ग्रीन ओरिएंटेड डेवलपमेंट (GOD) "- जल व वन केंद्रित हो शहरी विकास : संचेती

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Published on : 24 Aug, 20 04:08

नगर वन से सुधरेगी आबो हवा

ग्रीन ओरिएंटेड डेवलपमेंट (GOD) "- जल  व वन केंद्रित हो शहरी विकास : संचेती

उदयपुर, शहरों व नगरों को जलवायु अनुकूल बनाने, स्वच्छ, स्वस्थ  व सुंदर बनाने के लिए ग्रीन व ब्लू ओरिएंटेड  विकास जरूरी है। यह विचार राज्य के शहरी विकास मंत्रालय के सलाहकार व राज्य के पूर्व मुख्य नगर नियोजक एच एस संचेती ने इंडिया वाटर पार्टनरशिप के तत्वावधान में "जल व वन  केंद्रित शहरी विकास" विषयक संवाद   में  व्यक्त किये।

झील संरक्षण समिति , झील मित्र संस्थान व गांधी  मानव कल्याण समिति  द्वारा आयोजित इस संवाद में 

संचेती  ने   उनकी  रीथिंकिंग सिटीज - ग्रीन ओरिएंटेड डेवलपमेंट ( GOD ) "  अवधारणा का उल्लेख करते हुए कहा कि जल स्त्रोतों के चारों और बफर जोन रखना जरूरी है। यह भी जरूरी है कि जल स्त्रोतों के किनारे  प्राकृतिक बने रहे। इसके लिए पक्के किनारों  के बजाय पेड़ पोधों के माध्यम से किनारों को संरक्षित करना चाहिए  । साथ ही नदी नालों के किनारों को ग्रीन कोरिडोर की तरह  विकसित करना चाहिए।

इस संदर्भ में संचेती ने कहा कि केंद्र सरकार ने  नगर वन योजना प्रारम्भ की है। लगभग 415 करोड़ की इस योजना के तहत नगर निगम अपनी सीमा में नगर वन बनाने के लिए दो करोड़ की राशि केंद्र से प्राप्त कर न्यूनतम 10 हेक्टेयर व अधिकतम 50 हेक्टेयर में नगर वन विकसित कर सकता है। नगर वन आबो हवा को सुधारने में बहुत उपयोगी साबित होंगे।

राज्य वन विभाग के अतिरिक्त प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर व एच सी एम रीपा के अतिरिक्त निदेशक वेंकटेश शर्मा ने  कहा कि स्वच्छ   वायु एवं जल की पर्याप्त उपलब्धता शहरी आयोजना व विकास के समक्ष  सबसे बड़ी चुनौती है। शहरी आबादी बढ़ रही है,  प्रदूषण के स्रोत  बढ़ते   जा रहे हैं ऐसे में हरित स्थानों के विकास व बहाली से ही शहर स्वस्थ बन सकेंगे। शर्मा ने   वर्षा जल संरक्षण को जन अभियान के रूप में लेकर इसे जल संरक्षण की आम जनता की मुहिम बनाने की अपील की ।

संवाद संयोजक डॉ अनिल मेहता ने कहा कि जल केंद्रित शहरी विकास के लिए नीति निर्माताओं, सरकारी एजेंसियों व आम नागरिक को मिल कर कार्य करना होगा। प्रकृति से सामंजस्य से ही प्रकृति पोषण करेगी व नगर स्वस्थ व समृद्ध बनेंगे। मेहता ने कहा कि इसके लिए व्यापक जन जागृति व क्षमता संवर्धन करना पड़ेगा।

झील संरक्षण समिति के सचिव डॉ तेज राज़दान ने कहा कि जल स्त्रोतों को केंद्र में रख  नगरीय आयोजना व विकास से  ही  सीवरेज, कचरा , गंदगी के पर्यावरणीय उपचार व निस्तारण संबंधी  समाधान हो सकेगा।

झील विकास प्राधिकरण के सदस्य  तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि सतत व गुणवत्ता पूर्ण पेयजल आपूर्ति नगरीय क्षेत्रों की बड़ी समस्या है। जल स्त्रोत संरक्षित रखने से इस समस्या का स्थायी निदान हो सकेगा।

गांधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि हमारी आयोजना इस प्रकार बने कि नगर के भीतर वन हो  व   नगर के चारो और भी सघन वन विकसित हो। समृद्ध वन क्षेत्र ही समृद्ध नगर का आधार है।


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