि ये भी ई.एस.आई.सी. में जुडे तो इनको भी ईलाज के लिये अपना धन खर्च नही करना पडेगा। इसके साथ ही जब सरकार श्रमिकों के हितों के लिये इतना कर रही हैं तो जिन कम्पनीयों में जो श्रमिक खतरनाक स्थलों जैसे की बॉयलर, चिमनी, या जोखिमभरी मशिन के पास काम करते हैं उनकी सुरक्षा के लिये उन मशीनों का निरिक्षण किसी व ऑडीट किसी सक्षम अधिकारी के द्वारा एक नियत समय सीमा में किये जाने से उन मजदुरों जो की अचानक दुर्घटना के कारण जलने आ अंग भग की क्षति में आते हैं, बचा जा सकता है।
इसके साथ सांसद जोशी ने इस श्रमिक बिल का समर्थन करते हुये इसके लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार का आभार व्यक्त किया।