लायन्स क्लब कोटा के सहयोग से सम्पन्न हुआ नेत्रदान

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Published on : 17 Feb, 20 06:02

दूसरों की आँखों का दर्द जानते थे,तो माँ का कराया नेत्रदान

लायन्स क्लब कोटा के सहयोग से सम्पन्न हुआ नेत्रदान

नेत्रदान के कार्य में शाइन इंडिया फाउंडेशन (SIF) के लगातार 9 साल के अथक प्रयासों के बाद अब न सिर्फ कोटा (Kota) बल्कि पूरे हाड़ौती संभाग में जागरूकता का प्रतिशत कई गुना बढ़ा है । 

एक समय था,जब साल भर में 2 जोड़ी नेत्रदान आये थे,और आज साल भर में 100 जोड़ी से अधिक नेत्रदान आसानी से संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन को मिल जाते है । 

रविवार सुबह 7 बज़े तलवंडी निवासी,80 वर्षीया उर्मिला देवी पत्नि श्री सत्यनारायण सर्राफ़ जी का घर पर ही निधन हो गया । उनके चारों बेटों सुशील,सुरेंद्र,आलोक व अनूप ने पिता से बात कर निर्णय लिया कि माँ के नेत्रदान (Eye donation )करा दिये जायें ।

सत्यनारायण व उर्मिला जी का स्वभाव प्रारंभ से,साधू-संतो की सेवा,गरीब-असहाय की मदद करना व  दान-धर्म में आस्था रखने वाला रहा है । अपने बच्चों की बात सुनकर उन्होंने तुरंत नेत्रदान जैसे पुनीत व नेक कार्य के लिये हाँ कर दी ।

उर्मिला जी का सबसे छोटा बेटा अनूप सर्राफ़ काफ़ी समय से लायन्स क्लब कोटा (Lions Club Kota) का सक्रिय सदस्य है । वर्षों से क्लब के द्धारा लगाए जा रहे,नेत्र चिकित्सा शिविरों की जिम्मेदारी काफ़ी समय से अनूप जी ही देखते है । बहुत ही करीब से उन्होंने आँखो की उपयोगिता और उनसे सम्बंधित परेशानियों को देखा, समझा और महसूस किया है,इस कारण वह इस बात के लिये भी स्वयं से संकल्पित थे,की जब भी कभी परिवार में या कहीं किसी की मृत्यु की सूचना (Death notice) उन तक आती है,तो वह तुरंत इस नेक काम को सम्पन्न करवाने में पीछे नहीं हटेंगे । 

माँ की मृत्यु के बारे में चिकित्सकों के घोषणा कर देने के बाद पिता जी से नेत्रदान की सहमति मिलते ही,लायंस क्लब कोटा के सदस्य अरुण तुलस्यान ,सुधीर तुलस्यान ने शाइन इंडिया फाउंडेशन (Shine India Foundation) को संपर्क किया। थोड़ी देर में तलवंडी स्थित अनूप जी के निवास स्थान पर संस्था सदस्यों के साथ आई बैंक सोसायटी के तकनीशियन ने नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी की । नेत्रदान की प्रक्रिया को घर के प्रत्येक छोटे-बड़े सदस्यों ने अपने सामने होते देखा,तब जाकर उनको ज्ञात हुआ कि नेत्रदान में पूरी आँख नहीं ली जाती है,सिर्फ आँख का सबसे बाहरी व ठीक सामने दिखाई देने  वाला पारदर्शी हिस्सा ही नेत्रदान (Eye donation) में लिया जाता है । सभी का यही कहना था,कि कम से कम हमारी माँ किसी की आँखो में रौशनी बनकर जीवित तो रहेंगी । नेत्रदान के इस कार्य में लायंस क्लब अध्यक्ष दिनेश खुवाल, व पूर्व अध्यक्ष राजीव भार्गव जी का भी पूरा सहयोग रहा ।


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