सभी भाषाओं की जननी व प्राण है संस्कृत-  देवनानी

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Published on : 03 Aug, 20 16:08

सभी भाषाओं की जननी व प्राण है संस्कृत-  देवनानी

 

आज दिनांक 2 अगस्त रविवार 2020 को संस्कृत भारती चित्तौड़ प्रांत द्वारा आयोजित संस्कृत सप्ताह के अंतर्गत संस्कृत संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें संस्कृत दिवस की पूर्व संध्या पर संस्कृत दिन आचरण व नवीन भारतीय शिक्षा नीति पर विशेष चर्चा रखी गई। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता पूर्व राज्य शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी एवं संस्कृत भारती के अखिल भारतीय महामंत्री श्री देव पुजारी जी रहे।

अध्यक्षता संस्कृत भारती के प्रांत संगठन मंत्री देवेंद्र पंड्या ने की। इस अवसर पर मुख्य वक्ता वासुदेव देवनानी ने संस्कृत भारती के संस्कृत को जन भाषा बनाने के संस्कृत भारती के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि संस्कृत देवानी है वह विज्ञान व कंप्यूटर के लिए सबसे उपयोगी भाषा है उन्होंने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी व प्राण है। उन्होंने कहा कि भारत की जीवंत भाषा संस्कृत से भारत पुनः विश्व गुरु बन सकता है यह भारत की सांस्कृतिक विरासत है

संस्कृत दिवस सावन माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. संस्कृत दिवस की शुरुआत 1969 में हुई थी। रक्षाबंधन का त्यौहार भी सावन माह की पूर्णिमा को आता है, इसका मतलब राखी और संस्कृत दिवस एक ही दिन आता है। यह नवीन भारतीय शिक्षा नीति पूर्ण रूप से भारतीयता का प्रतीक है उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति से हमारी संस्कृति की जड़ संस्कृत भाषा को मजबूती मिलेगी संस्कृत भाषा जैन बादशाहो व्यवहारिक भाषा हो इसके लिए प्रयास किए जाने चाहिए संस्कृत आधुनिक वैज्ञानिक एवं देव भाषा है उन्होंने कहा कि जर्मनी के विश्वविद्यालयों में वैज्ञानिक जो खोज कर रहे हैं वह हमारे संस्कृत में निहित है तथा नासा भी संस्कृत के महत्व को प्रामाणिक रूप से मान चुका है उन्होंने सुझाव दिया कि हमें अपने प्रयासों में कर्मकांड वह 16 संस्कारों तथा के पीछे छिपे वैज्ञानिकता को बताना अनिवार्य है जिससे आज का युवा इसकी महत्ता को समझ कर जीवन में आचरण कर सके उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा को रोजगार से जोड़ा जाना चाहिए उन्होंने कहां की जब हम सरकार में थे तब मैंने संस्कृत विभाग में 14000 नियुक्ति की जिससे संस्कृत विद्यालयों में अध्यापक वरिष्ठ अध्यापक लेक्चरर आदि सभी जगह उपलब्ध हो सके आज देश में कई गांव ऐसे हैं जहां संपूर्ण संस्कृत भाषा का आचरण होता है अतः हम सभी को संस्कृत भाषा की को जन भाषा बनाने हेतु प्रयासरत होना चाहिए इस संस्कृत दिवस के अवसर पर प्रचार की संस्कृत भाषा के प्रचार के साथ-साथ आम जन भी शिक्षित हो इसके लिए प्रयास किए जाने चाहिए।

इस अवसर पर  अखिल भारतीय महामंत्री सृष्टि पुजारी ने नई शिक्षा नीति पर बोलते हुए कहा कि नई शिक्षा  नीति  में  संस्कृत  के लिये  पर्याप्त  अवसर  है। अब कोई  भी  संस्कृत  विषय  को  पढ   सकता  है । त्रि  भाषा  सूत्र  के  अनुसार   कोई  भी  भाषा  पढ  सकता है, इसमें  केवल  एक  ही  भाषा  विदेशी   हो  सकती  है । अतः  संस्कृत के लिए अवसर है

अब विज्ञान  के  छात्र  भी  संस्कृत  पढ सकते  है  । रूचि अनुसार  कोई भी किसी भी विषय के साथ विज्ञान गणित आदि के साथ संस्कृत या कोई भी विषय पढ सकता है। अब अनुवाद एवं व्याख्या संस्थान - बनेंगी  जिससे अन्य  लोकप्रिय मोलिक  ग्रन्थो  का  संस्कृत मे  लेखन व आचरण हो सकेगा।

संस्कृत भारती के प्रांत संगठन मंत्री देवेंद्र पांडेय ने श्री देव पुजारी का स्वागत एवं परिचय कराते हुए संस्कृत को जन भाषा बनाने हेतु आग्रह किया तथा संस्कृत दिवस पर सभी से संस्कृत दिन आचरण करने का संकल्प दिलाया इस अवसर पर अतिथि द्वारा संस्कृत भारती द्वारा आयोजित संस्कृत संभाषण वर्ग जो 9 से 19 अगस्त तक तीन सत्रों में आयोजित होगा उसके पत्रक का लोकार्पण भी किया गया। अंत में प्रांत शिक्षण प्रमुख मधुसूदन शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया तथा निहारिका बच्चन ने कल्याण मंत्र के साथ समापन किया।

इस अवसर पर मुख्य रूप से उदयपुर से नरेंद्र शर्मा, डॉ हिमांशु भट्ट, मंगल कुमार जैन, डॉ यज्ञ आमेटा, रेखा सिसोदिया, रेणु पालीवाल, चैन शंकर दशोरा,  संजय शांडिल्य, प्रांत शिक्षण प्रमुख मधुसूदन शर्मा, अजमेर आदि जिलों से हिम्मत सिंह ,तरुण मित्तल, निहारिका बच्चन, राजेंद्र शर्मा ,सरिता राठौड़, ललित नामा, प्रदीप भट्ट ,दुष्यंत कुमावत, रविन्द्र शर्मा, रविन्द्र सिंह रूपावत आदि उपस्थित रहे।


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