डॉ हर्ष वर्धन का स्वास्थ्य विषय पर मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री से वर्चुअल रूप से विचार विमर्श किया

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Published on : 11 Aug, 20 03:08

-नीति गोपेंद्र भट्ट-

डॉ हर्ष वर्धन का स्वास्थ्य विषय पर मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री से वर्चुअल रूप से विचार विमर्श किया

नई दिल्ली, मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज  सिंह चौहान ने आज केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्ष वर्धन से डिजिटल संपर्क कर  मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में सुधार के लिये विचार विमर्श किया ।

    इस मौके पर  मध्य प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों ने राज्य को 2023 तक स्वास्थ्य क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने से संबंधित डिजिटल प्रस्तुतिकरण दिया। इस पर डॉ हर्ष वर्धन ने अपने सारगर्भित सुझाव दिये। चौहान ने सभी सुझावों को पूरी तरह अमल में लाने का आश्वासन दिया।

     शुरू में डॉ हर्ष वर्धन ने महामारी के दौरान मुख्यमंत्री का पद संभालने के बावजूद मध्यप्रदेश में कोविड-19 की बिगड़ती स्थिति संभालने के लिये श्री चौहान को बधाई दी।

     साथ ही कुछ देश के राज्यों में से एक मध्य प्रदेश को अपने नागरिकों को सार्वभौम स्वास्थ्य प्रदान करने के संकल्प के लिये धन्यवाद दिया। 

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि आयुश्मान भारत पीएम – जय के तहत आबादी का 78 प्रतिशत भाग कवर हुआ है और केवल 28.26 प्रतिशत स्वास्थ्य और आरोग्य केन्द्र कार्यरत हैं, कोविड 19 के दौरान एक करोड़ लोग इन केन्द्रों में आये। मध्य प्रदेश की आबादी 8 करोड़ है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे शीघ्र अधिक स्वास्थ्य और आरोग्य केन्द्रों को कार्यरत बनाये। स्वास्थ्य और आरोग्य केन्द्र, आयुश्मान भारत के स्तंभ पीएम-जय के साथ मिल कर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधायें प्रदान करा के नागरिकों के खर्च में कमी लायेंगे।

     उन्होंने मध्य प्रदेश की कई पहल आधारित- बीमार नवजात शिशु, प्रथम रेफरल यूनिट, रोगी कल्याण समिति जैसी रणनीतियों के नवीन प्रयासों की सराहना की। डॉ हर्ष वर्धन ने ई- संजीवनी टेली- मेडिसिन पलेटफार्म को अपनाने का सुझाव दिया जिस से लोगों के स्वास्थ्य का प्रबंधन किया जा सकेगा जोकि वर्तमान में व्यवस्थित नहीं है।

     मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य की स्थिति पर केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि अभी प्रति एक लाख जीवित जन्म पर मातृ मृत्यु दर 173, प्रति एक लाख जीवित जन्म पर आईएमआर 48, प्रति एक लाख जीवित जन्म पर नवजात मृत्यु दर 36 है, ये सभी राष्ट्रीय औसत से अधिक हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारियों की काफी कमी है। उन्होंने इसके बाद मुख्य मंत्री से स्पष्ट कहा कि रिक्त पदों को भरा जाये और स्वास्थ्य पर कम से कम जीडीपी का 8 प्रतिशत खर्च किया जाये।

     केन्द्रीय मंत्री ने राज्य के अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत 8 लक्षय और 33 कार्रवार्ई बिंदुओं पर सहमति जताई ओर प्रसन्नता के साथ कहा कि इन्हें अपनाये जाने से राज्य आगे बढ़ेगा तथा प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में एक मील का पत्थर साबित होगा।  


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