16 वाॅ पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति नाट्य समारोह

( 20241 बार पढ़ी गयी)
Published on : 29 Feb, 20 09:02

खुब छाया नाटक ‘‘ जात ही पूछो साधू की’’

16 वाॅ पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति नाट्य समारोह

16 वें पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति नाट्य समारोह (Theatrical ceremony)के चैथे दिन नाटक जात ही पूछो साधू की नाटक  ने दिखया समाज में फैले भाई- भतीजा वाद और भ्रष्टाचार का आईना।

भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर के निदेशक डाॅ. लईक हुसैन ने बताया कि 69वें स्थापना दिवस पर आयोजित किये जा रहे 6 दिवसीय 16 वें पद्श्री देवीलाल सामर स्मृति नाट्य समारोह में दिनांक 28 फरवरी को दि परफोरमर्स, उदयपुर के कलाकारों द्धारा उदयपुर के उदयीमान रंगकर्मी और नाट्य निर्देशक कविराज लईक निर्देशित नाटक ‘‘ जात ही पूछो साधू की’’का मंचन हुआ जो खुब ही छाया और दर्शको को अभिभूत किया।

उन्होने बताया कि  जीवन के स्याह पक्षों को निर्मम पर्यवेक्षण से उजागर करने के लिए प्रसिद्ध लेखक पद्म विभूषण विजय तेन्दुलकर द्धारा लिखित एवं कविराज लईक द्धारा निर्देशित नाटक जात ही पूछो साधू की समकालीन सामाजिक विद्रूपता (Contemporary Social Insurgency)को थोड़ा व्यंग्यात्मक नजरिये से खोलता है। कहानी गाँव के एक आम आदमी महीपत बभ्ररू वाहन के किरादार से जुड़ी हुई है जिसके जीवन का मुख्य लक्ष्य येनकेन प्रकार से अपने नाम के आगे प्रोफेसर लगवाने का है। एम.ए. की डिग्री से लैस होकर जब महीपत नौकरी की जिस खोज-यात्रा से गुजरता है, वह शिक्षा की वर्तमान दशा, समाज के विभिन्न शैक्षिक स्तरों के परस्पर संघर्ष और स्थानीय स्तर पर सत्ता के विभिन्न केन्द्रों के टकराव की अनेक परतों को खोलती जाती है। कथा में स्वातंत्रयोत्तर भारत की कई ऐसी छवियों का साक्षात्कार होता है जो धीरे-धीरे हमारे सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन का हिस्सा हो चुकी हैं। वे हमें स्वीकार्य लगती हैं लेकिन उन्हीं के चलते धीरे-धीरे हमारा सामूहिक चरित्र खोखला होता जा रहा है। अपने दो-टूकपन, सामाजिक सरोकार और व्यंग्य की तीव्रता के कारण नाटक ने दर्शकों पर अपनी एक अलग ही छाप छोडी।

नाटक में मुख्य भूमिका में प्रबुद्ध पाण्डे- महीपत बभ्ररू वाहन, शिप्रा चटर्जी - नल्ली, फरहाना खॅान - ईमरती देवी/ पूतना मौसी, रमेश शाह - प्रिसिंपल, हिन्दी प्रोफेसर, आर.सी. देवन - चैयरमैन, झुझर नाथद्धारा - सरजा सिंह/ ऊर्दू प्रोफेसर, जतिन भारवानी - बबना, योग्यता सोनी - अंग्रेजी प्रोफेसर, विद्यार्थी - राजकुमार मोगिंया, अजय शर्मा, भीष्म प्रताप, विभाष पूर्बिया, सुमन - नर्तकी, संगीत सुरभी, वेषभूषा - अनुकम्पा लईककि थी।

उन्होने बताया कि समारोह में पाँचवे  दिन दिनांक 29 फरवरी को अंतराल थियेटर गु्रप, जयपुर द्वारा डाॅ. रवि चतुर्वेदी निर्देशित नाटक ‘‘ दरकते रिश्ते एवं दिनांक 01 मार्च को हमारी उर्दू मोहब्बत, दिल्ली के दल द्धारा रिनि सिंह द्धारा निर्देशित नाटक ‘‘ पीर पराई जाने रे का मंचन किया जाएगा।

16 वें पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति नाट्य समारोह की प्रस्तुतियाँ प्रतिदिन सायं 07 बजे से हो रही है, जिनमे दर्शकों का प्रवेश निःशुल्क है।

 

 


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.