बार एसोसिएशन उदयपुर द्वारा वेबीनार का आयोजन

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Published on : 02 Jun, 20 04:06

बच्चों के अपराधों में न्याय की अवधारणा उसका सर्वोत्तम हित को देखना: दवे

बार एसोसिएशन उदयपुर द्वारा वेबीनार का आयोजन

उदयपुर । बार एसोसिएशन, उदयपुर की ओर से अपने सदस्य साथियों एवं विधि छात्रों के लिए  लाइव ज़ूम वेबिनार की इस श्रृंखला में * न्याय एवं किशोर न्याय में अंतर* विषय पर वेबीनार का आयोजन किया गया। किशोर न्याय अधिनियम विषय पर प्रदेश सहित देश के शीर्ष दक्ष प्रशिक्षकों में शुमार तथा इस विषय पर कई पुस्तकों का लेखन करने वाले अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश क्रम संख्या 2 महेंद्र दवे ने इस सेमिनार को संबोधित करते हुए न्याय एवं किशोर न्याय में अंतर के विभिन्न प्रावधानों से अवगत कराया तथा अधिवक्ताओं की जिज्ञासाओंं को शांत किया ।

बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनीष शर्मा ने बताया कि लॉक डाउन के चलते न्यायिक कार्यों से वंचित तथा घरों में रहकर सरकार की एडवाइजरी का पालन कर रहे अधिवक्ताओं के नियमित कानून के ज्ञान को बनाए रखने के तथा नवयुवा अधिवक्ताओं को कानून की प्रति ज्ञानवर्धन कराने के प्रयोजन से लगातार विभिन्न विषय विशेषज्ञों की ओर से वेब सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है।

बालकों पर होने वाले अपराधों तथा बच्चों पर होने वाले लैंगिक अपराध से जुड़ी पहली पुस्तक लिखने वाले न्यायाधीश महेंद्र दवे ने इस वेबीनार के माध्यम से नाबालिक बच्चों एवं बच्चियों पर होने वाले अपराध तथा उनके लिए बनाए गए कानून किशोर न्याय अधिनियम 2012 मैं प्रदत्त विभिन्न कानूनी प्रावधान को उपधारणा एवं बच्चों की  पारिवारिक स्थिति घरेलू एवं पारिवारिक विवाद आर्थिक सामाजिक एवं नैतिक विवादों की पृष्ठभूमि पर विस्तार से प्रकाश डाला।

न्यायाधीश दवे ने किशोर न्याय अधिनियम 2005 से निर्भया हत्याकांड के बाद इस एक्ट में आए बदलाव 2012 के संदर्भ में दिए गए विभिन्न प्रावधानों कानून तथा नाबालिक बच्चों को मिलने वाले उपचार आदि के बारे में विस्तार से बताया तथा प्रत्येक किशोर न्याय अधिनियम के सर्वोत्तम के लिए प्रदर्शित सेक्शन की विस्तार से व्याख्या की।  दवे ने बताया कि किशोर न्याय अधिनियम 2012 को 2 भागों में विभक्त किया गया है पहले हिस्से में नाबालिग ऐसे बच्चों को शामिल किया गया है जिनके माता-पिता नहीं होने या दोनों में से एक के होने के बाद उनकी विशेष देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता है जिसका बाल कल्याण समिति के माध्यम से निदान किया जाता है तथा वहीं विभिन्न प्रकार से आपराधिक प्रकरणों में संलग्न होने वाले नाबालिक विधि से संघर्षरत बच्चों के न्याय के विभिन्न प्रावधानों पर विस्तार से प्रकाश डाला। दवे ने बताया कि यदि से संघर्ष और प्रत्येक बालक को न्याय मित्र के रुप में अधिवक्ता प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त है तथा दौराने न्यायालय में सुनवाई के किसी भी प्रकार के निर्णय पर पहुंचने से पूर्व उसके सर्वोत्तम हित को ध्यान में रखा जाना महत्वपूर्ण होता है।

दवे ने बताया कि नाबालिक बच्चों के मामलों के विचारण के दौरान उनका सर्वोत्तम हित देखा जाना प्राथमिकता होती है जबकि वाली को के मामले में यह अत्यावश्यक नहीं है नाबालिगों को सजा देने के बाद उनके आचरण को देखकर विचारण न्यायालय द्वारा सजा कम करने का प्रावधान है परंतु वयस्कों के मामले में यह प्रावधान अपील अथॉरिटी को दिया हुआ है । इसी प्रकार नाबालिग बच्चों में में विधि से संघर्षरत बालकों के जमानत के प्रावधानों में अगर कोई जमानती भी नहीं मिलता है तो किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों के तहत उन्हें सेल्फ बांड पर रिहा करने का प्रावधान है।

सेमिनार के दौरान न्यायधीश महेंद्र दवे ने न्याय और किशोर न्याय में अंतर न्याय की प्रति पालना किशोर न्याय अधिनियम के अलावा इस शब्द का प्रयोग विभिन्न अधिनियम में या न्यायालय में उल्लेखित नहीं होने के कारणों पर प्रकाश और नाबालिग बच्चों के संदर्भ में बने कानून उनके प्रावधान अवधारणा एवं सिद्धांत से भी विस्तार से समझाया।

अपर न्यायाधीश महेंद्र दवे ने बच्चों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट एवं विभिन्न उच्च न्यायालय द्वारा द्वारा पारित विभिन्न निर्णय में बच्चों को उनके सर्वोत्तम हित को देखते हुए दी गई राहत के बारे में भी उल्लेख किया।

इस दौरान उन्होंने अधिवक्ताओं के ओपन सत्र में संवाद करते हुए विभिन्न प्रश्नों के उत्तर दिए। एडवोकेट एम एल दशोरा मीनाक्षी माथुर डॉक्टर गरिमा गुप्ता डॉ निशा माहेश्वरी बाल संरक्षण आयोग के सदस्य डॉक्टर शैलेंद्र पंड्या एडवोकेट बीएम कुमावत ने बच्चों के साथ मानसिक बलात्कार प्रताड़ना में नए कानून बनाए जाने बाबत सवाल किए जिसका न्यायाधीश दवे ने बखूबी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि समाज में प्रत्येक वर्ग को यह सोचने की आवश्यकता है कि बाल मन बहुत चंचल और कोमल होता है  ऐसे में  उन्हें बाल मैत्री वातावरण में शिक्षा प्रदान कर समाज के मुख्यधारा से जोड़ा जाना चाहिए।

सेमिनार के दौरान बाल संरक्षण आयोग के सदस्य डॉ शैलेंद्र पंड्या ने बच्चों के सर्वोत्तम हित के लिए काम करने वाले कानूनी विशेषज्ञों को आयोग से जोड़े जाने की मंशा जाहिर की तथा बार के साथ मिलकर उदयपुर में एक सेमिनार आयोजित करने का प्रस्ताव दिया जिस पर बार अध्यक्ष ने नॉक डाउन के बारिश पर विचार करने और क्रियान्वित करने का विश्वास दिलाया।

प्रारंभ में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनीष शर्मा ने सभी प्रतिभागियों व मुख्य वक्ता का अभिवादन करते हुए वेबीनार के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। सेमिनार में उपाध्यक्ष नीलांक्ष द्विवेदी  महासचिव चक्रवती सिंह राव सचिव राजेश शर्मा वित्त सचिव पृथ्वीराज तेली वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश नंदवाना प्रवीण खंडेलवाल, प्रेम सिंह पवार  हरीश पालीवाल, जयकृष्ण दवे, कमलेश दानी, प्रियंका सोनी पुष्प लता भाटी डॉ विमल कुमार जितेंद्र जैन राकेश मोगरा पुष्कर लोहार कमलेश चौहान कमलेश दवे सहित सैकड़ों अधिवक्ताओं ने भाग लिया। अंत में  वित्त सचिव पृथ्वीराज तेली ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन अधिवक्ता अदिति मोड़ ने किया।

 


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