कोटा कोटा के मुकन्दरा टाइगर रिजर्व में एमटी-3 की मौत के 10 दिन बाद ही एमटी-2 कि 3 अगस्त को सुबह मौत हो गई। इस बाघिन ने छह माह पहले ही दो शावकों को जन्म दिया था। रिजर्व में बाघों का कुनबा बढ़ने से सभी खुश थे लेकिन 10 दिन में दो बाघों की मौत ने वन विभाग के साथ ही वन्यजीव प्रेमियों को भी सदमें में डाल दिया है साथ ही मुकदरा टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। मुकंदरा रिजर्व को दर्शकों के लिए खोले जाने से पहले ही दो बाघों की मौत से पर्यटन विकास की संभावनाओं को गहरा आघात लगा है। वन विभाग के अधिकारियों ने बाघिन की मौत की पुष्टि की है। बाघ की मौत कैसे हुई इस बारे में फिलहाल विशेष जानकारी सामने नहीं आई है। गौरतलब है कि यह बाघिन 82 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बाघ एमटी-3 के साथ रह रही थी। इसे दिसंबर 2018 में रणथंबोर अभ्यारण से लाया गया था। मुकन्दरा टाइगर रिजर्व में 23 जुलाई को बाघ एमटी-3 की बीमारी के कारण असमय मौत हो गई थ। बाघ को 3 दिनों में चलने में दिक्कत हो रही थी जिस दिन उसका इलाज करना था सुबह 6:00 बजे उसकी मौत हो गई जिसने टाइगर रिजर्व में महादेव मंदिर के पास अंतिम सांस ली थी। पोस्टमार्टम के बाद रिजर्व के गेस्ट हाउस के पास ही उसका अंतिम संस्कार किया गया। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार बाघिन एमटी-2 बेवड़ा तलाई के पास मृत मिली है। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इसका पोस्टमार्टम कराने के बाद ही पता लगेगा कि उसकी मौत कैसे हुई। मौके पर पहुंचे भाजपा के पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत ने नाराजगी जाहिर करते हुए वन विभाग के अधिकारियों को निलंबित करने की सरकार से मांग की है।