अल्पकाल में खास पहचान बना गए श्री नेहरा - त्वरित राहत देना रहा मूल मंत्र

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Published on : 04 Jul, 20 04:07

डॉ. प्रभात कुमार सिंघल, कोटा

अल्पकाल में खास पहचान बना गए श्री नेहरा - त्वरित राहत देना रहा मूल मंत्र

 जिला कलक्टर अंतर सिंह नेहरा अब जयपुर कलक्टर होंगे। बूंदी में उनका कार्यकाल लगभग 135 दिवस का रहा। श्री नेहरा ने 19 फरवरी को बूंदी जिला कलक्टर का पदभार संभाला था। इस अल्पकाल में ही उन्होंने अपने गहरे अनुभव और प्रशासनिक कामकाज की गहरी समझ की छाप छोड़ी है। इसी दौरान कोविड-19 के चलते लॉकडाउन से अनलॉक तक की अवधि में बूंदी को कोरोना संक्रमण से सुरक्षित रखने में उनकी खास भूमिका रही, जिससे बूंदी में आज कोविड-19 कंट्रोल में है और कम्युनिटी स्प्रेड की स्थिति नहीं बनी है। प्रदेश में बूंदी रोल मॉडल के रूप में देखी जा रही है।
जिला कलक्टर नेहरा ने पद भार संभालते ही पूरा फोकस पीडितों को त्वरित राहत पर दिया। हर दिन परिवेदनाएं लेकर आने वाले दर्जनों लोगों को जनसुनवाई के जरिए त्वरित राहत दी। वहीं कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान कोई भूखा न रहे को ध्येय वाक्य सरीखा बनाते हुए युद्ध स्तर पर राशन सामाग्री प्रबंधन और वितरण कर हर जरूरतमंद को निवाला पहुंचाया गया। इसकार्य के लिए भरपूर सहयोग राशि जुटाने में भी खास उपलब्धि जिले को मिली। 
लम्बित प्रकरणों का निपटान पहले
जिला कलक्टर ने प्राथमिकता से ऐसे प्रकरणों को हाथ में लिया जो मामूली या बड़े तकनीकी पेचों के कारण लटके पडे थे। ऐसे राजस्व मामलों को  प्राथमिकता पहुंचाकर उन्होंने ग्रामीणों को राहत पहुंचाई। शुक्रवार को मीडिया से रूबरू होते हुए भी उनका कहना था कि सिवाय चक भूमि पर कस्बों के नियमन, गैरखातेदारी से खातेदारी आदि के प्रकरणों के शत-प्रतिशत निस्तारण की मंशा थी। ताकि छोटे-छोटे कार्यो के लिए ग्रामीणों को भटकना न पड़े। 
ऐसे बनी बूंदी रोल मॉडल
जिला कलक्टर अंतर सिंह नेहरा के कुशल नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में कोविड-19 प्रबंधन में जिले में सर्व श्रेष्ठ कार्य हुआ। जिससे जिला कोरोना संक्रमण से मुक्त रह पाया। अब तक जिले में मात्र 15 पॉजिटिव पाए गए है जो भी बाहर से आए हुए निकले। मजबूत क्वारंटीन व्यवस्थाओं, नियमों की सख्ती से पालना और सभी को साथ लेकर चलने की पारदर्शितापूर्ण कार्यशैली से निकले नतीजों ने बूंदी को प्रदेश में रोल मॉडल बना दिया। 
जिला कलक्टर कोविड-19 के नियमों की पालना के प्रति कितने दृढ़ रहे इसका उदाहरण हाल में ही दिल्ली से आए उनके पुत्र व पुत्रवधू का है, जिनके आते ही पहला कार्य उनके सैम्पल लेने का हुआ तथा रिपोर्ट आने तक वे क्वारंटीन में रहे। कोरोना के प्रति जागरूकता के लिए गांव-ढाणी, नरेगा साइटस तक जागरूकता संदेश पहुंचाए गए। गतिविधियां हुई और अब स्क्रीनिंग के लिए घर-घर जाने वाली टीम के  माध्यम से जागरूकता संदेश घर-घर पहुंचाए जा रहे हैं।


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