राष्ट्रपति के नाम जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

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Published on : 30 Jun, 20 04:06

पेट्रोल-डीजल के मूल्यों में अभूतपूर्व बढ़ोतरी को रोकने की मांग

राष्ट्रपति के नाम जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

भीलवाड़ा - जिला कांग्रेस सेवादल के जिलाध्यक्ष हिमांशुल माथुर के नेतृत्व में जिला कांग्रेस सेवादल के कार्यकर्ताआंे द्वारा पेट्रोल-डीजल के मूल्यों मंे लगातार बढ़ोतरी करने को लेकर राष्ट्रपति के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सोशल डिस्टेसिंग की पालना करते हुए सौंपा। 

जिलाध्यक्ष हिमांशुल माथुर ने बताया कि लोकडाऊन के पिछले तीन माह के दौरान पेट्रोल व डीजल पर लगने वाले केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और कीमतों में बार-बार की गई अनुचित बढ़ोतरी ने भारत के नागरिकों को असीम पीड़ा व परेशानियां में डाल दिया है। जहां एक तरफ देश स्वास्थ्य व आर्थिक महामारी से लड़ रहा हैं, वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार पेट्रोल व डीजल की कीमतों और उस पर लगने वाले उत्पादन को बार-बार बढ़ाकर इस मुश्किल वक्त में मुनाफाखोरी कर रही है।

ज्ञापन में निम्नलिखित अकाट्य एवं अखंडनीय तथ्य राष्ट्रपति को ज्ञापन के माध्यम से भेजे गये। जिसमंे -

1. मई 2014 में (जब भाजपा ने सŸाा संभाली थी), पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 9.20 रू. प्रति लीटर एंव डीजल पर 3.46 रू. प्रति लीटर था। पिछले छः सालों मंे केन्द्रीय की भाजपा सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 23.78 रू. प्रति लीटर एवं डीजल पर 28.37 रूपयें प्रति लीटर की अतिरिक्त बढ़ोतरी कर दी है। चैंकाने वाली बात है कि पिछले छः सालों में भाजपा सरकार द्वारा डीजल के उत्पाद शुल्क में 820 प्रतिशत तथा पेट्रोल के उत्पाद शुल्क मंे 258 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।

2. केवल पेट्रोल व डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क मंे बार-बार वृद्धि करके मोदी सरकार ने पिछले छः सालों में 18,00,000 करोड़ रू. कमा लिए।

3. तीन माह पहले लाॅकडाउन लगाए जाने के बाद पेट्रोल व डीजल पर उत्पाद शुल्क को बार-बार बढ़ाकर तो मुनाफाखोरी और जबरन वसूली की सभी हदें पार कर दी गई।

4. मार्च, 2020 को पेट्रोल व डीजल के मूल्य में 3 रू. प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई। 5 मई 2020 को मोदी सरकार ने डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क मंे 13 रू. प्रति लीटर और पेट्रोल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में 10 रू. प्रति लीटर की बढ़ोतरी की। 7 जून 2020 से लेकर 24 जून 2020 तक निष्ठुर मोदी सरकार ने 18 दिनों तक पेट्रोल व डीजल के मूल्य लगातार बढ़ाए, जिससे डीजल का मूल्य 10.48 रू. प्रति लीटर एवं पेट्रोल का मूल्य 8.50 रू. प्रति लीटर बढ़ गया।

पिछले साढ़े तीन महीनों में भाजपा सरकार ने डीजल पर मूल्य और उत्पाद शुल्क 26.48 रू. प्रति लीटर व पेट्रोल पर 21.50 रू. प्रति लीटर बढ़ा दिया। एक सरकार द्वारा देश के नागरिकों को इससे ज्यादा शोषण और क्या हो सकता है?

5. देश के नागरिकों से छल करने और उनकी गाढ़ी कमाई की जबरन वसूली का अंदाजा इस बात से लग सकता है कि पिछले कुछ महीनों मंे कच्चे तेल के भाव कम हुए हैं। 24 जून, 2020 को कच्चे तेल का अंतर्राष्ट्रीय भाव 43.41 अमेरिकी डाॅलर प्रति बैरल था, जोे डाॅलर रूपए भाव के अनुसार 3288.71 रूपए प्रति बैरल बनता है। एक बैरल में 159 लीटर होते हैं। इसलिए 24 जून, 2020 को कच्चे तेल का प्रति लीटर भाव 20.68 रू. बनता है। इसके विपरीत, पेट्रोल-डीजल के मूल्य आसमान छूकर 80 रू. प्रति लीटर पहुंच गए हैं, जिससे साबित होता है कि मोदी सरकार भारत के भोले भाले नागरिकों की जेब पर डाका डालकर उन्हंे खसोट रही है। इस बात पर भी ध्यान दें कि जब कांग्रेस की यू.पी.ए. सरकार केन्द्र में सŸााधीन थी, तो कच्चे तेल का दाम 108 अमेरिकी डाॅलर प्रति बैरल था, जो 24 जून, 2020 को गिरकर 43.41 अमेरिकी डाॅलर प्रति बैरल हो गया, यानि इसके मूल्य में लगभग 60 प्रतिशत की गिरावट हुई। इसके बावजूद भाजपा सरकार ने पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान पर पहुंचा दिए है।

ज्ञापन के माध्यम से 5 मार्च, 2020 के बाद पेट्रोल-डीजल के दामों एवं उत्पाद शुल्क में की गई सभी बढ़ोतरी को तत्काल वापस लिए जाने का आग्रह किया गया।

इस दौरान पूर्व सभापति मंजू पोखरना, शहर अध्यक्ष मनीष पारीक, महिला जिलाध्यक्ष पुष्पा मेहता, पार्षद आसीफ आदि उपस्थित थे।


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