रंगारंग प्रस्तुतियों के साथ ,लोकानुरंजन मेले का आरंभ

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Published on : 23 Feb, 20 06:02

रंगारंग प्रस्तुतियों के साथ ,लोकानुरंजन मेले का आरंभ

उदयपुर  भारतीय लोक कला मण्डल के 69वें स्थापना दिवस के अवसर पर लोकानुरंजन मेले एवं शिल्प मेले का शुभारंभ  हुआ जिसमें देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए लोक कलाकारों ने रंगारग प्रस्तुतियाॅं दी ।
कार्यक्रम के आरम्भ में संस्था के उपाध्यक्ष,  रियाज तहसीन ने मुख्य अतिथि- विनिता बोहरा (आई.ए.एस)-प्रबंध निदेशक राजस संघ एवं गणमान्य अतिथियों का स्वागत कर भारतीय लोक कला मण्डल के संस्थापक पद्मश्री देवीलालजी सामर सा. की प्रतिमा पर माल्यापर्ण एवं दीप प्रज्वलित करने के बाद कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ ।

निदेशक डाॅ. लईक हुसैन ने बताया कि कार्यक्रम से पूर्व शिल्प मेले का उद्घाटन प्रसिद्ध फिल्म एवं रंगमंच अभिनेता पियूष मिश्रा ने किया। इस अवसर पर उन्होने कहा कि भारतीय लोक कला मण्डल भारत की लोक एवं आदिम कलाओं के संरक्षण एवं प्रोहत्सान हेतु सराहनीय कार्य कर रहा है। वह  भारतीय लोक कला मण्डल के संग्रहालय को देखकर अभिभूत हुए तथा उन्होने कहा कि हमारी संस्कृति को बचाएँ रखने के लिए देश में इस प्रकार के संग्रहालयों कि बहुत ही आवश्यकता है।
भारतीय लोक कला मण्डल में  ‘‘लोकानुरंजन मेले’’ का आयोजन राजस्थान कला एंव संस्कृति विभाग, राजस्थान सरकार, संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर, पश्चिम क्षैत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर, दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, तंजावुर, पंजाब संगीत नाटक अकादमी, चंडीगढ़, पंजाब फोक आर्ट सेंटर, गुरूदासपुर, माणिक्य लाल वर्मा आदिम जाति शोध प्रशिक्षण संस्थान, उदयपुर के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।
 लोकानुरंजन मेले के प्रथम दिन राजस्थान सहित भारत के विभिन्न प्रान्तों से आये लोक कलाकारों ने कार्यक्रम में अद्भूत प्रस्तुतियाँ दी जिनमें अलवर से भपंग वादन, गुजरात से राठवां दल, तमिल नाडु से करकाट्टम, थपट्टम, अरूणाचल प्रदेश से एनेय-ना, उड़िसा से दाल खाई, बांसवाड़ा से दांगड़ी उपलागढ़ से आए गरासिया दल ने घूमरा, एवं भारतीय लोक कला मण्डल के कलाकारों ने चरी लोक नृत्य आदि लोक नृत्यों की प्रस्तुतियाॅं दी जो लोकानुरंजन मेले के मुख्य आकर्षण रहे ।

उन्होने बताया की शिल्प मेले में आजमगढ़ (उ.प्र.) की बनारसी साड़ी, जयपुर के  पत्थरों के आभूषण,, मोलेला (राजसमन्द) के मिटृी के खिलोने, गाजियाबाद की सींग और हड्डी से बनी वस्तुएं, जयपुर की लाख की चूड़िया, चित्तौड़गढ़ से हस्त निर्मित कागज़ की बनी वस्तुएं गुजरात के कच्छ से आए पैच वर्क, उदयपुर के क्रोश्या के साथ ही ट्राईफेड इण्डिया द्वारा देश के विभिन्न राज्यों की बनी शिल्प वस्तुएॅ मेले का मुख्य आकर्षण है। शिल्प मेले का आयोजन  में लगभग 30 शिल्पीयों द्वारा स्टाॅल लगाई गई है, जिसमें देश के विभिन्न क्षेत्रों की शिल्पों की प्रदर्शनी एंव बिक्री की जा रही है ।


उन्होने यह भी बताया कि भारतीय लोक कला मण्ड़ल के संस्थापक  पद्मश्री स्व. देवीलाल सामर द्वारा लोकानुरंजन मेले की शुरूआत की गई थी जिसका  मुख्य उद्धेश्य  देश की लोक कलाओं, कठपुतली कलाओं, आदिम एंव लोक संस्कृति को शिक्षण द्धारा पुनर्जीवीत, संरक्षित, प्रोत्साहित करना तथा लोक कलाओं और लोक कलाकारों को मार्गदर्शित और प्रशिक्षित कर उचित दिशा प्रदान करना था।
कार्यक्रम के दूसरे एवं तीसरे दिन भी देश के विभिन्न प्रान्तों से आए लोक कलाकार अपनी प्रस्तुतियाॅं देगें जिसमें दर्शकों का प्रवेश निःशुल्क रहेगा ।


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