16 वाॅ पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति नाट्य समारोह

( 9074 बार पढ़ी गयी)
Published on : 27 Feb, 20 09:02

पुरूष प्रधान समाज की संकल्पना पर आधारित नाटक बलि का प्रभाव पूर्ण मंचन

16 वाॅ पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति नाट्य समारोह

16 वें पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति नाट्य समारोह के दूसरे दिन पुरूष प्रधान समाज की संकल्पना (Concept of male dominated society)पर आधारित नाटक बलि का प्रभाव पूर्ण मंचन हुआ ।

भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर के निदेशक डाॅ. लईक हुसैन ने बताया कि नाट्य समारोह के दूसरे दिन प्रसिद्ध रंगकर्मी और निर्देशक गिरीश कर्नाड द्वारा लिखित एवं सुहास सूर्यवंशी द्वारा निर्देशित नाटक बलि का मंचन अल्फाज़ थियेटर आर्गेनाईजेशन के कलाकरों द्धारा किया गया। 

उन्होने बताया कि अक्सर समाज में देखने में आता है। कि समाज़ में पुरूष प्रधान मानसिकता एवं विचारों (Mindset and thoughts)के कारण अक्सर यह होता है कि सारे दोष एवं गलती केवल और केवल औरत की ही मानी जाती है। नाटक बली की कहानी एक ऐसे ही राजा की है, जिसकी रानी को काफी समय से एक भी बच्चा पैदा नहीं होता है, और इसके पिछे के कारण को रानी भलि भाँति जानती है। कि इसके पीछे सारा दोष राजा का है, लेकिन फिर भी उसके ऊपर लांछन लगाये जाते है,  और इससे राजा को यह गलत फहमी हो जाती है कि उसकी रानी के संबंध एक महावत से है इस घटना का पता जब राजा की माँ को चलता है तो वह उसे कहती है कि तुम्हारी रानी  के विश्वासघत (Betrayal)के कारण तुम्हारे ऊपर आने वाली मुसीबतो से बचने के लिए तुम्हे एक मूर्ग की बलि देनी होगी। लेकिन राजा जैन धर्म का अनुयायी है जिसके मूल सिंद्धातों में अंहिसा सबसे प्रमुख है, और वह बली देने में असमर्थता जताता है। ऐसे में कहाँ जाता है कि  एक आटे का पुतला बनाकर उसकी बली दे दी जाए, तो रानी कहती है कि जो कुछ हुआ है, वह तो सामने है ऐसे में बलि क्यों? कशमकश होती रहती है कि क्या करे अंत में रानी स्वयं कटार लेकर अपने खुद के पेट में घुसा लेती है जिससे उसकी मौत हो जाती है। 

नाटक में मुख्य भूमिका में अभिषेक अरूण अरोधेकर - राजा,  मंदीप कौर घई - रानी, सोलानी सालूनके - राजमाता, विपिन कुमार - महावत, ध्वनि - मंगेश शिंदे, प्रकाश - सुदेश विंकल आदि कलाकर ने प्रभाव पूर्ण अभिनय किया।

उन्होने बताया कि समारोह में तीसरे दिन दिनांक 27 फरवरी को क्रियेटिव आर्ट सोसायटी, जोधपुर द्वारा रमेश भाटी नामदेव द्धारा निर्देशित नाटक भूत भागो भूत आया,दिनांक 28 फरवरी को दि परफोरमर्स, उदयपुर द्धारा कविराज लईक निर्देशित नाटक ‘‘ जात ही पूछो साधू की’’ दिनांक 29 फरवरी को अंतराल थियेटर गु्रप, जयपुर द्वारा डाॅ. रवि चतुर्वेदी निर्देशित नाटक ‘‘ दरकते रिश्ते एवं दिनांक 01 मार्च को हमारी उर्दू मोहब्बत, दिल्ली के दल द्धारा रिनि सिंह निर्देशित नाटक ‘‘ पीर पराई जाने रे का मंचन किया जाएगा।

 अंत में उन्होने यह भी बताया कि संस्था परिसर में दिनांक 22 फरवरी से 01 मार्च तक शिल्प मेले का भी आयोजन किया जा रहा है। जिसमें लगभग  30 स्टाॅल लगाई गई है, जिसमें देश के विभिन्न प्रांतो से आए शिल्पी अपने शिल्प का प्रदर्शन कर रहे है। 

16 वें पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति नाट्य समारोह की प्रस्तुतियाँ प्रतिदिन सायं 07 बजे से हो रही है, जिनमे दर्शकों का प्रवेश निःशुल्क है।

 


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.