सरल प्रक्रिया जान लिया,देहदान-नेत्रदान का संकल्प

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Published on : 11 Jul, 20 05:07

प्रक्रिया सरल हुई तो,सरल हुआ देहदान संकल्प करना

सरल प्रक्रिया जान लिया,देहदान-नेत्रदान का संकल्प

त्रिवेणी आवास,बजरंग नगर निवासी विनय मेहता व मंजू मेहता ने बीते दिनों समाचार पत्रों में "मिसकॉल से देहदान संकल्प" पर खबर को पढ़ा,मंजू जी ने अख़बार में पढ़ते ही सुबह 7 बज़े ही शाइन इंडिया फाउंडेशन के दिये हुए नम्बर पर मिसकॉल किया,उसके ठीक बाद ही देहदान से सम्बंधित सभी तरह की जानकारी संस्था सदस्यों ने दी । 

मंजू जी के बताये हुए समय पर जाकर संस्था सदस्यों ने उनके निवास पर जाकर देहदान व नेत्रदान संकल्प की प्रक्रिया को पूरा किया। 

संकल्प भरते हुए,दोनों ने यह निर्णय लिया की,जब भी इस दुनिया से जायेंगे,राख़ होने से पहले इस दुनिया से व्यर्थ नहीं जायेंगे । 

जिला खेलकूद अधिकारी,कोटा से सेवानिवृत 70 वर्षीय विनय जी काफ़ी सरल स्वभाव, सेवाभावी, सामाजिक कार्यों में अग्रणी रहने वाले व मिलनसार व्यवहार के व्यक्ति है । पिछले काफ़ी समय से वह मौहल्ले के बच्चों को क्रिकेट के लिये निःशुल्क शिक्षा दे रहे है । इसी तरह से मंजू जी भी प्राकृतिक चिकित्सा व योग से जुड़ी हुई है,वह भी अपनी ओर से निःशुल्क योग क्लासेस लेती रही है।  

विनय जी ने कहा की, हमारे इस तरह से देहदान-नेत्रदान के निर्णय लेने से मुझे व मेरे परिवार को गौरवान्वित महसूस होता है,हमको इस बात पर फक्र है कि,हमारी मृत्यु के बाद भी हमारा यह शरीर किसी के काम आ सकेगा । हमारा जीवन व्यर्थ नहीं जाएगा ।

मंजू जी ने भी नेत्रदान के प्रति अपने विचार रखते हुए है कहा कि,यही एक ज़रिया है, जिसके माध्यम से हम परिवार को एक नए संस्कार में जोड़ सकते है,जीवित रहते तो हम सब,इच्छानुसार दान-पुण्य करते ही है,पर मृत शरीर भी यदि राख़ होने से पहले,किसी दूसरे की जीवन में रौशनी या नया जीवन देकर जाता है,तो इससे पुनीत कार्य मनुष्य जन्म में अन्य कोई नहीं है । 

विनय- मंजू जी के इस नेक कार्य के बारे में जिसने भी सुना उन्होंने इसकी खूब सराहना की । संस्था सदस्यों ने संकल्प पत्र भरने के उपरांत संकल्पित दंपत्ति को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।


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