टेली-मेडिसिन प्लेटफॉम ई-संजीवनी को लोकप्रिय बनाने में राज्यों के योगदान की सराहना की

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Published on : 09 Aug, 20 16:08

-नीति गोपेंद्र भट्ट-

टेली-मेडिसिन प्लेटफॉम ई-संजीवनी को लोकप्रिय बनाने में राज्यों के योगदान की सराहना की

नई दिल्ली, केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज स्वास्थ्य मंत्रालय के टेली-मेडिसिन प्लेटफॉर्म ई-संजीवनी और ई-संजीवनी ओपीडी द्वारा 1.5 लाख टेली-कंसलटेशन पूर्ण किए जाने से संबंधित समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस अवसर पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे उपस्थित थे, जबकि तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. सी. विजय भास्कर वर्चुअल रूप से उपस्थित हुए।

नवंबर, 2019 से बहुत कम समय में ई-संजीवनी और ई-संजीवनी ओपीडी 23 राज्यों में टेली-कंसलटेशन के लिए लागू किया गया (जनसंख्या का 75 प्रतिशत भाग कवर हुआ) और अन्य राज्य इसे लागू करने की प्रक्रिया में हैं।

एक महत्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि राष्ट्रीय टेली-मेडिसिन सेवा ने 1.5 लाख से अधिक टेली-कंसलटेशन पूर्ण कर लिए हैं जिससे घर बैठे हुए रोगियों को डॉक्टरों ने परामर्श दिया और डॉक्टरों का डॉक्टरों के साथ परामर्श संभव हुआ।

इस उपलब्धि की सराहना करते हुए डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा, “माननीय प्रधानमंत्री के दिशा-निर्देश में हमने डिजिटल इंडिया के विजन का कार्यान्वयन ब्रॉडबैंड और मोबाइल फोन के माध्यम से आयुष्मान भारत – स्वास्थ्य और आरोग्य केन्द्रों में शुरू किया है। राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के सहयोग और प्रतिभावान मेडिकल प्रैक्टिशनरों और विशेषज्ञों की निःस्वार्थ सेवाओं से हम ई-संजीवनी जैसे टेली-मेडिसिन प्लेटफॉर्म के माध्यम से स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान कर सके हैं। इससे कोविड-19 महामारी के दौरान हमारे स्वास्थ्य ढांचे में काफी मजबूती आई।”

इसी प्रकार का विचार व्यक्त करते हुए श्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि यह ग्रामीण क्षेत्रों और दूर-दराज के उन लोगों के लिए ‘गेमचेंजर’ साबित होगा, जिनकी शहरों में स्थित चिकित्सा विशेषज्ञों तक आसान पहुंच नहीं है।

ई-संजीवनी प्लेटफॉर्म ने दो तरह की टेली-मेडिसिन सेवाएं प्रदान की हैं जैसे कि डॉक्टर से डॉक्टर (ई-संजीवनी) और रोगियों से डॉक्टर (ई-संजीवनी ओपीडी) टेली-कंसलटेशंस। इनमें से पहले का कार्यान्वयन आयुष्मान भारत – स्वास्थ्य एंव आरोग्य केन्द्र कार्यक्रम के अंतर्गत किया जा रहा है। यह योजना है कि दिसंबर, 2022 तक ‘हब एंड स्पोक’ मॉडल में स्पोक के रूप में सभी 1.5 लाख स्वास्थ्य और आरोग्य केन्द्रों में टेली-कंसलटेशन का कार्यान्वयन किया जाए। राज्यों ने मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों में पहचान कर हब यानि बड़े केन्द्र, सेकेंड्री हेल्थ सेंटरों और प्राथमिक हेल्थ सेंटरों जैसे स्पोक तक टेली-कंसलटेशंस सेवाएं पहुंचाने के लिए स्थापित कर लिए हैं। इस समय राष्ट्रीय ई-प्लेटफॉर्म के उपयोग के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों और डॉक्टरों समेत 12 हजार उपयोगकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया है। वर्तमान में टेली-मेडिसिन सेवा 10 राज्यों में 3 हजार से अधिक स्वास्थ्य और आरोग्य केन्द्रों के माध्यम से प्रदान की जा रही है।

कोविड-19 महामारी के मद्देनजर स्वास्थ्य मंत्रालय ने दूसरी टेली-कंसलटेशन सेवा शुरू की थी, ताकि ई-संजीवनी ओपीडी के माध्यम से डॉक्टर मरीजों को टेली-मेडिसिन सेवा प्रदान कर सकें। यह सेवा निःशुल्क है और लगभग 20 राज्यों के निवासियों में यह तेजी से लोकप्रिय हो रही है और यह लोग अस्पताल में जाए बिना डॉक्टरों से परामर्श ले रहे हैं। लगभग 2800 डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया गया है और वे ई-संजीवनी ओपीडी के लिए काम कर रहे हैं। प्रतिदिन लगभग 250 डॉक्टर और विशेषज्ञ देश भर में ई-स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, हालांकि कुछ चरणों में लॉकडाउन में छूट दी गई है। यह सेवा एंड्राएड मोबाइल और ऐप पर उपलब्ध है। इससे लोगों को दूर-दराज से आए बिना स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो रही हैं। यह सुनिश्चित करता है कि लॉगिंग करने के बाद लगभग 5 मिनट के भीतर डॉक्टर मरीजों से बात कर उन्हें देख लेते हैं।

अब तक देश भर में कुल 1,58,000 टेली-कंसलटेशन दी गईं, जिनमें से 67,000 परामर्श आयुष्मान भारत – स्वास्थ्य और आरोग्य केन्द्रों में ई-संजीवनी के माध्यम से दी गईं और ई-संजीवनी ओपीडी माध्यम से डॉक्टरों ने 91,000 रोगियों को परामर्श दिया गया। इस समय औसतन लगभग 5,000 परामर्श प्रतिदिन ई-संजीवनी और ई-संजीवनी ओपीडी के माध्यम से दिए जा रहे हैं।

टेली-मेडिसिन प्लेटफॉर्म पर 40 तरह की ओपीडी सेवाएं चल रही हैं। इनमें से अधिकांश विशेषज्ञ ओपीडी हैं, जो स्त्री रोग, मनोरोग, त्वचा, आंख-नाक-कान, नेत्ररोग, एड्स एचआईवी रोगियों के लिए एआरटी, गैर-संचारी रोग हैं।

ई-संजीवनी और ई-संजीवनी ओपीडी प्लेटफॉर्म के माध्यम से अधिक परामर्श पंजीकृत करने वाले 10 राज्य हैं – तमिलनाडु - 32,035, आंध्र प्रदेश - 28,960, हिमाचल प्रदेश – 24,527, उत्तर प्रदेश – 20,030, केरल -15,988, इसके बाद गुजरात – 7,127, पंजाब – 4,450, राजस्थान – 3,548, महाराष्ट्र – 3,284 और उत्तराखंड – 2,596.

आयुष्मान भारत – स्वास्थ्य और आरोग्य केन्द्रों में डॉक्टरों से डॉक्टर का ई-संजीवनी परामर्श का अधिकांश भाग आंध्र प्रदेश-25,478, हिमाचल प्रदेश – 23,857, जबकि तमिलनाडु -32,035 परामर्श के साथ ई-संजीवनी ओपीडी सेवा पर मरीजों से डॉक्टर के परामर्श में सबसे आगे है।

राज्यों के साथ चर्चा में इस ई-स्वास्थ्य सेवा (ई-संजीवनी और ई-संजीवनी ओपीडी प्लेटफॉर्म) के उपयोग में सभी राज्यों के योगदान की सराहना की गई। तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री ने टेली-मेडिसिन प्लेटफॉर्म को शुरू करने में स्वास्थ्य मंत्रालय और सी-डैक के सहयोग के लिए धन्यवाद किया और ऑनलाइन ओपीडी सेवा के माध्यम से सबसे अधिक 32,035 परामर्श पंजीकृत किए जाने को लेकर राज्य की उपलब्धि को उजागर किया। चर्चा के दौरान कुछ राज्यों ने अपनी श्रेष्ठ प्रक्रियाओं का उल्लेख किया जैसे कि आंध्र प्रदेश ने सभी पंचायतों और सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में ई-संजीवनी का कार्यान्वयन शुरू किया है, हिमाचल प्रदेश ने कई विशेषज्ञ सेवाएं ई-ओपीडी से प्रदान करना पहले ही शुरू कर दिया है, उत्तर प्रदेश ने शुरू होने के बाद एक महीने की कम अवधि में 20,030 परामर्श पंजीकृत किए हैं और केरल ने पलाक्कड जिले की जेल में सफलतापूर्वक टेली-मेडिसिन सेवाओं का कार्यान्वयन किया है।

इस बैठक में केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। सी-डैक के कार्यकारी निदेशक डॉ. पी.के. खोसला और सी-डैक के सहायक निदेशक डॉ. संजय सूद, आमंत्रित राज्यों के स्वास्थ्य सचिव, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के प्रबंध निदेशक और अन्य वरिष्ठ अधिकारी वर्चुअल रूप से उपस्थित रहे।

 

 


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