16 वाॅ पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति नाट्य समारोह

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Published on : 26 Feb, 20 08:02

रिश्तों की पेचीदगी एवं प्रेम से भरे नाटक लूना का मंचन

16 वाॅ पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति नाट्य समारोह

16 वें पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति नाट्य समारोह (Theatrical ceremony)के पहले दिन हुआ रिश्तों की पेचीदगी एवं प्रेम से भरे नाटक लूना का मंचन।

भारतीय लोक कला मण्डल (Board of folk art of india)के निदेशक डाॅ. लईक हुसैन ने बताया कि दिनांक 25 फरवरी को प्रसिद्ध लेखक शिव कुमार बटावली द्वारा लिखित एवं देश के प्रसिद्ध नाट्य निर्देशक संगीत नाटक अकादमी अवार्डी केवल धालिवाल द्वारा निर्देशत नाटक लूना का मंचन अमृतसर, पंजाब कि मंच रंगमंच संस्था के कलाकारों द्धारा किया गया, शिवकुमार बटालवी द्धारा लिखित नाटक लूना स्त्री के अधिकार की कहानी है।  जिसमें वर्तमान समय में समाज में पैसे और बल के दम पर धनवान पुरूष अपनी से आधी उम्र की लडकी से शादी कर लेते और उन लड़कीयों के सारे अरमान और इच्छाएँ धरी की धरी रह जाती है। नाटक लूना पंजाब की लोक कहानी पर आधारित (Drama based on folk story of Luna Punjab)है। जिसमें लूना एक गरीब परिवार की पिछड़ी जाति की खूबसूरत नोजवान लडकी है जिसको राजा सलवान अपने लिए पसंद करता है। राजा सलवान जो पहले से शादी शुदा है और  उसका एक पुत्र है जिसका नाम पूरण है जिसे वह पंडित, पुरोहितों के श्राप के कारण पिछले 18 वर्षो तक देख नहीं सकता है। राजा सलवान अपने धन एवं बल के सहारे लूना से शादी कर लेता है। जिसके कारण उसकी पहली पत्नी ईछरा छोड़कर अपने मायके चली जाती है। शादी के बाद लूना राजा सलवान के साथ खुश नहीं रहती है ,वो अपनी सहेली से अपना सारा दूःख बाँटती है, वह उससे कहती है कि राजा सलवान तो मेरे पिता के उम्र का है। इसी बीच राजा का पूत्र पूरण जो बहुत ही खुबसुरत है (King's son Pooran who is very beautiful)और श्राप के 18 वर्ष पूर्ण कर तलघर से बाहर आ जाता है। लूना उसमें अपना प्यार ढूंढती है। मगर पूरण उसे माँ समझता है। और लूना को ठुकरा देता है। और इससे कुंठित होकर वह राजा को पूरण के बारे गलत- सलत कह कर उसकी हत्या करवा देती है। 

नाटक के मुख्य पात्रों में मंदीप घई - लूना, साजन सिंह - पूरण, केवल धालिवाल - राजा सलवान, जितेन्द्र कौर - ईछरा, सुखविंदर र्वीख - सहेली, डोली सडल- गोली, गुरतेज मान- राजा वर्मन, वीर पाल कौर - नटी, विकास जोशी - नट, सुदेश विकल - पिता, प्रकाश व्यवस्था एम. पी मसीह एंव संगीत जितेन्द्र सिंह द्धारा किया गया। 

उन्होने बताया कि समारोह में दूसरे दिन दिनांक 26 फरवरी को सुहास सूर्यवंशी द्धारा निर्देशित नाटक बली, दिनांक 27 फरवरी को क्रियेटिव आर्ट (Creative art)सोसायटी, जोधपुर द्वारा रमेश भाटी नामदेव द्धारा निर्देशित नाटक भूत भागो भूत आया,दिनांक 28 फरवरी को दि परफोरमर्स, उदयपुर द्धारा कविराज लईक निर्देशित नाटक ‘‘ जात ही पूछो साधू की’’ दिनांक 29 फरवरी को अंतराल थियेटर गु्रप, जयपुर द्वारा डाॅ. रवि चतुर्वेदी निर्देशित नाटक ‘‘ दरकते रिश्ते एवं दिनांक 01 मार्च को हमारी उर्दू मोहब्बत, दिल्ली के दल द्धारा रिनि सिंह निर्देशित नाटक ‘‘ पीर पराई जाने रे का मंचन किया जाएगा।

16 वें पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति नाट्य समारोह की प्रस्तुतियाँ प्रतिदिन सायं 07 बजे होगी, जिसमें दर्शकों का प्रवेश निःशुल्क रहेगा । 

 

 


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