एफपीआईएस प्रोग्राम को चिकित्सा शिक्षा में भारत को नेतृत्व की स्थिति में ला देगा- डॉ. हर्ष वर्धन

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Published on : 02 Jul, 20 04:07

-नीति गोपेंद्र भट्ट-

एफपीआईएस प्रोग्राम को चिकित्सा शिक्षा में भारत को नेतृत्व की स्थिति में ला देगा- डॉ. हर्ष वर्धन

नई दिल्ली |  केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन के फैलोशिप प्रोग्राम के लिए अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों (एफपीआईएस) के वास्ते गुड क्लिनिकल प्रैक्टिस गाइडलाइंस हैंडबुक और प्रोसपेक्टस जारी किया। इस अवसर पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे भी उपस्थित थे।

वेब प्लेटफॉर्म पर ई-बुक्स जारी करते हुए डॉ. हर्ष वर्धन ने चिकित्सा समुदाय से अपने पेशे में नैतिक व्यवहार का पालन करने का संकल्प लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “गुड क्लिनिकल प्रैक्टिस गाइडलाइंस हैंडबुक डिप्लोमेट्स ऑफ नेशनल बोर्ड (डीएनबी) के सभी रेजिडेंट्स के लिए दिशा-निर्देशक बिंदु प्रदान करने का एक प्रयास है। इन बिंदुओं से वे उन नैतिक और पेशेवर व्यवहार के सिद्धांतों का पालन कर सकेंगे, जिनकी चिकित्सा पेशेवरों से अपेक्षा की जाती है। इसका उद्देश्य डॉक्टरों और मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।” उन्होंने डीएनबी के प्रारंभिक वर्षों के दौरान रेजिडेंट्स प्रशिक्षण कॉल में गुड क्लिनिकल प्रैक्टिशनर के रूप में भूमिका और जिम्मेदारी को समझने के महत्व पर बल दिया।

डॉ. हर्ष वर्धन ने इलेक्ट्रॉनिक तरीके से फैलोशिप प्रोग्राम के लिए अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों (एफपीआईएस) – वर्तमान वर्ष 2020-2021 के लिए 42 प्रमुख संस्थानों में 11 विशेषज्ञताओं के लिए प्रोसपेक्टस जारी किया। इस नवाचार के प्रयास की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, “यह पहली बार सार्क देशों सहित सभी देशों से अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों के लिए इंटरनेशनल फैलोशिप प्रोग्राम शुरू किया जा रहा है, जोकि कॉमन फेलोशिप प्रवेश परीक्षा पोस्ट एमडी/एमएस स्तर के लिए हैं और इससे देश की अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा क्षेत्र में प्रतिष्ठा बढ़ाने में मदद मिलेगी।” पाठ्यक्रम के बारे में उन्होंने कहा, “एनबीई फ्लैगशिप डीएनबी प्रोग्राम 82 अध्ययन के विषयों और आधुनिक चिकित्सा की विशेषज्ञता के लिए है, जिनमें 29 बोर्ड, 30 सुपर स्पेशिलिटी और 23 सब-स्पेशिलिटिज के लिए 703 सरकारी और निजी संस्थानों के लिए फैलोशिप प्रोग्राम है।” पाठ्यक्रम के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, “नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन-एनबीई देश भर के सरकारी/सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम/ पालिका/ निजी क्षेत्र के अस्पतालों को डीएनबी प्रोग्राम शुरू करने के लिए प्रेरित कर रहा है, ताकि वर्तमान बुनियादी ढांचे और क्लिनिकल रिसोर्सेज का इस्तेमाल करते हुए देश में पोस्ट ग्रेजुएट सीटें बढ़ाकर विशेषज्ञों की कमी को पूरा किया जा सके।”

नेशनल डॉक्टर्स डे पर आज डॉक्टरों को बधाई देते हुए डॉ. हर्ष वर्धन ने डॉ. बिधान चंद्र राय को श्रद्धांजलि अर्पित की। डॉ. राय के सम्मान में देश पहली जनवरी को डॉक्टर्स डे मनाता है। यह आयोजन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी दिन भारत रत्न डॉ. बिधान चंद्र राय की जयंती और इसी दिन उनकी पुण्यतिथि होती है। वे एक जाने-माने चिकित्सक, धर्माथ, शिक्षाविद, समाजसेवी, राष्ट्रवादी, स्वतंत्रता सेनानी और प्रख्यात चिकित्सक थे। उन्होंने रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन और रॉयल कॉलेज ऑफ सर्जन्स दोनों की फैलोशिप प्राप्त कर अपनी ख्याति बढ़ाई। डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा, “डॉक्टर बनना निजी उपलब्धि है, जबकि अच्छा डॉक्टर बनना एक सतत् चुनौती है। अपने पेशे से ही कोई अपनी रोजी-रोटी कमा सकता है और साथ ही समूची मानवता की सेवा कर सकता है।” उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान डॉक्टरों की निस्वार्थ सेवाओं के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि ये असली हीरों हैं। राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने भी विचार व्यक्त किये।

नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन राष्ट्रीय चिकित्सा विज्ञान अकादमी के एक अंग के रूप में 1975 में अस्तित्व में आया था और यह 1976 से राष्ट्रीय स्तर पर पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एग्जामिनेशन संचालित कर रहा है। इस बोर्ड को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 1982 में स्वायत संगठन के रूप में पंजीकृत कराया था। इस अवसर पर मंत्रालय की सचिव श्रीमती प्रीति सूदन, मंत्रालय के विशेष कार्याधिकारी श्री राजेश भूषण, एनबीई के उपाध्यक्ष डॉ. डी.के. शर्मा और डॉ. शिव कांत मिश्रा उपस्थित थे।

 


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