डॉ. हर्ष वर्धन ने दिल्ली के उपराज्यपाल और स्वास्थ्य मंत्री के साथ कोविड-19 की समीक्षा की

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Published on : 05 Jun, 20 05:06

जांच की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ गंभीर सर्विलांस, संपर्कों का पता लगाने और कंटेनमेंट की कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता

डॉ. हर्ष वर्धन ने दिल्ली के उपराज्यपाल और स्वास्थ्य मंत्री के साथ कोविड-19 की समीक्षा की

नई दिल्ली  | “दिल्ली में मृत्यु के मामले बढ़ने के मद्देनजर जांच की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ गंभीर सर्विलांस संपर्कों का पता लगाने और कंटेनमेंट की कड़ी कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है।” केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज विडियो कांफ्रेंस के जरिए उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह बात कही। इस बैठक में कोविड-19 की स्थिति, तैयारियों और प्रबंधन की समीक्षा की गई। बैठक में स्वास्थ्य मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे, दिल्ली के उप-राज्यपाल श्री अनिल बैजल और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री श्री सत्येन्द्र जैन उपस्थित रहे।

डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि इस समय दिल्ली के सभी जिले कोविड-19 से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा “बढ़ते मामले, पुष्ट रोगियों की अधिक दर और कई जिलों में कम जांच की संख्या चिंताजनक है।” दिल्ली में प्रति 10 लाख जनसंख्या पर औसतन जांच 2018 है लेकिन कुछ जिलों जैसे कि उत्तर-पूर्व में प्रति 10 लाख जनसंख्या पर 517 जांच की औसत है, दक्षिण-पूर्व जिले में प्रति 10 लाख जनसंख्या पर 506 जांच की जा रही है जो कि बहुत कम है। हालांकि दिल्ली में पुष्ट रोगियों की दर पिछले सप्ताह 25.7 प्रतिशत थी जबकि कुछ जिलों में यह 38 प्रतिशत से अधिक रहने की खबर है। स्वास्थ्य कर्मियों में संक्रमण की अधिक दर भी गंभीर मुद्दा है। इससे संक्रमण के बचाव की असंतोषजनक स्थिति का पता चलता है। स्वास्थ्य देखभाल स्थलों पर नियंत्रण के उपायों की स्थिति भी अच्छी नहीं है। इस पर शीघ्र ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।

 

उन्होंने स्वास्थ्य ढांचे में विस्तार तथा प्रभावी मामला प्रबंधन और मृत्यु दर में कमी लाने के लिए जांच की संख्या बढ़ाने के महत्व और इसकी तत्काल जरूरत पर बल दिया। डॉ. हर्ष वर्धन ने बताया कि वर्तमान मामलों की बढ़ती संख्या तथा रोगियों के अस्पताल में दाखिले में अनावश्यक देरी के मद्देनजर बिस्तरों की उपलब्धता तेजी से बढ़ाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा “घरों में पृथकवास के मामलों की संख्या अधिक होने के कारण जांच और रोगियों की मृत्यु को बचाने के लिए उन्हें आवश्यक स्तर के विशेष कोविड सुविधा स्वास्थ्य केन्द्रों में समय पर भेजे जाने की आवश्यकता है।” बुजुर्गों और अन्य बीमारियों से पहले से ग्रस्त कमजोर रोगियों की पहचान और उनके बचाव पर जोर दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जहां घर में पृथकवास प्रभावी रूप से नहीं हो सकता तो बड़े कलस्टर में कमजोर रोगियों के संस्थागत क्वारंटिन का प्रावधान किया जाना चाहिए।

यह भी कहा गया कि दिल्ली में मृत्यु की संख्या में कमी लाने और कंटेनमेंट जोन में उत्तम उपाय किए जाने के लिए समय-समय पर केन्द्र द्वारा जारी निर्देशों और दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। यह भी सलाह दी गई कि इंफ्लुएंजा लाइक इलनेस (आईएलआई) और सीविएर एक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेस (एसएआरआई) के रोगियों का शीघ्र पता लगाया जाए। दिल्ली के सभी कोनों में स्थित स्वास्थ्य केन्द्रों में फ्लु और फीवर क्लिनिक बनाई जानी चाहिए और संपर्कों का पता लगाने और सर्विलांस पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया जाना चाहिए। संपर्कों का पता लगाने के लिए आरोग्य सेतु एप के डेटा के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाए। रोगियों और उनके परिवार जनों को अपमान से बचाने के लिए जोखिम संचार और सूचना, शिक्षा और संचार गतिविधियों को लक्षित क्षेत्र में बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही गैर कोविड आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं को बहाल किए जाने की आवश्यकता है।

 

डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि दिल्ली में स्वास्थ्य ढांचे की मजबूती और जांच सुविधाओं को बढ़ाने के लिए हर प्रकार की मदद दी जा रही है। सभी जिला मजिस्ट्रेटों, दिल्ली के तीनों नगर निगमों के आयुक्तों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि कई कंटेनमेंट जोन में जनसंख्या के घनत्व जैसे मुद्दों से प्रशासन के सामूहिक प्रयासों में गंभीर चुनौती बनी हुई है। इसलिए मिलकर कार्रवाई करने के लिए संसाधनों और अनुभवों को साझा किया जाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यह एक सामूहिक जंग है और हमे दिल्ली सरकार को उसके प्रयासों में सहयोग और मदद देनी है।

जिला मजिस्ट्रेटों और नगर निगमों के अधिकारियों ने अपने संबंधित क्षेत्रों में कोविड-19 पर काबू पाने के लिए उठाए गए कदमों से बैठक में केन्द्रीय मंत्री और उप-राज्यपाल को अवगत कराया। उन्होंने कंटनेमेंट जोन में नियंत्रण के मानदंड संबंधित मुद्दों, कोविड-19 से जुड़े अपमान के मामलों के वर्गीकरण और समय पर पहचान और लोगों को लक्षण की सूचना देने से रोकने जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि लोग अनलॉक-1.0 अवधि के दौरान फिजिकल डिस्टेंसिंग के नियमों के पालन में लापरवाही बरत रहे हैं। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में नए मामले सामने आने का यह एक प्रमुख कारण है।

 

डॉ. हर्ष वर्धन ने स्वास्थ्य कर्मियों, प्रशासन और कोविड-19 के अन्य योद्धाओं के प्रयासों की सराहना करते हुए सलाह दी कि अब फिजिकल डिस्टेंसिंग से जुड़े नियमों, हाथ धोने और सांस लेने के समय सावधानी बरतने, आस-पास में स्वच्छता बनाए रखने, डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के सम्मान करने, अफवाहों पर ध्यान नहीं देने, अन्य लोगों को सहायता के लिए केवल पुष्ट और सही सूचना फैलाने, जरूरतमंद, बुजुर्गों और कमजोर लोगों के प्रति करूणा और सहायक दृष्टिकोण अपनाने पर ध्यान देते हुए फिजिकल डिस्टेंसिंग के नियमों के पालन की और अधिक आवश्यकता है। उन्होंने कहा “मुझे विश्वास है कि हम अपने सामुहिक प्रयासों से कोविड-19 के खिलाफ जंग में कामयाब होंगे।”

समीक्षा बैठक में स्वास्थ्य सचिव श्रीमती प्रीति सूदन, मंत्रालय के ओएसडी श्री राजेश भूषण, अपर सचिव श्रीमती आरती आहूजा, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र के निदेशक डॉ. एक.के. सिंह, सभी जिलों के जिला मजिस्ट्रेट और तीनों नगर निगमों के आयुक्त तथा नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के प्रतिनिधि और दिल्ली सरकार के अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

 


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