वैश्विक स्तर पर अंगदान के प्रति जागरूकता की दरकार

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Published on : 13 Aug, 20 04:08

डॉ. प्रभात कुमार सिंघल, कोटा

वैश्विक स्तर पर अंगदान के प्रति जागरूकता की दरकार

वैश्विक स्तर पर रक्तदान के प्रति जागरूकता की वजह से बड़े पैमाने पर लोगों ने इसका महत्व समझा और आगे आकर स्वेच्छा से रक्तदान करने लगे हैं उसी प्रकार अंगदान के प्रति वैश्विक जागरूकता की महत्ती आवश्यकता है। रक्तदान के बाद दूसरे स्थान पर है नेत्रदान। लोग अब नेत्रदान के लिए भी आगे आने लगे हैं। हर वर्ष 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस का आयोजन कर लोगों को इसके लिए जागरूक किया जाता है। बावजूद प्रयासों के इस क्षेत्र में आज भी लोगों में जाग्रति  की बहुत कमी है और कम ही लोग आगे आते हैं। 

           हर साल देश में लाखों लोगों की मृत्यु शरीर का कोई न कोई अंग खराब हो जाने की वजह से हो जाती है। एक व्यक्ति अपना दिल,दो फेफड़े,दो गुर्दे अर्थात किडनी,आंखें, पेंक्क्रियाज और आंत दान कर 8 लोगों का जीवन बचा सकता है। तथ्य बताते हैं कि वैश्विक स्तर पर अंगदान में भारत की हिस्सेदारी बहुत ही कम है। यहाँ प्रति 10 लाख पर मात्र 0.15 लोग ही अंगदान किया जाता है। जब की प्रति 10 लाख पर अमेरिका में 27, क्रोएशिया में 35 एवं स्पेन में 36 लोग अंगदान करते हैं।

            महत्वपूर्ण है कि 18 वर्ष से कम आयु में अंगदान के लिए उनके माता-पिता की सहमति चाहिए होती हैं। समझना होगा कि मृत शरीर किसी अंग के लिए प्रतीक्षा करते व्यक्ति की जान बचा सकता है। अंगदान करना पूर्ण रूप दे सुरक्षित है। अंगदान का पूरा रिकार्ड संधारित किया जाता है जिसकी जानकारी " नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन" को दी जाती है।  65 वर्ष उम्र तक के वे व्यक्ति जिनका ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया हैं वे अंगदान कर सकते हैं। ऐसे व्यक्ति का 4 घंटे तक दिल एवं फेफड़े,6 से 12 घंटे तक किडनी,6 घंटे तक लिवर,,24 घंटे तक पेनक्रियाज एवं 5 साल तक टिश्यू को सुरक्षित रख जा सकता है। प्राकृतिक मौत पर दिल के वाल्व,कॉर्निया,त्वचा एवं हड्डी जैसे ऊतकों का दान किया जा सकता है। 

           वर्ष 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक अंगदान की कमी के कारण अकेले भारत में प्रति वर्ष पांच लाख लोग मर जाते हैं।  लीवर प्रत्यारोपण की जरूरत वाले मरीजों की संख्या प्रति वर्ष 85 हज़ार होती है लेकिन इनमें से 3 प्रतिशत से भी कम का ही प्रत्यारोपण हो पाता है। इसी तरह प्रति वर्ष 2 लाख मरीज गुर्दा प्रत्यारोपण के लिए पंजीकरण कराते हैं लेकिन इनमें से केवल 8 हज़ार का ही प्रत्यारोपण हो पाता है। हजारों की संख्या में प्रतीक्षारत मरीजों में से केवल एक फीसदी का ही हृदय और फेफड़ों का प्रत्यारोपण हो पाता  है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में जहाँ कुल 1,149 अंगों का दान हुआ वहीं, 2017 में यह बढ़कर 2,870 हो गया। इसमें किडनी और लीवर के दान में आई ढाई गुना बढ़त के साथ हृदय के दान में साढ़े छह गुना बढ़त भी शामिल है। वर्ष 2005 से अब तक 30 लाख लोग अंग प्रत्यारोपण के अभाव में मारे गए हैं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा दिसम्बर 2018 में एक सवाल के जवाब में राज्यसभा में यह जानकारी दी गई कि प्रत्येक वर्ष भारत में लगभग 2 लाख गुर्दे, 30 हजार दिल और 10 लाख आंखों की जरूरत है जबकि दिल केवल 340 और एक लाख आंखें यानी कॅर्निया ही हर साल मिल रहे हैं। वर्ष 2018 में महाराष्ट्र में 132, तमिलनाडु में 137, तेलंगाना में 167 और आंध्रप्रदेश में 45 और चंडीगढ़ में केवल 35 अंगदान हुए।तमिलनाडु ने बीते कुछ समय में इस क्षेत्र में बेहतर काम किया है। यहाँ प्रत्येक वर्ष  कॉर्निया दान बढ़ कर लगभग 80 हजार कॉर्निया हो गया है।

      

       भारत सरकार ने मानव अंग अधिनियम (THOA) 1994 के प्रत्यारोपण को अध्निियमित किया, जो अंग दान की अनुमति देता है, और ‘मस्तिष्क की मृत्यु’ की अवधरणा को वैध् बनाता है। इस अधिनियम के अनुसार अंगदान सिपर्फ उसी अस्पताल में ही किया जा सकता है , जहां उसे ट्रांसप्लांट करने की भी सुविध हो। यह अपने आप में बेहद मुश्किल नियम था। इस नियम से दूर-दराज के इलाकों के लोगों का अंगदान तो हो ही नहीं पाता था। इस समस्या को देखते हुए सरकार द्वारा 2011 में इस अधिनियम को संशोध्ति किया गया। नए नियम के मुताबिक अंगदान अब किसी भी आईसीयू में किया जा सकता है अर्थात उस अस्पताल में ट्रांसप्लांट न भी होता हो, लेकिन आईसीयू है, तो वहां भी अंगदान किया जा सकता है। 

        समाज में व्याप्त अंधविश्वास, अंगदान के प्रति लोगों में स्पष्ट अवधारणा का अभाव में भय एवं मिथक, दूर दराज क्षेत्रों में सुविधाओं का अभाव, मानसिक तौर पर मृत व्यक्ति के परिजनों की सहमति नहीं मिल पाना, अस्पताल में अंग लेने के साधनों का अभाव और सबसे ऊपर जागरूकता का अभाव ऐसी चुनितियाँ है जिन पर गहन चिंतन-मनन की आवश्यकता हैं। लोगों को खासकर ब्रेन डेड मरीज के परिजनों को समझना होगा कि अंगदान सबसे बड़ा दान एवं पुण्य का काम है। अंगदान कर आप किसी जरूरतमंद व्यक्ति का जीवन बचा कर पुण्य कमाने में पहल कर समाज में उदहारण बन जाग्रति फैलाने में एम्बेसेडर का कार्य कर सकते हैं।


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