वासुपूज्य दादा की प्रतिष्ठा द्वार उद्घाटन से होगा प्रतिष्ठा का समापन

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Published on : 14 Feb, 20 15:02

ओम प्रियंताम्-पुण्याहाम् के जयघोष से हुई वासुपूज्य दादा की प्रतिष्ठा द्वार उद्घाटन से होगा प्रतिष्ठा का समापन आचार्यश्री आदि ठाणा ने किया पाली की ओर विहार

वासुपूज्य दादा की प्रतिष्ठा  द्वार उद्घाटन से होगा प्रतिष्ठा का समापन

उदयपुर, तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड तीर्थ पर ओम पुण्याहाम-पुण्याहाम प्रियंताम्-प्रियंताम् के जयघोष के बीच शुक्रवार को विजय मुहूर्त में आचार्यश्री के मंत्रोच्चार के साथ जैन धर्म के बारहवें तीर्थंकर वासुपूज्य स्वामी, भोमिया देवी एवं मां सरस्वती की प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा की गई। जैसे ही भगवान को प्रतिष्ठित किया गया और कुमकुम व केसर के थापे मंदिर के गर्भ गृह में लगाए गए उसके बाद चहुंओर श्रावक-श्राविकाओं ने भगवान पर अक्षत वर्षा की।

महासभा के मंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में आयड तीर्थ पर चल रहे छह दिवसीय प्रतिष्ठा महोत्सव के पांचवें दिन भगवान वासुपूज्य स्वामी, भोमिया देवी एवं मां सरस्वती की प्रतिमाओं का शान्तिदूत गच्छाधिपति आचार्य विजयनित्यानंद सूरिश्वर जी म.सा. ने मंत्रोच्चार के साथ लाभार्थी परिवार नागौर निवासी कमला देवी गौतमचंद सुरेश कुमार नरेश कुमार बांगाणी परिवार कोलकाता-दिल्ली ने विधि-विधान के साथ भगवान की प्रतिष्ठा की। विधिकारक उज्जैन निवासी नितेश भाई जैन ने प्रतिष्ठा की विधियों को पूर्ण कराया। वहीं नागौर के संगीतकार श्रेयांश सिंघवी ने गीतों एवं भजनों से समां बांध दिया और प्रतिष्ठा जैसे ही पूर्ण हुई तो सभी श्रावक-श्राविकाएं मंदिर के रंगमंडप में झूम उठे। प्रतिष्ठा पूर्ण होने के साथ ही लाभार्थी परिवार ने थाली का डंका बजाया और जय-जयकारों के बीच सभी मौजूद श्रावक-श्राविकाओं ने भगवान पर अक्षत वर्षा की। इसके साथ ही मंदिर के शिखर पर मंगल कलश एवं ध्वजारोहण किया गया।

प्रतिष्ठा महोत्सव पर आचार्य श्री विजयनित्यानंद सूरिश्वर जी म.सा. ने कहा कि केवल मंदिर नहीं मन-मंदिर में भगवान को प्रतिष्ठित करना है। यह प्रतिष्ठा सारे क्षेत्र, नगर, प्रदेश एवं देश में उन्नति की कामना को लेकर एवं विश्व के सभी जीवों का कल्याण हो इसी कामना के साथ पूर्ण की गई। मुनि मोक्षानंद विजय ने कहा कि क्या लेकर आया था और क्या लेकर जाएगा? बंद मुट्ठी आए और हाथ पसारे जाएंगे। दुनिया जर, जोरू और जमीन की लडाई में उलझी हुई है। ऐसे में कहां परमात्मा, गुरूओं को पाओगे? संसार का परम सुख संग्रह से नहीं बांटने से होता है। इस अवसर पर आचार्यश्री ने मांगलिक दिया। वहीं धर्मसभा में प्रतिष्ठा के लाभार्थी बांगाणी परिवार का श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष एवं पदाधिकारियों ने बहुमान किया और उन्हें चांदी से निर्मित सोने का कार्य किया हुआ मंगल कलश व चांदी का ताला व चाबी भेंट किया। इस दौरान बांगाणी परिवार ने महासभा अध्यक्ष तेज सिंह बोल्या एवं मंत्री कुलदीप नाहर का भी बहुमान किया। महासभा की ओर से भगवान की मूर्ति भेंट करने वाले गोरवाडा परिवार का भी बहुमान किया गया। समारोह के पश्चात फले चूंदडी का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों श्रावक-श्राविकाओं ने लाभ लिया। इस अवसर पर उदयपुर के सरोज बहन अभय नलवाया परिवार ने आयड तीर्थ पर सिद्ध चक्र मंदिर बनाने की घोषणा की।

प्रचार संयोजक संजय खाब्या ने बताया कि शनिवार को प्रतिष्ठा महोत्सव का समापन प्रातः मंदिर के द्वार उद्घाटन के साथ होगा। प्रतिष्ठा पूर्ण करने के बाद आचार्य श्री आदि ठाणा के साथ पाली की ओर अपरान्ह चार बजे विहार किया और उनका पहला पडाव सुखेर में मूमल मार्बल पर रहा। वहीं कल रात्रि को नागौर के आर्केस्ट्रा ग्रुप के संगीतकार श्रेयांश भाई की भक्ति संध्या में श्रावक-श्राविकाएं झूम उठे। रात तक चली इस भक्ति संध्या में एक के बाद एक भगवान के गीतों की बौछारें होती रही और फरमाईश अनुसार भी भजन गाये गए।


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