साहित्य संस्थान जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ में व्याख्यानमाला

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Published on : 17 Jul, 20 11:07

वर्तमान समय में चौघड़िया मुहूर्त पूरे देश में समस्त शुभ कार्यों में विचार किया जाने लगा

साहित्य संस्थान जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ में व्याख्यानमाला

साहित्य संस्थान जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी  विश्वविद्यालय एवं नक्षत्र ज्योतिष शोध संस्थान  उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित मनीष पंडित जनार्दनराय नागर स्मृति ऑनलाइन संस्कृत व्याख्यानमाला के अंतर्गत कार्यक्रम का प्रारंभ डॉ भगवती शंकर व्यास  अध्यक्ष नक्षत्र ज्योतिष संस्थान  ने मां सरस्वती की वंदना से किया गया।व्याख्यानमाला के मुख्य वक्ता डॉ गणेश त्रिपाठी सहायक आचार्य शासकीय रामानंद संस्कृत महाविद्यालय, भोपाल ने अपने विचार व्यक्त करते  हुए कहा  कि चौघड़िया मुहूर्त का ज्योतिषी आधार वर्तमान समय में चौघड़िया मुहूर्त पूरे देश में समस्त शुभ कार्यों में विचार किया जाने लगा है किंतु शास्त्र उसकी अनुमति नहीं देता। चौघड़िया को केवल आपत्ति काल में और विशेषकर यात्रा में ही विचार करना चाहिए। प्राचीन मुहूर्त ग्रंथों में इसका वर्णन नहीं प्राप्त होता है पर पंचसवरा  नामक ग्रंथ में इसका निर्देशन यमाधर्मास्वामी   के रूप में प्राप्त होता है। परवर्ती काल में यह मुहूर्त अत्यंत व्यापक हो गया पूर्व के काल में जन-जन जबकि इसका इतना प्रचार-प्रसार नहीं था।  यमाधर्मास्वामी ग्रह के गुण स्वभाव प्रकृति के अनुरूप ही चौघड़िया का नामकरण किया गया जो इस प्रकार है। ग्रहों के स्वभाव के अनुसार ही शुभ एवं अशुभ चौघड़िया होती है। सूर्य मंगल शनि की चौघड़िया उद्वेग रोग काल अशुभ होती है तथा चंद्र बुध गुरु शुक्र की चौघड़िया अमृत लाभ शुभ विचार शुभ होती है दिन मान एवं रात्रि  को 8 से विभाजित करने पर स्पष्ट चौघड़िया का मान प्राप्त होता है। यह स्थान के अनुसार परिवर्तित होता रहता है। दिन में वार के छठे क्रम में तथा रात्रि में पांचवें क्रम से चौघड़िया का प्रारंभ होता है आदि पर विस्तृत रुप विचार व्यक्त किए। प्रोफेसर जीवन सिंह खर्कवाल निदेशकसाहित्य संस्थान ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्थान की गतिविधियों आदि पर प्रकाश डाला। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डॉक्टर महेश आमेटा ने  समन्वयक डॉक्टर कुलशेकर व्यास ने संचालन किया।


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