संघ प्रचारक हस्तीमल के 75 वे जन्मदिवस पर शुभकामना व अभिनंदन समारोह

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Published on : 25 Jul, 20 04:07

संघ प्रचारक हस्तीमल के 75 वे जन्मदिवस पर शुभकामना व अभिनंदन समारोह

आज संस्कृतभारती चित्तोड़ प्रान्त द्वारा 24 जुलाई 2020 शुक्रवार को संघ प्रचारक हस्तीमल के 75 वे जन्मदिवस अवसर पर शुभकामना व अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया जिसमे संस्कृत भारती व उनसे जुड़े कई सामाजिक कार्यकर्ता सम्मिलित हुए। 

इस अवसर पर संस्कृतभारती के महानगर सयोजक नरेंद्र शर्मा ने हस्तीमल जी का विस्तृत जीवन परिचय प्रस्तुत करते हुए बताया कि *हस्तीमल जी का जीवन समाज के लिए समर्पित रहा व वे सुखाड़िया विश्वविद्यालय के संस्कृत विषय के टोपर  स्कॉलर भी रहे । उन्होंने कहा कि उनका

जन्मस्थान आमेट, जिला राजसमंद-था उन्होंने आमेट से ही १९६४में हायर सेकेण्डरी की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की, विद्यालय में सर्वोच्च स्थान मिला, हर वर्ष प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान ही रहता था, ६ठी कक्षा में ही संघ की सायम् शाखा में जाना प्रारंभ हो गया, ७वीं की परीक्षा के बाद दिल्ली से प्रथम वर्ष संघ शिक्षा वर्ग, १९६३में जयपुर से द्वित्तीय वर्ष तथा १९६४ में ११वीं की परीक्षा देने के साथ ही नागपुर से तृत्तीय वर्ष का प्रशिक्षण लिया। और प्रचारक जीवन का प्रारम्भ हो गया। प्रचारक रहते हुए ही उदयपुर विश्वविद्यालय के एम०बी०कालेज से १९६७ में बी.ए .तथा १९६९ में संस्कृत में एम.ए.की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की, बी.ए.तक मेरिट स्कालरशिप तथा एम.ए.में दो वर्ष नेशनल स्कालरशिप प्राप्त की।तब तक उदयपुर शहर की सायं शाखाओं का काम ,१९६९से उदयपुर जिला प्रचारक का दायित्व मिला,१९७४ में जयपुर के सायं भाग प्रचारक का काम मिला और अब केन्द्र उदयपुर से जयपुर हो गया, १९७५ के झून्झुनु शिक्षा वर्ग के बाद देशभर में आपात्काल लग गया, सत्याग्रह की तैयारी के समय नवम्बर अंत में पुलिस की पकड़ में आ गये, मार्च २०७७ तक जयपुर जेल में मीसाबंदी के रूप में रहने का तथा जून ७७ से जयपुर विभाग प्रचारक का काम मिला, जयपुर,टोंक,दौसा जिला तथा जयपुर महानगर उस समय जयपुर विभाग के अन्तर्गत आते थे। बाद में  जयपुर संभाग तथा राजस्थान सह प्रांत प्रचारक तथा१९९२ में राजस्थान के तीन प्रांत बनने पर जयपुर प्रांत प्रचारक,१९९६ से १९९८तक सह क्षेत्र तथा सन् ९८से २०००तक राजस्थान क्षेत्र प्रचारक का दायित्व मिला। 

जुलाई २०००से अखिल भारतीय सह बौध्दिक प्रमुख,२००४ से २०१५ तक अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख का दायित्व रहा। २००१से उनका केन्द्र जयपुर से भोपाल हो गया। २०१५ से २०१८ तक राष्ट्रीय ‌कार्यकारिणी सदस्य, अभी कार्यकारिणी के निमंत्रित सदस्यीय का दायित्व है।

  हाल ही वे भोपाल में कोरोना से युद्ध लड़कर कोरोना फाइटर के रूप में पुनः चिकित्सालय से स्वस्थ होकर भोपाल कार्यालय लोटे है।

उनके जन्मदिवस के शुभ अवसर पर सभी ने  बधाई दी व उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना की।

इस अवसर पर संघ के वरिष्ठ प्रचारक हस्तीमल ने प्रेरणास्वरूप व आशीर्वचन स्वरूप उद्बोधन में कहा कि संस्कृत व्यक्तित्व विकास व संस्कारो का एकमात्र साधन है। उन्होंने संस्कृत को राष्ट्रनिर्माण विश्व गुरु का प्राण स्वरूप बताते हुए उनके 75 वे  जन्मोत्सव पर सभी को आभार व्यक्त किया तथा सभी से संस्कृत के संरक्षण व संवर्धन में अपनी अहम भूमिका बनाने पर जोर दिया व कहा कि यही मेरा सर्वोत्तम उपहार होगा।

 संपर्क प्रमुख हिमांशु भट्ट ने बताया कि इस अवसर पर   संस्कृत सप्ताह व संस्कृत संभाषण शिविर पत्रक का  लोकार्पण भी आरएसएस के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य हस्तीमल द्वारा  किया गया। 

कार्यक्रम में बूंदी से संगीता ने जन्मदिवस पर शुभकामना गीत प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर मुख्य रूप से संघठन मंत्री देवेंद्र पण्ड्या, डॉ यज्ञ आमेटा, नरेंद्र शर्मा, हिमांशु भट्ट, रेखा सिसोदिया, समाज सेवक महेंद्र सिंह, संगीता, कुलदीप जोशी, डॉ राजेश मलिक, डॉ विष्णु सुहालका, नरेंद्र पोरवाल , रविन्द्र शर्मा, रविन्द्र सिंह रूपावत आदि उपस्थित रहे।


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