बडी दीक्षा यानि पंचमहाव्रतों को अंगीकार करने की सहमति : वैराग्यरत्न

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Published on : 05 Mar, 20 06:03

mahaveer jain

बडी दीक्षा यानि पंचमहाव्रतों को अंगीकार  करने की सहमति : वैराग्यरत्न

सिरोही। श्री पावापुरी तीर्थ-जीव मैत्रीधाम में पंन्यास प्रवर श्री वैराग्य रत्न विजयजी म.सा. आदि साधु-साध्वी भगवंतो की शुभ निश्रा में नूतन साध्वीजी हितलक्ष्मी रेखा श्री जी म.सा. की बडी दीक्षा का कार्यक्रम सुंदर व हर्षोल्लास रुप मे संपन्न हुआ।

 इनकी प्रातः तीर्थंकर परमात्माा की साक्षी में मंगल कि्रया प्रारम्भ हुई। प्रभु को वंदना कर गुरु को वंदन किया तत्पश्चात् गुरु के पास पांच महाव्रत उच्चारण की मांगणी (प्रार्थना) की। पू. पंन्यास श्री ने नुतन साध्वीजी भगवंत को एक महाव्रत का भावार्थ समझाते हुए पांच महाव्रत व एक रात्रिभोजन त्याग व्रत का संघ समक्ष उच्चारण कराया। जिसका नुतन साध्वीजी भगवंत ने सहर्ष स्वीकार किया।

बडी दीक्षा का महत्व समझाते हुए पूज्य श्री ने कहा कि जब दीक्षा होती है तब केवल ’’करेमि भंते’’ सूत्र से जावज्जीव संयम पालन का व्रत उच्चराया जाता है। एवं इस बडी दीक्षा में अहिंसा-सत्य-अचौर्य-ब्रहाचर्य-अपरिग्रह रुप पांच महाव्रतो की प्रतिज्ञा दी जाती है। जो ये मन-वचन काया से इसका पालन करेंगे। साध्वीजी ने जीवदया-मैत्रीभाव-करुणा भाव रखने का संकल्प लिया। इस प्रसंग पर नूतन साध्वीजी के सांसारिक माता-पिता सहित स्वप्न व पावापुरी तीर्थ के निर्माता के पी संघवी परिवार के श्री दिलीप भाई, मेनेजिंग ट्रस्टी श्री महावीर भाई व तीर्थ प्रबंधक सुरेन्द्र भाई आदि अनेक श्रद्धालुओं ने नुतन साध्वीजी भगवंत को अक्षत से वधामण किया। 

  


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