पर्यावरण संरक्षण के साथ राष्ट्र भाषा का भी हो संरक्षण - प्रो. सारंगदेवोत

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Published on : 04 Mar, 20 04:03

प्राकृतिक एवं मानव संसाधनों का सतत् विकास-समस्याएँ एवं संभावनाएँ विषयक पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार पर्यावरण संरक्षण के साथ राष्ट्र भाषा का भी हो संरक्षण - प्रो. सारंगदेवोत पर्यावरण संरक्षण में पक्षियों की भी अहम भूमिका - प्रो. कल्याण सिंह प्राकृतिक संसाधनो को आने वाली पीढी के लिए संजो कर रखे ..........

पर्यावरण संरक्षण के साथ राष्ट्र भाषा का भी हो संरक्षण - प्रो. सारंगदेवोत

उदयपुर   राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय के संघटक माणिक्यलाल वर्मा श्रमजीवी कन्या महाविद्यालय, डबोक  की ओर से मंगलवार को ‘‘प्राकृतिक एवं मानव संसाधनों का सतत् विकास-समस्याएँ एवं संभावनाएँ’’ विषयक पर आयोजितएक दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति हमारी मानसिकता अभी तक नहीं बदली है आजादी से लेकर आज तक हम प्राकृतिक संसाधनों का केवल दोहन ही करते आ रहे है। इसके विकास के लिए हमने कोई कदम नही उठाया। हमें पुनः हमारी सांस्कृतिक परम्परा को जीवित करना होगा। प्रकृति व मनुष्य के बीच हमें संतुलन स्थापित करना होगा। हमें वर्तमान व भावी पीढी को ध्यान में रखते हुए प्राकृतिक संसाधनों का विकास करना होगा साथ ही पर्यावरण के साथ हमारी राष्ट्र भाषा का संरक्षण किया जाना भी आवश्यक है , हम पाश्चात संस्कृति में हम अपनी मूल पहचान को खोते जा रहे है।  के मुख्य वक्ता प्रो. एन.एस. राठोड ने कहा कि सरकारें पर्यावरण संरक्षण की बाते तो खुब करते है, लेकिन इस दिशा में कोई काम नही हुआ और ये इनके बस की बात भी नही है, जब तक आम व्यक्ति में जागरूकता नही आयेगी तक इसका संरक्षण किया जाना असंभव है। प्राकृतिक संसाधनो को आने वाली पीढी के लिए संजो कर रखे और संचय की प्रवृति को जगाना होगा। विशिष्ठ अतिथि प्रो. कल्याण सिंह शेखावत ने कहा कि  पर्यावरण संरक्षण में पक्षियों का भी बहुत बडा योगदान है इसलिए इनका भी संरक्षण किया जाना आवश्यक है। वरिष्ठ नागरिक संस्थान के  अध्यक्ष भंवर सेठ ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के प्रदुषण एवं दुरूपयोग से वन्य जीवों पर आज संकट मंडराने लगा है। हमारे ऐतिहासिक स्थल व बावडिया अपना अस्तित्व खोते जा रहे है। इसको बचाने के लिए आज की युवा पीढी को आगे आना होगा। जयनारायण विवि जोधपुर के पूर्व कुलपति प्रो. लोकेश शेखावत, प्राचार्य प्रो. शशि चितौड ने भी अपने विचार व्यक्त किए।  प्रारंभ में प्राचार्य डाॅ0 अपर्णा श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि एक दिवसीय सेमीनार में डुंगरपुर, बांसवाडा, कोटा, भीलवाडा, उदयपुर के 90 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जिसमें ग्लोबलवार्मिंग तथा पर्यावरण परिवर्तन, वाटर रिसोर्स मेनेजमेन्ट, प्राकृतिक संसाधनों का प्रबन्धन, पोपुलेशन डवलपमेन्ट एण्ड एन्वारमेन्टल डिग्रेडेशन, पालिसी मेकिंग आॅफ ह्यूमन रिसोर्स मेनेजमेन्ट पर विषय पर अपने पत्रांे का वाचन किया। डाॅ. मानसिंह चुण्डावत ने एक दिवसीय सेमीनार की जानकारी दी। संचालन डाॅ. सीमा धाबाई, डाॅ. निधि पालीवाल, डाॅ. कैलाश आमेटा ने किया जबकि आभार अधिष्ठाता एवं प्राचार्य प्रो. शशि चितौडा ने दिया।


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