वास्तविक कक्षा कक्ष शिक्षण का कोई विकल्प नही - प्रो. चौहान

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Published on : 18 Jul, 20 10:07

 वास्तविक कक्षा कक्ष शिक्षण का कोई विकल्प नही - प्रो. चौहान

जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड टू बी विष्वविद्यालय) के संघटक प्रबन्ध अध्ययन संकाय में अप्रत्याषित संकट के समय में नई रणनीतियों के निर्माण में शिक्षाविदों की भूमिकाविषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वैबिनार का आयोजन किया गया। संकाय निदेशक प्रोफेसर अनिता शुक्ला के स्वागत उद्बोधन विषय वस्तु पर प्रकाष डालते हुए वर्तमान परिपेक्ष में विद्यार्थियों की समस्याओं को किस तरह से सुलझाया जाए, किस तरह से शिक्षावीदों/षिक्षकों को सषक्त कर नई तकनीकों के उपयोग हेतु ढाला जाए, किस तरह से वेब पर उपलब्ध विभिन्न पोर्टलों की विष्वनीयता को ऑनलाईन मंच से जोडा जाए एवम उसके प्रयोग की जानकारी एकत्र कर भिन्न-भिन्न विषयों हेतु उपयुक्त एप का चयन किया जाये जैसे सवालों पर वैबिनार के वक्ताओं को चर्चा हेतु आमंत्रित किया।अध्यक्ष कुलपति, प्रोफेसर एस. एस. सारंगदेवोत ने बताया कि किस प्रकार कोरोना वैष्विक महामारी ने पुरानी शिक्षा पद्धती को बदलते हुये समस्त शिक्षाविदों को विद्यार्थियों के साथ नये-नये शिक्षण उपकरणों तथा प्रणालीयों के माध्यम से जोड रहा है। वर्तमान समय में बुद्धिजिवियों को प्रोत्साहीत करने के लिए शिक्षा में आध्यात्मिक मुल्यों को सम्मिलित करने की भी आवष्यकता है। प्रोफेसर हनुमान प्रसाद ने अपने संबोधन में तीन ई यथा एजुकेषन, ईकोनोमिक्स ओर एन्टरप्रिनयोरषिप पर प्रकाष डालते हुए स्डुटेेन्ड एंगेजमेंट प्रोग्रामके महत्व कोे बताते हुये पुरानी शिक्षा पद्वती को बदलकर नई व्यावसायिक शिक्षण पद्वती में बदलने की आवष्यकता पर जोर दियज्ञं प्रोफेसर जी. सोरल, अध्यक्ष - भारतीय लेखांकन परिषद् एवं भूतपूर्व अधिष्ठाता वाणिज्य महाविधालय, मोहन लाल सुखाड़िया विष्वविद्यालय ने वर्तमान समय में पुर्ननिर्माण एवम रिनोवेषन की उपयोगिता के महत्व पर प्रकाष डाला। उन्होने अधिगम प्रबन्ध प्रणाली की उपयोगिता भी बताई और चॉइस बेस्ड क्रेडीट सिस्टमप्रणाली का पुर्नमुल्याकंन संकाय विस्तार गतिविधियों के माध्यम से करने पर जोर दिया।प्रोफेसर प्रताप सिंह चौहान कुलपति श्री गोविन्द गुरु विष्वविद्यालय, गौधरा गुजरात ने रोबोटीक्स शिक्षण पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि रोबोटीक्स शिक्षण वास्तविक शिक्षण का विकल्प हो सकता है परन्तु पूर्णरुप से उसका स्थान नही ले सकता। उन्होने ऑनलाईन शिक्षण मॉड्युल तथा व्यक्ति व क्षेत्र विषेष के आधार पर ई-सामग्री की आवष्यकता पर प्रकाष डाला।वेबिनार के मुख्य संरक्षक प्रोफेसर बलवन्त शान्ति लाल जॉनी, कुलाधिपती ने ऑनलाईन शिक्षण में छिपे अवसरों को पहचानने की आवष्यकता बताई। उन्होने बताया की शिक्षाविदों की भूमिका इस संकट के क्षणों में बहुआयामी है तथा शिक्षाविदों को अपना स्वयं का मुल्यांकन करते हुए शिक्षा का सरलीकरण भी करना होगा तथा उसे रुचीकर भी बनाना होगा, जिसके लिये उन्हे द्रष्यसव्य उपकरणों के उपयोग में पारंगत होना आवष्यक है। वैबिनार समन्वयक डॉ. हिना खान ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा अन्त में वैबिनार की संयोजक डॉ. निरु राठोड ने धन्यवाद ज्ञापित किया। वैबिनार सह समन्वयक डॉ. षिल्पा कंठालीया तथा तकनिकी समन्वयक डॉ. तरुण श्रीमाली, डॉ. चन्द्रेष छतलानी व डॉ. भरत सुखवाल थे। उक्त वैबिनार में देषभर के चार सो से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।उक्त जानकारी प्रबन्ध अध्ययन संकाय की निदेशक प्रोफेसर अनिता शुक्ला ने प्रदान कराई।


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