सरकार एमएसएमई का बकाया साढे पंाच लाख करोड दें दे तो भी एमएसएमई की गाडी चल पडेगी,जरूरत नहीं होगी ३७६५०० करोड रूपयें के पैकेज की

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Published on : 29 May, 20 15:05

सरकार एमएसएमई का बकाया साढे पंाच लाख करोड दें दे तो भी एमएसएमई की गाडी चल पडेगी,जरूरत नहीं होगी ३७६५०० करोड रूपयें के पैकेज की

 

उदयपुर। मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शूरवीर सिंह भाणावत ने कहा कि एमएमसएएमई उद्योग सरकार अपना साढे पंाच लाख करोड रूपया मांग रही है। यदि सरकार उनका बकाया पैसा भी रिलीज कर दें तो हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा २० लाख करोड रूपयें के आर्थिक पैकेज के अर्न्तत एमएएसएमई उद्योग के लिये दिये गये ३७६५०० करोड रूपयें की आवश्यकता नहीं होगी।

वे आज जैन सोश्यल ग्रुप मेवाड रिजन द्वारा एमएसएमई उद्योगों पर ऑनलाईन आयोजित बैठक में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार एमएसएमई योजनान्तर्गत ३७६५०० करोड का पैकेज दिया है। देश में ६ करोड ३३ लाख ८८ हजार उद्योगों है जिनमें ११ करोड ९ लाख ७९ हजार लोगों को रोजगार मिला हुआ है। सकरार ने उक्त आर्थिक पैकेज में ३ लाख करोड रूपयें कोलेट्रोल फ्री लॉन और २० हजार करोड रूपयें दबाव वाली एमएसएमई को सबोेर्डनेट डेट, ५० हजार करोड रूपयें फडं ऑफ फडं स्कीम, २५०० करोड ईपीए तथा ४ हजार करोड रूपयें गारन्टी के रूपयें दिये है।

उन्होंने बताया कि आत्मनिर्भर भारत बनाने में जारी की गई योजना में एमएसएमई उद्योगों को लाभ होने की संभावना कम दिखाई देती है क्योंकि बैंको के पास पहले से ही नगदी की पर्याप्त तरलता है लेकिन बाजार में माग न होने के कारण एमएसएमई उद्योग बैंको से ऋण लेनें में रूचि नहंी दिखा रहे है।

उन्होंने बताया कि बैंको के पास पर्याप्त नगदी की तरलता होने एवं मंाग में कमी के कारण ४ मई २०२० को आरबीआई को ८ लाख ४२ हजार करोड रूपयें की अतिरिक्त नगद राशि लौटाई।

प्रो. भाणावत ने बताया कि जनता का अर्थव्यवस्था के प्रति विश्वास उठ रहा है परिणाम स्वरूप मांग में कमी आयी है। जनता बैंको से धन निकाल कर घर में एकत्रित कर रही है।

२०१९ में देश में जहंा २.४ ट्रिलीयन नगदी प्रसार में वृद्धि हुई वंही आश्चर्यजनक रूप से २०२० के प्रथम ४ माह में ही २.६६ ट्रिलीयन नगदी प्रसार में वृद्धि हो गयी जबकि अर्थव्यवस्था ठप्प पडी हुई है।

भारत से बाहर जा रहा धन-उन्होंने बताया कि भारत से पैसा बाहर जा रहा है। जंहा २०१९ के १२ माह में आरबीआई की लिबरलाईज रेमिटेन्स स्कीम के तहत १३.७८ बिलीयन डालर भारत से बाहर गया वहीं २०२० के प्रथम ४ माह में १८.७५ बिलीयन डॉलर पैसा बाहर चला गया। इसका सीधा अर्थ यह है कि भारतीय जनता विदेशों में निवेश में कर रही है। यहंा ऐसा लगता है कि जनता में असुरक्षा की भावना घर कर रही है।

कोरपोरेट सेक्टर से विनियोग में आयी कमी- प्रो.भाणावत ने बताया कि कोरपोरेट सेक्टर से भी विनियोग में कमी देखी गई है। जहंा २०१०-११ में जीडीपी का १५ प्रतिशत कोरेपोरेट सेक्टर विनियोग करता था वहीं यह २०१६-१७ में घटकर जीडीपी का २.७ प्रतिशत रह गया है। इसका मुख्य कारण दिसम्बर २०१९ में कोरपोरेट क्षेत्र में अपनी क्षमता का ६८ प्रतिशत ही उपयोग किया क्योंकि बाजार में मंाग नहीं है।

सरकारी खर्च बढने पर बढेगा रोजगार-ऐसी स्थिति में अब सरकार को सरकारी खर्च को विस्तृत स्तर पर बढाना चाहिये। जिस प्रकार १९९९ में वाजपेयी सरकार ने सडकों के नेटवर्क पर खर्च किया। सरकारी खर्च बढने से देश में रोजगार बढेगा।

उन्होंने बताया कि लॉकडाउन अवधि में जिन एमएसएमई उद्योगों ने मजदूरों को भुगतान किया है, उन्हें आयकर अधिनियम में अतिरिक्त कटौती या आर्थिक सहायता दी जानी चाहिये। जिन उद्योगों ने बिजली का बिल नहीं चुकाया है उनका आगामी ६ माह तक कनेक्शन न काटा जायें।

इस अवसर पर जैन सोश्यल ग्रुप मेवाड रिजन के चेयरमैन आर.सी.मेहता,सचिव अरूण माण्डोत ने भी अपने विचार रखें । बैठक में ७० सदस्यों ने भाग लिया।


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