भीलवाडा / जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना ग्रामीण क्षेत्रा मे निवास करने वाले श्रमिकों के आर्थिक संबंल देने में कारगर साबित हो रही है । योजना के अन्तर्गत ग्रामीण श्रमिकेां को अकुशल श्रम ,किसानों को भूमी सुधार में सहयोग वही किसानों व पशुपालकों को पुशुओं के रहने के लिए पशु आश्रय बनाने में भी सकारात्मक सहयोग प्रदान कर रही है । पशुपालन के क्षेत्रा में पशु आश्रय के निर्माण के लिए अधिकतम 75 हजार रूपये की राशि प्रदान की जा रही है और काम का काम ऐसे पशुपालक जो पशुपालन के साथ कृषि कार्य भी कर रहे है उन्हें खेतो में सुधार के लिए अधिकतम तीन लाख रूपये की राशि के कार्य भी करवाये जा रहे है।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री गोपाल राम बिरडा ने बताया की महात्मा गांधी नरेगा योजना द्वारा ग्रामीण जाॅबकार्ड धारी परिवार को कार्य मांगने पर 100 दिवस का अकुशल श्रम हेतु रोजगार प्रदान किया जाता है । परन्तु योजना का उद्वेश्य यह है कि अकुशल श्रम ही एक मात्रा आजीविका का आधार ना हो श्रमिक अपने खेतो व पशुओं के पालन द्वारा स्थायी आजीविका आधार तैयार कर पाये । इसी उद्धेश्य को पूर्ण करने की मंशा से जिले में गत वर्ष में 1495 व्यकितगत लाभार्थियों के कार्य स्वीकृत किये गये है। पशुपालन विभाग के अनुसार जिले में लगभग 1 लाख पशुपालक व 24.45 लाख पशु है । इसी को ध्यान में रखते हुए मनरेगा अन्तर्गत प्रत्येक वर्ष कार्ययोजना में पशुओ के लिए आश्रय स्थल में गाय,भैस ,बकरी ,मुर्गी आदि के लिए आश्रय स्थल व साथ में वर्मी कम्पोस्ट संरचना आदि भी तैयार करवाये जा रहे है। सामन्यतः पशुपालक पशु क्रय कर लेेते है परन्तु उनके रहने के लिए उचित बंदोबस्त नही होने से प्शु सर्दी ,गर्मी वर्षा की मार में असमय काल के ग्रास बन जाते है । जिसके कारण पशुपालकों को आय व मुनाफा तो दूर मुलधन भी प्राप्त नही होता है और पशुपालक की कर्ज के बोझ से कमर टूट जाती है ।
महात्मा गांधी नरेगा योजना से पशुओ के रहने हेतु उचित ठाण आदि तैयार किये जा रहे है । ग्रामीण क्षेत्रों मे वर्षा के दिनों में पशु लगातार किचड़ में खडा रहता है जिससे पशु कई प्रकार के रोगों से ग्रस्त हो जााता है । सर्दी ,गर्मी की तीव्रता से ऊर्जा क्षय के कारण पशु के दुध में कमी हो जाती है जिससे प्शुपालक जिस उदेश्य से पशुओं को लाता है वह गौण हो जाता है । महात्मा गांधी नरेगा योजना से पात्रा परिवारों के खेत या घर में पशुओं के रहने हेतु आश्रय स्थल के तहत टीन शेड ,फर्श,खंरजा ,घास व कुट्टी की खैल व गोबर से खाद बनाने के लिए वर्मी कम्पोस्ट संरचना का निर्माण किया जा रहा है । जिससे पशुपालको ंजीवन मे सकारात्मक परिवर्तन आया है । पशुओं के दुध में वृद्धि हुई हे पशुओं की औसत जीवन प्रत्याशा भी बढ़ी है। मनरेगा योजना से बनाये गये पशु आश्रय प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से पशुपालकों के लिए उपयोगी साबित हो रहे है । महात्मा गांधी नरेगा योजना जहा एक ओर ग्रामीण आबादी लाभान्वित हो रही है वही दूसरी ओर व्यक्तिगत लाभ के तहत करवाये जाने वाले कार्यो से पशु भी इस योजना के लाभ से अछूते नही रहे है।
बिरदा ने बताया कि पंचायत समिति आसीन्द के ग्राम पंचायत दांतडा के लाभार्थी दीपा, मोतीकीर ने योजनान्तर्गत पशु आश्रय तैयार किया गया जिससे लाभार्थी के मवेशियों के दूध में 5 से 6 किलो प्रति दिन की वृ़िद्ध हुई है जिससे 3 से 4 हजार मासिक आय मे बढोतरी हुई है इस प्रकार सालाना 40- 45 हजार अतिरिक्त आय बढी है । पशु कम बीमार पडते है जिससे दवाओं का खर्च कम हुआ है । इसी प्रकार पंचायत समिति बिजौलिया की ग्राम पंचायत श्यामपुरा के लाभार्थी दमा, देवी मीणा के 5 पशु है । मनरेगा योजनान्तर्गत बनाये गये पशु आश्रय से पशु स्वस्थ्य रहने लगे है । भैस के छोटी पाडी वर्षा मे मर जाती थी जिससे काफी नुकसान होता था । भैस दूध देती है जिससे बेचकर वार्षिक 50-60 हजार की आय होती है। खेत में मेडबन्दी व तालाब की मिट्टी डलवाई है जिससे उत्पादन बढ़ा है।