दो दिवसीय  नेशनल स्मार्ट हॉर्टीकल्चर सेमिनार शुरू

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Published on : 31 Jan, 20 07:01

जलवायु परिस्थिति के अनुसार फसलों का समावेश कर समृद्धि प्राप्त की जा सकती है, 4 हज़ार टन शहद का उत्पादन,जीरे से 4 हज़ार करोड़ की आय

दो दिवसीय  नेशनल स्मार्ट हॉर्टीकल्चर सेमिनार शुरू

कोटा (डॉ. प्रभात कुमार सिंघल)  |  उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय झालावाड़ में स्मार्ट हॉर्टीकल्चर (Smart horticulture) पर गुरूवार को दो दिवसीय, नेशनल सेमिनार का शुभारंभ किया गया। मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. ब्रम्ह सिंह ने स्मार्ट हॉर्टीकल्चर को आधुनिक इन्टरनेट एक्सेस एवं उपयोग, सेन्सर टेक्नॉलोजी के इस्तेमाल पर बल दिया तथा महाविद्यालय की स्थिति, संरक्षण खेती तथा हाइड्रोपोनिक की काफी सराहना की। उन्होंने बताया कि जलवायु परिस्थिति के अनुसार फसलों का समावेश कर समृद्धि प्राप्त की जा सकती है। 
        विशिष्ट अतिथि के रूप में हॉर्टिकल्चर आईसीएआर नई दिल्ली के पूर्व एडीजी डॉ. के.के. जिन्दल ने उद्यानिकी के उत्पादन को सर्वश्रेष्ठ कल्चर बताया तथा जलवायु के हिसाब से सिंचाई एवं पोषक तत्वों के उचित प्रबंधन का आह्वान किया। कृषि विश्वविद्यालय कोटा के पूर्व कुलपति डॉ. जी.एल. केशवा ने महाविद्यालय में चल रही शुष्क फसलीय उद्यानिकी परियोजना में इमली, लहसोड़ा, बेल, सीताफल एवं अनार के उत्पादन की सराहना करते हुए शस्य विज्ञान दृष्टि से भारत वर्ष फल, दूध एवं अन्य फसलों में अग्रणीय है तथा तुड़ाई उपरान्त श्रम को रोकने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा की झालावाड़ मुख्यतः संतरा, धनिया, सोयाबीन के लिए प्रमुख है। यहा पर स्ट्रॉबेरी की खेती भी बहुत फल-फुल रही है जो आश्चर्यजनक है। उन्होंने बताया की कोटा एवं बारां से 4000 टन शहद का उत्पादन होता है जो किसानों की आय में हुई वृद्धि को दर्शाता है। 
             एनआरसी सीड स्पाईसेज (NRC Seed Spices) ताबीजी अजमेर के निदेशक डॉ. गोपाल लाल ने विभिन्न बीजीय मसालों के बीज उत्पादन का वर्णन करते हुए कहा की सिर्फ जीरे की फसल से 4000 करोड़ रुपए की आय अर्जित की जा रही है तथा किसानों की आय में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। 
          कृषि विश्वविद्यालय कोटा के कुलपति डॉ. डी. सी. जोशी ने आधुनिक विधियों द्वारा उद्यानिकी फसलों के उचित प्रबंधन को नितांत आवश्यक बताते हुए कहा की वर्तमान में उद्यानिकी फसलों में अत्यधिक पेस्टीसाइड (Pesticide) का इस्तेमाल घातक है एवं यह कई बीमारियों को उत्पन्न कर रहा है। उन्होंने कीट एवं व्याधि प्रबंधन के लिए ड्रोन के प्रयोग तथा सेन्सर बेस टेक्नॉलोजी पर बल दिया। जिसमें मल्चिंग, पु्रनिंग एवं ट्रनिंग, तुडा़ई उपरान्त प्रबंधन, भण्डारण हेतु भण्डार घर तथा संरक्षित खेती में टमाटर एवं पत्तेदार सब्जियों के उत्पादन आदि पर बल दिया। 
          उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय (Horticulture and forestry college) के अधिष्ठाता, डॉ. आई. बी. मौर्य ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए महाविद्यालय एवं सेमिनार की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी तथा संरक्षित खेती में अधिक मुनाफे को उदाहरण पूर्वक बताया। सेमिनार सचिव, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने विभिन्न आंकड़ो के माध्यम से उद्यानिकी फसलों का स्मार्ट तरीके से इस्तेमाल करने का आह्वान किया तथा सेमिनार में विभिन्न तकनिकी सत्रों के विषय में परिचय प्रस्तुत किया। सेमिनार में उद्यानिकी में मुख्यतः चार विषयों जिनमें नवोनमेशी उत्पादन दृष्टिकोण, कार्बनिक खेती, तुड़ाई उपरान्त प्रबंधन एवं बाजारीकरण तथा व्यवसाय पर विभिन्न व्याख्यान प्रस्तुत किये गये। 
          कार्यक्रम में पूर्व अधिष्ठाता, उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय मधुसूदन आचार्य, डॉ. एस. के. शर्मा तथा विभिन्न विषय वैज्ञानिकों जिनमें डॉ. विशाल नाथ, डॉ. लक्ष्मी कान्त दशोरा, डॉ. जीतमल धाकड़, डॉ. अवनी कुमार सिंह, डॉ. मनमोहन जे. आर., डॉ. अमोल वशिष्ठ, डॉ. फीजा अहमद, डॉ. ओ. पी. अवस्थि, डॉ. पी. एस. चौहान, डॉ. दीप्ती रॉय आदि ने लीड प्रजेन्टेशन प्रस्तुत किये। जिसकी विषय विशेषज्ञों ने सराहना की। सेमिनार में राज्यपाल शर्मा सहित अन्य उपस्थित रहे। इस अवसर पर गांव मानपुरा, झालावाड़ के हुकुम चन्द पाटीदार को कुलपति डॉ. डी. सी. जोशी ने शॉल, स्मृति चिह्न एवं प्रतीक चिह्न भेट कर सम्मानित किया। इस दौरान नेशनल सेमिनार की स्मृति को चिरस्थायी बनाए रखने के लिए एक सवोनियर का भी विमोचन किया गया।


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